Friday, 13 April, 2018
निर्मलेंदु
कार्यकारी संपादक,
दैनिक राष्ट्रीय उजाला ।।
उत्तर प्रदेश के विधायक कुलदीप सेंगर पर संगीन धाराएं। धारा 366, 376 (रेप /अपहरण) और
पॉस्को। पॉस्को ऐक्ट का मतलब है नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाना। इन धाराओं में
तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है, लेकिन पुलिस गिरफ्तारी से न
केवल बचती रही, बल्कि इनकार भी करती रही। ऐसे में सवाल ये उठ
रहे हैं कि गंभीर धाराएं हैं, तो गिरफ्तारी इतनी देरी से
क्यों हुई? एमएलए की गिरफ्तारी पर योगी जी नरम क्यों पड़ गए?
गंभीर धाराएं हैं, लेकिन फिर भी गिरफ्तारी पर
इतना लचीलापन क्यों दिखाया गया?
लोगों का मानना है कि जांच कोई भी करें, लेकिन गिरफ्तारी अगर सही समय पर होती, तो शासन का डंका बुलंद होता। वैसे, बीजेपी में एक ही
शख्स हैं वीके सिंह, जो कि पीड़िता के पक्ष में खड़े हैं। वीके
सिंह मोदी सरकार में मंत्री हैं। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि इंसान के तौर पर हम
खरे नहीं उतरे।
पुलिस ने कहा, सीबीआई जांच में सबूत मिलेगा, तो ऐक्शन लिया जाएगा।
वैसे, यह भी बता दें कि कठुआ, उन्नाव
मामले पर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। कई संगठनों ने एकसाथ इस मुद्दे को उठाया है।
ऐसा लोगों का मानना है कि लीपापोती में जुटी है यूपी पुलिस। पुलिस के व्यवहार से
ऐसा लग रहा है कि ‘माननीय’ के सामने
पुलिस ने सरेंडर कर दिया है।
सवाल उठ रहे हैं कि रेप आरोपी विधायक को इतना सम्मान क्यों दे रही है
यूपी पुलिस? उन्नाव
रेप केस पर यूपी पुलिस ने कहा, विधायक आरोपी है, दोषी नहीं। पर सवाल यह उठता है कि चूंकि वह ‘खास’ हैं, इसलिए गिरफ्तार में
पुलिस ने इस तरह का ढीला रुख अपनाया। सोचिए, उन्हें खास किसने
बनाया। जनता ने। यदि उनकी जगह कोई आम आदमी होता, तो क्या
पुलिस यही रवैया अपनाती? जिस व्यक्ति पर पॉस्को ऐक्ट लगा हुआ
है, उस व्यक्ति की गिरफ्तारी तुरंत क्यों नहीं हुई?
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