Monday, 08 January, 2018
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
ट्रिब्यून के रिपोर्टर ने आधार को लेकर जो रिपोर्ट छापी उस पर हंगामा हो गया है। एडिटर्स गिल्ड ने ही नहीं ब्रॉडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन ने भी रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की निंदा की है और मांग की है कि जल्द से जल्द ये एफआईआर वापस ली जाए। मीडिया के तमाम जाने पहचाने चेहरों ही नहीं, कई राजनीतिक दिग्गजों ने भी यूआईडीएआई अधिकारियों पर सवाल उठाए हैं और रिपोर्टर की तारीफ की है।
लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट बताती है कि अभी तक इस एफआईआर में किसी को भी आरोपी नहीं
बनाया गया है, यहां तक कि खबर लिखने वाली रिपोर्टर रचना खैरा
को भी नहीं। TOI ने ये रिपोर्ट जालंधर और दिल्ली के
रिपोर्टर्स की जांच के आधार पर छापी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता के
हवाले से कहा गया है कि, उन्होंने अभी तक किसी भी व्यक्ति को इस केस में आरोपी नहीं बनाया है,
बल्कि एफआईआर अज्ञात के नाम से लिखी गई है। एफआईआर के पहले पेज पर
आरोपी के कॉलम में पुलिस ने अज्ञात दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक ये एफआईआर अभी ‘ओपन एंडेड’ है, यानी बाद
में इसमें तब्दीली की जा सकती है। हालांकि पुलिस के मुताबिक यूएडीआईए अथॉरिटी ने
पूरे केस की जानकारी दी है, तो रिपोर्टर रचना समेत केस से
जुड़े कुछ व्यक्तियों के नाम उसमें लिखे हैं, लेकिन वो आरोपी
के तौर पर नहीं हैं।
दिल्ली पुलिस का स्टेटमेंट ये है- "On 5.1.18, UIDAI lodged a complaint in the cyber cell that an
input had been received through the newspaper Tribune regarding violation of
the Grievance Redressal System of UIDAI. Accordingly, the complaint given by
UIDAI has been converted into an FIR which is "open ended"... The
complaint given by UIDAI has only mentioned the name of the reporter who was
purportedly given access. Investigation has been initiated with the present
focus on tracing and booking the person who has shared the password." ।
अब ये तो जाहिर था कि अगर केस की पूरी जानकारी देनी थी तो उस अखबारी
रिपोर्ट और उसको लिखने वाले के साथ उस रिपोर्ट में उल्लेखित लोगों की भी डिटेल
देनी थी ताकि पुलिस अपनी जांच आगे बढ़ा सके।
TOI की रिपोर्ट में यूएडीआईए के हवाले से जो बयान दिया
गया है वो भी इसी तरफ इशारा करता है, "duty bound to disclose
all details of the case and name everyone who is an active participant in the
chain of the events leading to commission of the crime... so that police can
conduct proper investigation and bring the real culprit to justice… "It
does not mean that all those who are named in the report are necessarily guilty
or being targeted. Whether one is guilty or not will be decided after police
investigations and trial,"।
यूएडीआई का ये भी कहना है कि उन्होंने अखबार से इस बारे में भी
जानकारी मांगी थी कि रिपोर्टर को कितने लोगों और किस किस की फिंगर प्रिंट रिपोर्ट
और आइरिश स्कैन की डिटेल मिली थी, वो जानकारी मुहैया करवाएं, लेकिन वो भी अभी तक नहीं
मिली है।
जाहिर है ऐसे में जबकि ये पता करने की जरूरत है कि क्या वाकई ट्रिब्यून रिपोर्टर रचना ने एक बड़ा स्कैम उजागर किया है, क्या वाकई में हर किसी के फिंगर प्रिंट और आइरिश स्कैन पांच सौ रुपए में ऑनलाइन उपलब्ध हैं और कौन गैंग इसमें सेंध लगाकर पैसा बना रहा है और इस चूक के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है?
इसके बजाय मसला मीडिया बनाम यूएडीआए के बीच बन गया लगता है। ऐसे में जबकि दिल्ली पुलिस ने जांच तक किसी को आरोपी ना बनाकर और TOI ने सावधानी से हर फैक्ट की जांच कर रिपोर्ट तैयार की है। आप TOI की रिपोर्ट इस हेडिंग पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं—
‘Open-ended’ FIR filed in Aadhaar leak case
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