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बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में जल्द शुरू होगा ऑनलाइन बुद्धिज्म कोर्स
इंदौर के करीब महू में स्थित बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि निकट भविष्य में बुद्धिज्म पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
मध्य प्रदेश में इंदौर के करीब महू में स्थित बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि निकट भविष्य में बुद्धिज्म पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। वर्तमान में विश्वविद्यालय में बुद्धिज्म पर कोर्स संचालित किया जा रहा है, जिसे विस्तार दिया जाएगा।
प्रो. शुक्ला विश्वविद्यालय के लार्ड बुद्धा चेयर द्वारा बुद्ध पूर्णिमा पर आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित कर रही थीं। बेवीनार के मुख्य अतिथि आइसीसीआर के महानिदेशक दिनेश पटनायक ने ‘विश्व बंधुत्व एवं शांति में बुद्धिज्म व बुद्धिस्ट शिक्षकों की भूमिका’ विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी से शिक्षा की संभावनाओं का विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि बुद्धिज्म पर शोध लगभग नहीं के बराबर है। आईसीसीआर छोटी अवधि के फेलोशिप प्रोग्राम शुरू करेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय अगर एप्रोच करते हैं तो आईसीसीआर सहयोग करेगा। निकट भविष्य में बुद्धिज्म पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस एवं अवॉर्ड शुरू करने का विचार भी उन्होंने साझा किया। वेबीनार की शुरुआत बुद्ध वंदना से हुई।
वेबीनार के आरंभ में कुलपति डॉ. आशा शुक्ला ने विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी और विश्वविद्यालय की गतिविधियों के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का आभार माना। उन्होंने कहा कि उनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय नवाचार करने में सफल रहा है।
इस एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन लार्ड बुद्धा चेयर बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस व भारतीय शिक्षण मंडल, आईसीसीआर, हेरीटेज सोसायटी यूनेस्को के संयुक्त तत्वाधान में हुआ। वेबीनार के प्रारंभ में प्रोफेसर दीपक कुमार वर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया। कार्यक्रम की समन्वयक पूर्व निदेशक आईसीसीआर व वर्तमान में विजिटिंग प्रोफेसर मणिपुर यूर्निवसिटी ऑफ कल्चर, इम्फाल प्रोफेसर नीरू मिश्रा ने विभिन्न देशों से वेबीनार में आए अतिथियों का परिचय दिया।
वेबीनार में बुद्धिस्ट स्कूल, श्रीलंका मैतिपे विमलासारा ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में यह विषय सामयिक हो गया है। उनका कहना था कि बुद्ध पहले से ज्यादा सामयिक हो गए हैं आज जिन परिस्थितियों से हम गुजर रहे हैं, उस समय बुद्ध और भी सामयिक हो गए हैं। उन्होंने तार्किक शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि विद्यार्थी तर्क के साथ अपने सवाल करें और जवाब पायें। किसी पर अंधविश्वास ना करें। उन्होंने कहा कि शिक्षक तर्क की कसौटी पर खरा उतर कर विद्यार्थियों को शिक्षित करें। उन्होंने शिक्षकों को पूर्वाग्रह से परे रहने की बात भी कही। उन्होंने कोरोना से उपजे संकट पर भी चर्चा की।
केलानिया यूर्निवसिटी श्रीलंका के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उप्पल रंजीत ने बुद्ध से जुड़ी जातक कथाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बुद्धिज्म के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी बात हिंदी में कही। बुद्ध के परिप्रेक्ष्य में अपनी बात रखते हुए सदाचार और नैतिक शिक्षा पर प्रोफेसर उपल्ल रंजीत ने जोर दिया।
ग्रेजुएट स्कूल एमसीयू थाइलैंड डॉ. फरमा शंभू ने लर्निंग फ्रॉम एक्सपीरियंस की बात कही। उनका जोर व्यवहारिक ज्ञान पर था। उनका कहना था कि करते रहो और सीखो।
संस्कृत अध्ययन केन्द्र सिलपोकम यूर्निवसिटी थाइलैंड के एमडी डॉ. सोबंत मैंगमीसुश्रीती ने शिक्षक एवं विद्यार्थियों के लिए पांच गुण की व्याख्या की। उनका कहना था कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों से स्नेह करे, उसे शिक्षित करे, जल्दी सिखाये लेकिन याद रखने लायक बनाये, बारीकियों के साथ मीठा बोले और विद्यार्थियों के मन से डर को दूर भगायें। विद्यार्थियों के लिए उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को शिक्षक का सम्मान करना चाहिए, जिज्ञासा होना चाहिए, कार्य की इच्छा होना चाहिए, एकाग्रता होना चाहिए तथा अपने शिक्षक के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। उन्होंने विश्व बंधुत्व एवं शांति के लिए बुद्ध का अनुसरण किया जाना चाहिए।
अनंत नेशनल यूर्निवसिटी अहमदाबाद में यूनेस्को चेयर प्रमुख डॉ. अमरेश्वर गाला ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बुद्धिज्म का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि बुद्धिज्म की जो बुनियाद है, उसे हमें वैश्विक स्तर पर समझना और स्वीकार करना होगा। हमारे भीतर के लालच ने हमारे समक्ष संकट उत्पन्न कर दिया है और इसका एकमात्र हल बुद्ध दर्शन है। लालच हम छोड़ नहीं सकते इसलिए हमें बीच का रास्ता तलाशना होगा।
प्रोफेसर दीपक कुमार वर्मा ने अंत में अतिथियों एवं अपने सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। वेबीनार में विशेष रूप से प्रोफेसर डीके वर्मा, डीन सोशल साइंस, मदन खत्री, अखिल भारतीय शैली प्रकल्प सह-प्रमुख और पालक अधिकारी मध्य क्षेत्र एवं अनंताशुतोष द्विवेदी, महानिदेश हरिटेज सोसायटी, पटना का सहयोग रहा।
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