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जानिए, पिछले तीन महीनों में कैसी रही प्रिंट में विज्ञापनों की 'रफ्तार'
प्रिंट के लिए सबसे खराब समय संभवतः खत्म हो गया है। नवीनतम टैम एडएक्स के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रतिदिन औसत ऐड वॉल्यूम में इस साल अप्रैल में दर्ज संख्या के मुकाबले अगस्त में वृद्धि देखी गई है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
प्रिंट के लिए सबसे खराब समय संभवतः खत्म हो गया है। नवीनतम टैम एडएक्स (TAM AdEx) के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रतिदिन औसत ऐड वॉल्यूम में इस साल अप्रैल में दर्ज संख्या के मुकाबले अगस्त में 5.7 गुना की वृद्धि देखी गई है।
जुलाई और सितंबर के बीच विज्ञापनों की शीर्ष पांच कैटेगरीज में कारें, मल्टीपल कोर्सेज, टू-व्हीलर्स, रियल एस्टेट और ओटीसी प्रॉडक्ट्स की रेंज की कैटेगरीज थीं। जुलाई और सितंबर के बीच इन शीर्ष पांच कैटेगरीज का ऐड वॉल्यूम 33% था, जबकि अप्रैल से जून के बीच यह 21% था।
अप्रैल से जुलाई के बीच कारों और ओटीसी प्रॉडक्ट्स की रेंज के विज्ञापन ही क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर था। जुलाई से सितंबर के बीच भी ये इस कैटेगरीज के विज्ञापन अपनी जगह को पहले की तरह बरकरार रखने में कामयाब रहे। वहीं टू-व्हीलर्स के विज्ञापन की कैटेगरी अप्रैल से जून के बीच नौवें स्थान पर थी, जोकि जुलाई से सितंबर के बीच तीसरे नंबर पर पहुंच गई। ऐसे ही प्रॉपर्टीज/रियल स्टेट के विज्ञापन की कैटेगरी अप्रैल से जून के बीच दर्ज की गई संख्या से चार पायदान ऊपर पहुंच गई और जुलाई से सितंबर के बीच यह चौथे नंबर पर रही।
इस अवधि के दौरान शीर्ष पांच एडवरटाइजर्स में एसबीएस बायोटेक (SBS Biotech), मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki), हिन्दुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever), हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp) और टीवीएस मोटर (TVS Motor) शामिल रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि शीर्ष पांच में से तीन ब्रैंड्स ऑटो सेक्टर से थे। शीर्ष पांच ब्रैंड्स में मारुति कार रेंज (Maruti Car Range), किया सॉनेट (KIA Sonet), जॉली तुलसी 51 ड्रॉप्स (Jolly Tulsi 51 Drops), टीवीएस टू व्हीलर रेंज (TVS Two Wheelers Range) और डॉ. ऑर्थो ऑयल (Dr Ortho Oil) शामिल थे।
अप्रैल से जून की तुलना में जुलाई से सितंबर के दौरान सबसे तेजी से बढ़ने वाली कैटेगरीज में शैम्पू, ईकॉम-फाइनेंशियल सर्विसेज, चॉकलेट्स, इवेंट्स-टेक्सटाइल/ क्लॉथिंग और ब्यूटी ऐसेसरीज/प्रॉडक्ट्स थे।
इस दौरान 74% विज्ञापन अंग्रेजी और हिंदी भाषाई अखबारों के लिए थे, जबकि मराठी पर 7%, कन्नड़ पर 4%, तमिल पर 4% और अन्य पर 11% थे।
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