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सुस्त इकॉनॉमी के बीच टीवी इंडस्ट्री की बढ़ सकती है 'कमाई'
अर्थव्यवस्थी की सुस्त रफ्तार और ट्राई के नए टैरिफ ऑर्डर को लेकर बनी अनिश्चितता की स्थिति के कारण कई ब्रैंड्स ने साल की शुरुआत में नहीं दिए विज्ञापन
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
सोमवार को गणेश चतुर्थी के साथ ही फेस्टिव सीजन शुरू होने जा रहा है। ऐसे में ब्रॉडकास्टर्स और ब्रैंड्स की नजरें अब इस सीजन पर टिकी हैं और उन्हें पहली छमाही में रही सुस्ती से उबरने की उम्मीद है। हालांकि, इस साल की पहली छमाही में आईपीएल, क्रिकेट वर्ल्ड कप और आम चुनाव जैसे कई बड़े आयोजन थे, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार और ट्राई के नए टैरिफ ऑर्डर को लेकर बनी अनिश्चितता की स्थिति के कारण कई ब्रैंड्स ने अपने विज्ञापन नहीं दिए थे। अब फेस्टिव सीजन में उन्हें रेवेन्यू में 10-15 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद है।
‘डेंट्सू एजिस नेटवर्क’ के सीईओ (ग्रेटर साउथ) और चेयरमैन व सीईओ (इंडिया) आशीष भसीन का मानना है कि यह ग्रोथ पिछले साल से बेहतर हो सकती है। उनका कहना है, ‘फेस्टिव सीजन गणपति उत्सव से शुरू होता है और क्रिसमस तक चलता है। मेरा मानना है कि पिछले साल के मुकाबले रेवेन्यू में 10-12 प्रतिशत की ग्रोथ हो सकती है।’
‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स’ के प्रेजिडेंट (नेटवर्क्स सेल्स और इंटरनेशनल बिजनेस) रोहित गुप्ता का कहना है कि आने वाले फेस्टिव सीजन में दोहरे अंकों (डबल डिजिट) में ग्रोथ होनी चाहिए, क्योंकि पिछली तिमाही अच्छी नहीं रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए हमें कम से कम 10-15 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद है, लेकिन अभी ये प्लान थोड़े लेट हो गए हैं। आमतौर पर अर्थव्यवस्था और खर्च करने को लेकर लोगों के असमंजस के कारण ऐसा होता है। कई ब्रैंड्स अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं। गिरती अर्थव्यवस्था से मीडियम साइज के कई ब्रैंड्स काफी प्रभावित हुए हैं।
‘9एक्स मीडिया’ के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर पवन जेलखानी की राय भी रोहित गुप्ता से मिलती जुलती है। जेलखानी का कहना है, ‘इस साल अगस्त तक रेवेन्यू कुछ खास नहीं रहा है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने के कारण ब्रैंड्स खर्च करने से परहेज कर रहे हैं। ब्रैंड्स और मार्केटर्स से बातचीत करने के बाद मुझे उम्मीद है कि आने वाले दो-ढाई महीने हम सबके लिए काफी अच्छे रहेंगे। दरअसल, मार्केट में मंदी का मूल कारण कंज्यूमर्स द्वारा खर्चों में कटौती करना है। मुझे लगता है कि इसमें अब 18 प्रतिशत की ग्रोथ होगी।’
ट्राई का प्रभाव: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के नए टैरिफ ऑर्डर को लेकर इस साल की शुरुआत में काफी उथल-पुथल रही थी। नए नियम धीरे-धीरे लागू हुए थे और इससे टीवी पर विज्ञापन खर्च काफी प्रभावित रहा। ‘द पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग आउटलुक रिपोर्ट 2019’ ने अपने पूर्वानुमानों को संशोधित करते हुए विज्ञापन खर्च में गिरावट की बात कही थी, जिसका मुख्य कारण पहली तिमाही में टीवी पर विज्ञापन खर्च में कमी आना था। हालांकि, इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स और ब्रॉडकास्टर्स ने भरोसा जताया है कि इससे विज्ञापन खर्च पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। भसीन के अनुसार, ‘मुझे नहीं लगता कि ट्राई के मामले का ग्रोथ पर कोई असर पड़ेगा। इससे एडवर्टाइजिंग पर अभी तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।’
हालांकि, गुप्ता ने माना कि एडवर्टाइजर्स के साथ ट्राई के इश्यू को सुलझा लिया गया है और जेलखानी ने दावा किया कि नए टैरिफ ऑर्डर के बाद अब डाटा में स्थिरता आ गई है। उनका कहना है, ‘अब हम देख सकते हैं कि फ्री टू एयर और पे चैनल्स किस तरह का प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां तक फेस्टिव सीजन की बात है, टीवी की पहुंच बढ़ी है। मुझे नहीं लगता कि विज्ञापन पर खर्च के मामले में नए टैरिफ ऑर्डर का कोई प्रभाव पड़ेगा।’
‘Carat India’ की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट विनीत पचीसिया का भी मानना है कि नए टैरिफ ऑर्डर के कारण जो ब्रैंड्स पिछले कुछ महीनों से ज्यादा खर्च नहीं कर रहे थे, वे अब फेस्टिव सीजन में इस खर्च में 40-50 प्रतिशत का इजाफा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘अगले दो-तीन महीने में विज्ञापन खर्च को बढ़ाने में यह फेस्टिव सीजन निश्चित रूप से मदद करेगा। हालांकि, नए टैरिफ ऑर्डर और डीडी फ्रीडिश से फ्री टू एयर चैनल हटने के कारण चैनल की परफॉर्मेंस पर असर पड़ा है, जिससे विज्ञापन खर्च में कमी देखने को मिली है, लेकिन उम्मीद है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान आई इस कमी को फेस्टिव सीजन में दूर कर लिया जाएगा।’
कौन होंगे बड़े विज्ञापनदाता: एक्सपर्ट्स और ब्रॉडकास्टर्स की मानें तो इस फेस्टिव सीजन में विज्ञापन पर खर्च के मामले में ऑटोमोबाइल और ई-कॉमर्स सेक्टर बड़े एडवर्टाइजर्स की भूमिका निभाएंगे। जेलखानी का कहना है कि ई-कॉमर्स दमदार वापसी करेगा। जेलखानी के अनुसार, ‘मुझे लगता है कि एडवर्टाइजिंग खर्च के मामले में ऑटोमोबाइल सेक्टर्स भी वापसी करेगा। ये बड़ी कंपनियां हैं और मात्री दो-तीन तिमाही खराब होने से वे एडवर्टाइजिंग बंद नहीं कर सकते हैं।’
पचीसिया के अनुसार, ‘ऐसे देश में जहां एक के बाद एक त्योहार मनाए जाते हैं और इनमें लोग नई चीजें खरीदना शुभ मानते हैं। इसके साथ ही एक-दूसरे को गिफ्ट देने का चलन भी होता है, तो हमें उम्मीद है कि इस सीजन में ज्वेलरी, कंफेक्शनरी आदि में विज्ञापन खर्च बढ़ेगा। इस फेस्टिव सीजन में विज्ञापन पर ई-कॉमर्स की ओर से बड़ा खर्च किया जा सकता है।’
‘DCMN India’ के डायरेक्टर (ऑफलाइन मीडिया) सुधीर कुमार ने उम्मीद जताई है कि आने वाले कुछ दिनों में ब्रॉडकास्टर्स एडवर्टाइजिंग रेट बढ़ा सकते हैं। सुधीर कुमार का कहना है, ‘इस साल की पहली छमाही में आईपीएल, क्रिकेट वर्ल्ड कप और आम चुनाव जैसे बड़े आयोजन थे। इस दौरान सिर्फ दस प्रतिशत एडवर्टाइजर्स ही एक्टिव दिखे, जबकि अन्य इसी उलझन में रहे कि खर्च करें या नहीं। मीडियम साइज के ब्रैंड्स आईपीएल और क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे आयोजनों में विज्ञापन खर्च नहीं उठा सकते थे, इसलिए अब वे फेस्टिव सीजन में इस कमी को पूरा करेंगे। रही बात रेवेन्यू ग्रोथ की तो वह 15-20 प्रतिशत होने की उम्मीद है। चूंकि ब्रॉडकास्टर्स के लिए भी यह अच्छा मौका है, इसलिए वे अपने एडवर्टाइजिंग रेट को बढ़ा सकते हैं।’
‘TheSmallBigIdea’ के सीईओ और को-फाउंडर हरिकृष्णन पिल्लई का भी कहना है कि इस सीजन में भी ‘फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स’ (FMCG) सेक्टर की ओर से विज्ञापन पर काफी खर्च किया जाएगा। पिल्लई के अनुसार, ‘पूरे साल कुल जितना विज्ञापन पर खर्च होता है, उसका करीब 40 प्रतिशत फेस्टिव सीजन में होता है। ऐसे में ब्रॉडकास्टर्स को अपनी पेशकश को और शानदार बनाना होगा। मेरा मानना है कि विज्ञापन पर खर्च के मामले में इस फेस्टिव सीजन में ई-कॉमर्स और एफएमसीजी सबसे आगे होंगे।’ पिल्लई का मानना है कि छोटे चैनल जो पहले ही व्युअरशिप के लिए दौड़ में शामिल हैं, उन्हें एडवर्टाइजर्स द्वारा अन्य विकल्पों के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है।
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