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भ्रामक विज्ञापन मामले में ‘पतंजलि’ ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, मांगी माफी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हलफनामे में पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने स्पष्ट किया कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी न हों। मामले में अगली सुनवाई दो अप्रैल 2024 को होगी।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 months ago
भ्रामक विज्ञापनों के आरोपों के बीच बाबा रामदेव की कंपनी ‘पतंजलि आयुर्वेद’ (Patanjali Ayurved) मुश्किल में फंस गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अदालत की अवमानना के नोटिस का जवाब नहीं देने पर 19 मार्च को कंपनी के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की।
इसके बाद कंपनी ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया और अपने उत्पादों और उनकी औषधीय प्रभावशीलता के बारे में भ्रामक दावों के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हलफनामे में पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी न किए जाएं।
हलफनामे में उल्लेख किया गया है कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के प्रावधान, जो जादुई इलाज के दावों के विज्ञापनों पर रोक लगाते हैं, ‘पुरातन’ हैं और कानून में आखिरी बदलाव तब किए गए थे जब ’आयुर्वेद अनुसंधान में वैज्ञानिक साक्ष्य की कमी थी। पतंजलि के पास अब आयुर्वेद में किए गए नैदानिक अनुसंधान के साथ साक्ष्य-आधारित वैज्ञानिक डेटा है, जो उक्त अनुसूची में उल्लिखित बीमारियों के संदर्भ में वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से हुई प्रगति को प्रदर्शित करेंगे।’
इसके साथ ही हलफनामे में यह भी कहा गया है, ‘उसी के प्रकाश में यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया गया है कि अभिसाक्षी की एकमात्र खोज प्रत्येक नागरिक के लिए बेहतर और स्वस्थ जीवन और जीवनशैली से संबंधित चिकित्सा जटिलताओं के लिए समग्र, साक्ष्य आधारित समाधान प्रदान करके देश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम करना है।’
मामले में अगली सुनवाई दो अप्रैल 2024 को होगी। बता दें कि नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘आईएमए’ द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी कर निर्देश दिया था कि वह कोई भी 'भ्रामक' विज्ञापन जारी न करे या एलोपैथी के प्रतिकूल बयान न दे। याचिका में ‘आईएमए‘ ने पतंजलि पर साक्ष्य आधारित दवा को बदनाम करने का आरोप लगाया था। ‘आईएमए‘ की याचिका में अदालत से टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ अपमानजनक अभियान और नकारात्मक विज्ञापनों को नियंत्रित करने का अनुरोध किया गया था।
27 फरवरी को पतंजलि एक बार फिर विवादों में आ गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश के उल्लंघन के लिए कंपनी और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया।
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