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प्रिंट मीडिया सेक्टर का विज्ञापन राजस्व 13-15% तक बढ़ने की उम्मीद

इस वित्तीय वर्ष प्रिंट मीडिया सेक्टर का विज्ञापन राजस्व 13-15% बढ़कर 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

इस वित्तीय वर्ष प्रिंट मीडिया सेक्टर का विज्ञापन राजस्व 13-15% बढ़कर 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा किए प्रिंट मीडिया कंपनियों के एनालेसिस के मुताबिक, प्रमुख क्षेत्रों में कॉरपोरेट्स द्वारा विज्ञापन पर अधिक खर्च और आगामी राज्यों व आम चुनावों के मद्देनजर सरकारी विज्ञापन खर्च में बढ़ोतरी से भारतीय प्रिंट मीडिया क्षेत्र के राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

इसमें कहा गया है कि अखबारी कागज की कीमतों में गिरावट के साथ-साथ, इस वित्तीय वर्ष में सेक्टर की प्रॉफिटिबिलिटी 1,000 बेसिस पॉइंट (बीपीएस) बढ़कर 14.5% हो जाएगी। सेक्टर के राजस्व का 40% से अधिक का हिसाब-किताब यही दर्शाता है।

वित्तीय वर्ष 2021 में महामारी के दौरान सेक्टर का राजस्व (विज्ञापनों और सब्सक्रिप्शंस के बीच 70:30 का विभाजन) 40% तक कम हो गया था। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022 और 2023 में इसमें क्रमशः 25% और 15% की उछाल देखी गई, क्योंकि आर्थिक सुधार के कारण दबी हुई डिमांड ने विज्ञापन खर्च को बढ़ावा दिया।

क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर नवीन वैद्यनाथन ने कहा कि घरेलू स्तर पर अधिक डिमांड किए जाने वाले कंज्युमर गुड्स, खुदरा, कपड़े और फैशन ज्वैलरी के साथ नए ऑटोमोबाइल की लॉन्चिंग, उच्च शिक्षा के लिए बढ़ती प्राथमिकता, ऑनलाइन शॉपिंग और बढ़ते रियल एस्टेट सेल्स– ऐसे सेक्टर्स हैं, जो प्रिंट मीडिया के विज्ञापन राजस्व में लगभग दो-तिहाई योगदान देते हैं। ये विज्ञापन राजस्व में वृद्धि की गति को जारी रखेंगे। आगामी चुनावों के मद्देनजर सरकार द्वारा अधिक विज्ञापन खर्च, जो सेक्टर के कुल विज्ञापन का पांचवां हिस्सा योगदान में देता है, भी ग्रोथ को बढ़ावा देगा। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि विज्ञापन राजस्व 15-17% तक बढ़ेगा, जो इस वित्तीय वर्ष में लगभग महामारी-पूर्व स्तर तक पहुंच जाएगा।

निरंतर सुधार भारत में प्रिंट मीडिया की स्थायी लोकप्रियता को इंगित करता है। इसे लो कवर प्राइजेस, होम डिलीवरी की सुविधा, मूल और विश्वसनीय सामग्री प्रदान करने की क्षमता और अच्छी पढ़ने की आदतों से लाभ मिलता है। पिछले दो वित्तीय वर्षों में सब्स्क्रिप्शन राजस्व में 8-10% की वृद्धि से पता चलता है कि पाठकों का एक बड़ा हिस्सा फिजिकल अखबार को ही प्राथमिकता देता रहा है।

इस वित्तीय वर्ष में, सब्सक्रिप्शन राजस्व 5-7% बढ़ने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण कवर की कीमतों में मध्यम संशोधन है। इसके अतिरिक्त, प्रिंट मीडिया कंपनियों, विशेष रूप से अंग्रेजी अखबारों ने प्रीमियम डिजिटल कंटेंट की मोनेटाइजिंग शुरू कर दी है, जिसमें अच्छा रुझान देखा जा रहा है। अंग्रेजी अखबारों की स्थानीय अखबारों की तुलना में डिजिटल प्रतिस्पर्धा ज्यादा है। अखबारों के प्रॉडक्शन के लिए प्रमुख कच्चे माल, अखबारी कागज की बढ़ती जरूरतों की वजह से प्रिंट मीडिया कंपनियों के सब्सक्रिप्शन ग्रोथ पर असर पड़ा है, जिसका प्रभाव इसकी प्रॉफिटिबिलिटी पर भी दिखा है। भारत अपनी कुल अखबारी कागजी आवश्यकता का आधे से अधिक आयात करता है और रूस, एक प्रमुख स्रोत है। रूस फरवरी 2022 से यूक्रेन के साथ युद्ध में व्यस्त है। संघर्ष तेज होने के कारण रसद गतिरोध के बीच माल ढुलाई दरें बढ़ गईं, जिसका प्रभाव पिछले वित्तीय वर्ष में अखबारी कागज की कीमतों पर भी पड़ा।

क्रिसिल रेटिंग्स के टीम लीडर रौनक अग्रवाल ने कहा कि अखबारी कागज की कीमतों में भारी उछाल से पिछले वित्त वर्ष में प्रिंट मीडिया कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 850 बीपीएस घटकर 4.5% रह गया है, फिर भले ही राजस्व में वृद्धि हुई हो। हालांकि, बीते कुछ महीनों में अखबारी कागज की कीमतों में गिरावट आई है, जोकि पिछले वित्तीय वर्ष के शिखर से 15-20% तक कम हुआ है और यह वैश्विक मांग में कमी और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों में कमी के कारण हुआ है। इससे, राजस्व वृद्धि के साथ, पिछले वित्तीय वर्ष के निम्न आधार पर इस वित्तीय वर्ष में मार्जिन 1,000 बीपीएस बढ़कर 14.5% हो जाना चाहिए। वित्तीय वर्ष के बीच में मार्जिन सही रहना चाहिए, लेकिन अतीत के 20% से अधिक के स्टेट मार्जिन से यह नीचे रहेगा। फिलहाल अखबारी कागज की कीमतों में किसी भी महत्वपूर्ण वृद्धि या सेक्टर की ग्रोथ और प्रॉफिटिबिलिटी को प्रभावित करने वाले व्यापक आर्थिक कारकों पर नजर रहेगी। 


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