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सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन करने से रोका, दिया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस जारी किया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 7 months ago
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण को अवमानना का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस भ्रामक विज्ञापनों पर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने को लेकर जारी किया है। इससे पहले कोर्ट ने पतंजलि को अपने औषधीय उत्पादों के बारे में बड़े-बड़े दावे करने वाले विज्ञापन देने से रोका था, लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया, जिसके बाद कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया।
दरअसल, एलोपैथी के खिलाफ गलत सूचना के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऐसा किया था।
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने फिलहाल पतंजलि आयुर्वेद को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 में निर्दिष्ट बीमारियों/विकारों को संबोधित करने के उद्देश्य से अपने उत्पादों का विज्ञापन या ब्रैंडिंग करने से रोक दिया है।
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादियों को अगले आदेश तक नियमों के अनुसार बीमारियों/बीमारियों के इलाज के रूप में निर्दिष्ट उनके विपणन किए गए औषधीय उत्पादों के विज्ञापन और ब्रैंडिंग से रोका जाता है। उन्हें प्रिंट या अन्य मीडिया में किसी भी रूप में किसी भी चिकित्सा प्रणाली के प्रतिकूल कोई भी बयान देने से सावधान किया जाता है।
खंडपीठ ने कहा कि पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने प्रोडक्ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकती।
खंडपीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर को नोटिस जारी किया और पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न की जाए। कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ी नाराजगी जताई।
IMA के वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने बताया कि पतंजलि ने दावा किया था कि योग अस्थमा और डायबिटीज को 'पूरी तरह से ठीक' कर सकता है। पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने IMA की ओर से दायर एक याचिका के बाद भ्रामक विज्ञापनों को लेकर केंद्र से परामर्श और गाइडलाइंस जारी करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत क्या कार्रवाई की गई है। केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया।
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