होम / ऐड वर्ल्ड / जानिए, पॉलिटिकल कैंपेंस के लिए Meta क्यों बनती जा रही पहली पसंद

जानिए, पॉलिटिकल कैंपेंस के लिए Meta क्यों बनती जा रही पहली पसंद

नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बीच पॉलिटिकल पार्टियां अपना प्रचार प्रसार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं, विशेषकर डिजिटल माध्यमों पर।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 11 months ago

तंजिला शेख, कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।

नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम शामिल हैं। इस बीच पॉलिटिकल पार्टियां अपना प्रचार प्रसार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं, विशेषकर डिजिटल माध्यमों पर। शोध से पता चला है कि मेटा ने खुद को इन पार्टियों के लिए एक साथ कई कैंपेन चलाने और लाखों लोगों तक पहुंच बनाने के लिए एक खुद को तैयार किया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मेटा पर एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते देखा जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस ने भी मेटा पर अब ज्यादा निवेश किया है।

पॉलिटिकल कैंपेन के लिए एक मंच के तौर पर मेटा पर अंतर्दृष्टि साझा करते हुए ग्रेप्स की को-फाउंडर और सीईओ श्रद्धा अग्रवाल कहती हैं कि पॉलिटिकल पार्टियों द्वारा मेटा, या सामान्य रूप से डिजिटल माध्यमों को प्राथमिकता देना, पारंपरिक माध्यमों को खारिज करना नहीं है, बल्कि विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य और ऑनलाइन जुड़ाव के बढ़ते महत्व के लिए एक यह रणनीतिक कदम है।

नंबर का खेल

डेटा हमें बताते हैं कि 5,17,32,025 रुपये के साथ मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा निवेश किया किया जाने वाला राज्य है, इसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना हैं। जहां भाजपा ने लगभग 6 करोड़ रुपये का निवेश किया है, वहीं कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के लिए सबसे अधिक निवेश वाले कैपेंस पर अब तक 2 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

बीजेपी के कैंपेन में छत्तीसगढ़िया चौपाल, करप्शनाथ, एमपी के मन में मोदी और नहीं सहेगा राजस्थान शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक की दर्शक संख्या प्रति दिन 1 मिलियन तक है। पार्टी जनसंपर्क एमपी (Jansampark MP) में भी काफी निवेश कर रही है।

कांग्रेस के जिन कैंपेंस ने हमारा ध्यान खींचा, उनमें काका अभी जिंदा है और भूपेश है तो भरोसा है शामिल हैं।

मेटा क्यों? 

एक्सचेंज4मीडिया ने LS डिजिटल में क्रिएटिव, सोशल मीडिया और डिजाइन के सीसीओ और सीनियर वाइस प्रेजिडेंट मनेश स्वामी से पूछा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में मेटा पॉलिटिकल कैंपेंस के लिए पसंदीदा क्यों है। “इस समय सबसे प्रासंगिक मंच कौन सा है? जवाब में उन्होंने कहा कि मेटा के प्रॉडक्ट्स हैं। पहले इंस्टाग्राम  और फिर इसके बाद फेसबुक। अधिकतम दर्शक अभी भी फेसबुक पर सक्रिय हैं, और यह एक 'विशाल' मंच है।

यदि आप देखें, तो यह मंच बातचीत और बहस को लेकर अधिक है। मुझे नहीं पता कि यह किसी भी बड़े ब्रैंडिंग कम्युनिकेशन के लिए अभी भी कैसे प्रासंगिक है। मैंने हाल के दिनों में वहां से कोई बड़ा ब्रैंडिंग कम्युनिकेशन निकलते नहीं देखा है। इक्विटी कम होती जा रही है और जो ब्रैंड बढ़ रहे हैं, वे इस पर विचार भी नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर, मेटा अपने नए टूल और ऐड मैनेजर्स के साथ लगातार कुछ नया कर रहा है, यह एक मीडिया-अनुकूल मंच है। 

रीच को लेकर अपने विचार साझा करते हुए स्वामी ने कहा कि मेटा के साथ मैं हाइपरलोकल जा सकता हूं, यहां तक कि बीटा टेस्टिंग भी चल रही है। इसीलिए प्रमुख पॉलिटिकल ब्रैंड वहां जाना पसंद कर रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म की डेटा पारदर्शिता भी बहुत दिलचस्प है। मैं डेमोग्राफिक्स आधार पर बहुत ही विशिष्ट दर्शकों को टार्गेट कर सकता हूं।  

इसी तरह से श्रद्धा अग्रवाल ने भी कहा कि इंटरनेट की रीच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और सोशल मीडिया के उपयोग का भी इस्तेमाल बढ़ा है। मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पॉलिटिकल पॉर्टियों के लिए अपने संदेश फैलाने और वोटर्स बेस के आधार पर विशेषकर युवा पीढ़ी के वोटर्स के साथ जुड़े रहने के लिए शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरे हैं। जैसे-जैसे अधिकांश लोग न्यूज, इनफॉर्मेशन और एंटरटेनमेंट के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर रुख कर रहे हैं, वैसे-वैसे पॉलिटिकल पार्टीज भी अपनी आउटरीच स्ट्रैटजी को स्वीकार करने की जरूरतों को पहचान रही हैं।  


टैग्स मेटा पॉलिटिकल पार्टी
सम्बंधित खबरें

सुनील कटारिया को फिर मिली ‘इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ की कमान

सुनील कटारिया को राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें बिजनेसवर्ल्ड द्वारा ‘देश के टॉप 30 बिजनेस लीडर्स 2020’ की लिस्ट में 26वां स्थान मिला था।

2 days ago

ग्रुप एम मीडिया के साउथ एशिया के CEO प्रशांत कुमार फिर बने AAAI के अध्यक्ष

ग्रुप एम मीडिया (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के साउथ एशिया के सीईओ प्रशांत कुमार को एक बार फिर ऐडवरटाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAAI) का अध्यक्ष चुना गया है। 

6 days ago

राणा बरुआ को फिर मिली ‘The Advertising Club’ की कमान

हवास इंडिया, साउथ ईस्ट और नॉर्थ एशिया के ग्रुप सीईओ राणा बरुआ को ‘दि ऐडवर्टाइजिंग क्लब’ की वार्षिक आमसभा में एक बार फिर प्रेजिडेंट पद के लिए चुना गया है।

1 week ago

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के चेयरमैन बने पार्थ सिन्हा

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद ने बुधवार को हुई अपनी 38वीं वार्षिक आम बैठक के बाद आयोजित बोर्ड बैठक में पार्थ सिन्हा को 2024-25 के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का चेयरमैन नियुक्त किया है।

04-September-2024

दुनिया को अलविदा कह गए ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री के खिलाड़ी अंकुर भट्ट

मार्केटिंग व ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री के दिग्गज अंकुर भट्ट का निधन हो गया है। वह दैनिक जागरण में स्ट्रैटजी व ब्रैंड डेवलपमेंट की भूमिका निभा चुके हैं।

02-September-2024


बड़ी खबरें

वरिष्ठ TV पत्रकार अभिषेक उपाध्याय का क्या है ‘TOP सीक्रेट’, पढ़ें ये खबर

अभिषेक उपाध्याय ने अपने ‘एक्स’ (X) हैंडल पर इस बारे में जानकारी भी शेयर की है। इसके साथ ही इसका प्रोमो भी जारी किया है।

1 day ago

‘दैनिक भास्कर’ की डिजिटल टीम में इस पद पर है वैकेंसी, जल्द करें अप्लाई

यदि एंटरटेनमेंट की खबरों में आपकी रुचि है और आप मीडिया में नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है।

1 day ago

इस बड़े पद पर फिर ‘एबीपी न्यूज’ की कश्ती में सवार हुईं चित्रा त्रिपाठी

वह यहां रात नौ बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करेंगी। चित्रा त्रिपाठी ने हाल ही में 'आजतक' में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह यहां एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

2 days ago

’पंजाब केसरी’ को दिल्ली में चाहिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर, यहां देखें विज्ञापन

‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) दिल्ली समूह को अपनी टीम में पॉलिटिकल बीट पर काम करने के लिए एंकर/कंटेंट क्रिएटर की तलाश है। ये पद दिल्ली स्थित ऑफिस के लिए है।

2 days ago

हमें धोखा देने वाले दलों का अंजाम बहुत अच्छा नहीं रहा: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

जिसकी सीटें ज़्यादा उसका सीएम बनेगा, इतने में हमारे यहाँ मान गये होते तो आज ये हाल नहीं होता, जिस चीज के लिए गये थे उसी के लाले पड़ रहे हैं।

2 days ago