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न्यूज चैनलों का सवाल- सरकारी ऐड के लिए BARC जरूरी क्यों?

'ऑल इंडिया न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टर्स एसोसिएशन' (AINBA) ने 'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण'...

समाचार4मीडिया ब्यूरो 6 years ago

निशांत सक्‍सेना ।।

'ऑल इंडिया न्‍यूज ब्रॉडकास्‍टर्स एसोसिएशन' (AINBA) ने 'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण' (TRAI) से कहा है कि सरकारी विज्ञापन प्राप्‍त करने के लिए टीवी चैनलों के लिए बार्क (BARC) की रेटिंग अनिवार्य नहीं होनी चाहिए।

गौरतलब है कि 'AINBA' में देशभर के 20 से ज्‍यादा छोटे और मंझोले न्‍यूज चैनल शामिल हैं। इनमें 'टीवी 100 न्‍यूज', 'टोटल टीवी', 'ताजा टीवी',  'चैनल2', 'SMBC Insight', 'खबरें अभी तक', 'फास्‍ट न्‍यूज' और 'आजाद टीवी' जैसे चैनल शामिल हैं।

लैंडिंग पेज पर टीवी चैनलों को रखे जाने के मुद्दे पर 'ट्राई' की ओर से बुलाई गई खुली परिचर्चा (open house discussion) में 'AINBA' के प्रेजिडेंट एसके गुप्‍ता ने कहा, 'हमारे किसी भी मेंबर की बार्क रेटिंग में दिलचस्‍पी नहीं है, क्‍योंकि हममें से कोई यह नहीं मानता है कि ऐडवर्टाइजर्स बार्क की रेटिंग देखकर विज्ञापन देते हैं। ऐडवर्टाइजर्स क्षेत्र में अपना मूल्‍यांकन करने के बाद चैनलों को विज्ञापन देते हैं। ऐसे में बार्क की बाध्‍यता गैरवाजिब है और चैनलों को इसे बेकार में भुगतान करना पड़ता है।'

उन्‍होंने कहा कि सभी लोग बार्क के पास सिर्फ इसलिए जाते हैं ताकि उन्‍हें 'डीएवीपी' विज्ञापन मिल सकें। यदि हमें सरकार के साथ मिलकर काम करना है तो हमें डीएवीपी विज्ञापन लेने होंगे और जब हम उसके लिए जाएंगे तो हमसे बार्क के पास जाने के लिए कहा जाएगा। इसलिए सभी के लिए डीएवीपी विज्ञापनों के लिए बार्क की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।     

यह मांग उठने के बाद 'ट्राई' के सचिव सुनील कुमार गुप्‍ता ने पूछा कि आप इस मीटिंग में इतनी महत्‍वपूर्ण बात कह रहे हैं, ऐसे में क्‍या आपने अन्‍य लोगों से मशविरा कर लिया है। इस पर 'AINBA' प्रेजिडेंट ने कहा कि वे इस बारे में सूचना-प्रसारण मंत्रालय को लिखित में दे चुके हैं।   

इस दौरान वहां मौजूद बार्क के प्रतिनिधियों ने कहा कि बार्क एक वैकल्पिक सेवा है। जो चैनल चाहते हैं कि उनके आंकड़ों को मापा जाए, वे इसे ले सकते हैं। हालांकि इस बारे में हमारी सहयोगी वेबसाइट एक्‍सचेंज4मीडिया (exchange4media) की ओर से भेजे गए ई-मेल का बार्क की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। वहीं डीएवीपी ने भी इस बारे में कोई टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया।  

गौरतलब है कि 31 अगस्‍त 2017 को एक प्रावधान के जरिए सरकार ने चैनलों के लिए डीएवीपी विज्ञापन हासिल करने के लिए बार्क की रेटिंग अनिवार्य कर दी है। यदि चैनल बार्क के व्‍युअरशिप डाटा को शो नहीं करता है तो उसे डीएवीपी के विज्ञापन नहीं मिलते हैं। सरकार के इस निर्णय से कई टीवी चैनल खुश नहीं हैं। पिछली साल सितंबर और दिसंबर में 'AINBA' ने इस मुद्दे को लेकर सूचना-प्रसारण मंत्रालय को दो पत्र भी लिखे थे।

इस पत्र में कहा गया था कि बार्क ने भी 'TAM' जैसी पॉलिसी अपनाई हुई है जिसमें मॉनी‍टरिंग को कुछ हिस्‍सों जैसे (उत्‍तराखंड-यूपी), (हिमाचल, चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा) में विभाजित कर दिया था। इन स्‍थानों पर मॉनीटरिंग सिस्‍टम काफी दोषपूर्ण है।  

12 दिसंबर 2017 को मंत्रालय को लिखे पत्र में 'AINBA' का यह भी कहना था कि सभी चैनल 'बार्क' की जगह 'इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया मॉनीटरिंग सेंटर' (EMMC) को मॉनीटरिंग चार्ज देने में प्राथमिकता देंगे। दरअसल, 'EMMC' सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्‍थ काम करने वाला कार्यालय है। इसका काम टेलिविजन चैनलों के कंटेंट पर नजर रखना और नियम-कानूनों की अवहेलना मिलने पर मंत्रालय को सूचित करना होता है।

 

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