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गांधीजी की हत्या के पूरे कालखंड से रूबरू करवाती है प्रखर श्रीवास्तव की किताब 'हे राम'
लेखक ने एक अध्याय में बिंदुवार तरीके से यह समझाने की कोशिश की है कि गांधीजी की हत्या को रोका जा सकता था। प्रखर श्रीवास्तव वर्ष 2005 से ही गांधी हत्याकांड से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर कार्य कर रहे हैं।
आनंद पाराशर 4 months ago
30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। वह एक ऐसी घटना है, जिसने इस देश की राजनीति और समाज दोनों को प्रभावित करने का काम किया। अफ़सोस की बात यह रही कि आजादी के इतने सालों के बाद भी उस घटना को पूर्ण रूप से समझने के लिए कोई प्रामाणिक दस्तावेज तैयार नहीं हुआ। पत्रकार और लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने अपनी किताब 'हे राम' में महात्मा गांधी की हत्या की प्रामाणिक पड़ताल करने की कोशिश की है। प्रखर श्रीवास्तव ने इस पुस्तक को 2 खंड और 35 अध्याय में विभाजित किया है।
पहले खंड में उन्होंने आजादी के आंदोलन का अंतिम दौर, मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग, सांप्रदायिक दंगे, देश का विनाशकारी विभाजन, लुटे-पिटे शरणार्थियों की समस्या, मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये गांधी का हठ जैसे कई मसलों पर बात की है। ऐसा प्रतीत होता है कि उस समय गांधीजी की हत्या के पीछे ये कारण रहे हों।
वही दूसरे खंड में लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने अद्भुत रूप से उस कालखंड का सजीव लेखन किया है। आखिर क्यों गांधीजी को मारा किया? नाथूराम गोडसे को बंदूक किसने दी? आखिर कौन कौन से किरदार उन घटनाओं से जुड़े हुए थे? गांधीजी के हत्या के बाद कैसे अहिंसा की बात करने वाले कांग्रेस के लोगों ने ब्राह्मण नरसंहार किया, वीर सावरकर कैसे इन सबमें शामिल हो गए? जैसी घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।
इतना ही नहीं इस हत्याकांड के कई ऐसे तथ्य और राज़ हैं जो कभी सामने ही नहीं आये, या फिर आने नहीं दिये गये। यह किताब उन रहस्यों से भी पर्दा उठाती हुई नज़र आ रही है। लेखक ने इस पुस्तक को लिखने के लिए एक दशक से भी अधिक समय तक शोध किया है इसलिए यह किताब बहुत अच्छे लेखन की गवाह बनी है। लेखक ने पुलिस की तमाम छोटी-बड़ी जांच रिपोर्ट, केस डायरी, गवाहों के बयान और पूरी अदालती कार्यवाही से जुड़े हज़ारों पन्नों का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है।
लेखक ने एक अध्याय में बिंदुवार तरीके से यह समझाने की कोशिश की है कि गांधी जी की हत्या को रोका जा सकता था। बता दें कि प्रखर श्रीवास्तव वर्ष 2005 से ही गांधी हत्याकांड से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर कार्य कर रहे हैं। इसी साल उन्होंने ज़ी न्यूज़ के लिए गांधी हत्याकांड पर एक विशेष शो बनाया था। इसी विषय पर वह एनडीटीवी इंडिया, इंडिया न्यूज़, न्यूज़ 24 और कैपिटल टीवी में भी कई शो बना चुके हैं।
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