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कश्मीर के मुद्दे पर पीएम मोदी के फैसले का अखबार ने कुछ यूं किया समर्थन
कहा-जम्मू-कश्मीर के विकास और उसके बेहतर भविष्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है यह कदम, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की जमकर की खिंचाई
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) ने पहली बार भारत का समर्थन किया है। इसके साथ ही भारत के विरोधी माने जाने वाले इस अखबार ने कश्मीर में मुस्लिमों के जनसंहार का दुष्प्रचार करने पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की जमकर खिंचाई भी की है।
दैनिक जागरण की वेबसाइट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के प्रख्यात विश्लेषक रोजर कोहेन (Roger Cohen) ने न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में लिखा है, 'जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर भारत ने इसे अपना अभिन्न हिस्सा बना लिया है। ये फैसला जम्मू-कश्मीर के विकास और उसके बेहतर भविष्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी इस फैसले को किसी भी सूरत में वापस लेने वाले नहीं हैं।' न्यूयॉर्क टाइम्स ने पहली बार अपने किसी लेख में भारत के इस कदम का समर्थन किया है।
रोजर कोहेन के अनुसार, 'मोदी कश्मीर की स्वायत्ता को खत्म करने के फैसले से पीछे नहीं हटेंगे। भारतीय इतिहास का वह दौर खत्म हो चुका है। मैं ये दावा कर सकता हूं कि मोदी सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसले, नए व एकीकृत कश्मीर क्षेत्र सहित पूरे भारत की तस्वीर बदलने वाले हैं।' कोहेन ने इसके साथ ही पाकिस्तान के लिए लिखा है कि उन्हें भारत के इस फैसले को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। कोहेन ने ये लेख इमरान-ट्रंप की सोमवार को हुई मुलाकात से कुछ घंटे पहले ही लिखा था।
कोहेन ने आगे लिखा है, 'ह्यूस्टन में आयोजित हाउडी मोदी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कश्मीर मुद्दे पर भारत के कदम का समर्थन कर चुके हैं। ये सच है कि भारत के इस फैसले के बाद से कश्मीर में रक्तपात कम हुआ है। इसके बावजूद पाकिस्तान लगातार कश्मीर में नरसंहार बढ़ने के झूठे आरोप लगा रहा है। सवाल ये है कि क्या मोदी के पास कश्मीर मुद्दे पर कोई विकल्प था? क्या अस्थाई रूप से लागू किया गया अनुच्छेद 370 कभी भी कश्मीर द्वारा समाप्त किया जाता? क्या कभी ऐसा होता कि स्थानीय भ्रष्ट राजनेता व सक्षम लोग कश्मीरी जनता के गले मिलते और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करते? मुझे लगता है कि अब ये हो सकता है।'
न्यूयॉर्क टाइम्स में कश्मीर मुद्दे पर समर्थन भरा ये लेख सोमवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की डोनाल्ड ट्रंप व दुनिया के अन्य नेताओं संग संयुक्त राष्ट्र महासभा में होने वाली मुलाकात से ठीक पहले आया है। रोजर कोहेन ने अपने लेख में उम्मीद जताई है कि इस मुलाकात में भी पाकिस्तान, कश्मीर मुद्दे को जरूर उठाएगा। कोहेन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के रवैये पर तीखी टिप्पणी करते हुए उनकी प्रतिक्रिया को जंगली करार दिया है।
रोजर कोहेन के अनुसार, ‘पाकिस्तान द्वारा बार-बार भारत को परमाणु युद्ध की धमकी देना उसकी लापरवाही को दर्शाता है। परमाणु युद्ध पाकिस्तान का ऐसा झांसा है, जिसके चक्कर में अब भारत आने वाला नहीं है। अमेरिकी विश्लेषक ने अपने लेख में इस बात की भी आशंका जताई है कि पाकिस्तान वास्तव में कश्मीर मुद्दे का कोई हल चाहता भी है या नहीं। इसकी वजह ये है कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर में लगातार सैन्य बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। पाकिस्तान के सामने अब भी बड़ा प्रश्न है कि क्या उसकी खुफिया एजेंसियों ने भारत के खिलाफ इस्लामिक कट्टरपंथियों का प्रयोग बंद कर दिया है? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का ये बयान कि कश्मीर मुद्दे पर अगर दुनिया ने साथ नहीं दिया तो परमाणु शक्ति क्षेत्र में कुछ भी हो सकता है, गैरजिम्मेदाराना है।
पाकिस्तान जब-जब भारत पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाता है, वह खुद घिर जाता है। दरअसल पाकिस्तान में अल्पसंखयक और हिंदू महिलाओं पर होने वाले अमानवीय अत्याचार दुनिया से छिपे नहीं हैं। इसकी वजह से पाकिस्तान को कुछ दिनों पहले ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) में भी मुसीबत का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान यहां पर कश्मीर में मुस्लिमों के उत्पीड़न और नरसंहार के झूठे सबूतों के आधार पर घेरने का नाकाम प्रयास कर रहा था।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाकर कर विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर का दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर को पहला केंद्र शासित और लद्दाख को अलग दूसरा केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की व्यवस्था की गई है, लेकिन लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं होगी। भारत के इस फैसले के बाद से ही पाकिस्तान बिलबिलाया हुआ है। जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने के फैसले को पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा चुका है।
पाकिस्तान को भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिम देशों समेत किसी अन्य देश का साथ नहीं मिला है। उल्टा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों के अलावा देश के अंदर भी कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पहले बालाकोट एयर स्ट्राइक, फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव में विंग कमांडर अभिनंदन को मुक्त करना और उसके बाद जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर पाकिस्तान खुद को हारा हुआ महसूस कर रहा है। यही वजह है कि बदला लेने के लिए वह कभी सोशल मीडिया पर तो कभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है, तो कभी सीमापार से सीज फायर उल्लंघन और आतंकी घुसपैठ की नाकाम कोशिशों में लगा हुआ है।
जम्मू-कश्मीर समेत तमाम मुद्दों पर हारा हुआ महसूस कर रहा पाकिस्तान अब दुनिया के तमाम ताकतवर देशों से मध्यस्थता की गुहार लगा रहा है। एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने उनके सामने फिर से मध्यस्थता का मुद्दा उठाया। इस पर ट्रंप ने उन्हें साफ इनकार कर दिया है। ट्रंप ने इमरान खान को सलाह दी है कि दोनों देश बातचीत के जरिए आपसी मुद्दों को सुलझाएं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर पहले ही ट्रंप की मध्यस्थता को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने पूर्व में ट्रंप संग हुई मुलाकात में भी इसे लेकर स्पष्ट संदेश दे दिया था। इतना ही नहीं रविवार को ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी मोदी' (Howdy Modi) कार्यक्रम में भी ट्रंप और मोदी ने बिना पाकिस्तान का नाम लिये, उस पर जमकर हमला किया।
आप इस रिपोर्ट को दैनिक जागरण के ट्विटर अकाउंट पर जाकर भी पढ़ सकते हैं।
#Article370 हटाने पर भारत के धुर विरोधी अखबार का समर्थन, पाक पीएम को बताया 'जंगली'#pakistan #ImranKhan https://t.co/P9p0B1cXep
— Dainik jagran (@JagranNews) September 24, 2019
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