होम / डिजिटल / सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा, डिजिटल मीडिया को लेकर कही ये बात
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा, डिजिटल मीडिया को लेकर कही ये बात
‘सुदर्शन न्यूज’ के एक कार्यक्रम को लेकर पिछले कुछ दिनों से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच कोर्ट के साथ-साथ देशभर में मीडिया के रेगुलेशन को लेकर बहस तेज हो गई है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
‘सुदर्शन न्यूज’ के एक कार्यक्रम को लेकर पिछले कुछ दिनों से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच कोर्ट के साथ-साथ देशभर में मीडिया के रेगुलेशन को लेकर बहस तेज हो गई है। इन सबके बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि डिजिटल मीडिया हिंसा और जहरीली नफरत फैला रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दायर एक हलफनामे में सरकार का यह भी कहना है कि पूरी तरह अनियंत्रित डिजिटल मीडिया लोगों की प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर रहा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ के समक्ष सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से दाखिल इस हलफनामे में कहा गया है कि डिजिटल मीडिया नियमन (रेगुलेशन) पर विधायिका को परीक्षण करना चाहिए। सिविल सेवा में अल्पसंख्यक समुदाय की घुसपैठ से संबंधित चैनल के विवादास्पद कार्यक्रम ‘यूपीएससी जेहाद’ से संबंधित मामले में दिए गए जवाब में सरकार ने कहा है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए विनियमन की जरूरत नहीं है। अगर फिर भी अदालत को लगता है कि इनमें विनियमन की जरूरत है तो वह इसकी शुरुआत डिजिटल मीडिया से करें। इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
हलफनामे के अनुसार, ‘शीर्ष अदालत को या तो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नए दिशा-निर्देश बनाने की जिम्मेदारी विधायिका या सक्षम अथॉरिटी पर छोड़ देना चाहिए या उसे पहले डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने की कवायद करनी चाहिए।’
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि चैनलों के स्व विनियमन के नियम को और कैसे मजबूत किया जा सकता है। इस बारे में खंडपीठ का कहना था, ‘उसे किसी टीवी चैनल के लिए प्रोग्राम कोड का समर्थक नहीं बनना है, बल्कि उसे संविधान में निहित मानवीय गरिमा, स्वतंत्रता और समानता की रक्षा करना है। पीठ ने कहा कि यह एक दुर्लभ सांविधानिक शक्ति है, जिसे ज्यादा सावधानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हमारे अधिकार क्षेत्र का वहां इस्तेमाल नहीं होता जब वैकल्पिक नागरिक और व्यक्तिगत उपाय मौजूद हों।’
टैग्स डिजिटल मीडिया सुप्रीम कोर्ट