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IT नियमों में संशोधन के प्रस्ताव पर NBDA ने जताई चिंता, की वापस लेने की मांग
NBDA ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आईटी नियम, 2021 के प्रस्तावित संशोधन पर चिंता व्यक्त की और इसे वापस लेने की मांग की।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश व डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के प्रस्तावित संशोधन पर चिंता व्यक्त की और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंटने वाला करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की।
बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 17 जनवरी को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया, जिसे पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेकिंग इकाई द्वारा ‘फर्जी (फेक)’ मानी गई किसी भी खबर को सोशल मीडिया मंचों समेत सभी मंचों से हटाना पड़ेगा। ऐसी सामग्री, जिसे ‘फैक्ट-चेकिंग के लिए सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी’ या ‘केंद्र के किसी भी कार्य के संबंध में’ भ्रामक के रूप में चिह्नित किया गया है, उसे ऑनलाइन मंचों पर अनुमति नहीं दी जाएगी।
एनबीडीए ने जारी किए एक प्रेस नोट में कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) इस बात पर चिंता व्यक्त करता है कि प्रस्तावित संशोधन संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत मीडिया को बोलने से रोकता है व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करता है।
एनबीडीए ने कहा कि यह देखा गया है कि उपरोक्त नियम में संशोधन बिना किसी जांच के सरकार को ऐसी शक्तियां प्रदान करता है, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंट देगा और मीडिया पर इसका प्रभाव पड़ेगा और यह पीआईबी व केंद्र सरकार को बिना किसी जांच के डिजिटल समाचार सामग्री को विनियमित करने का बेरोकटोक अधिकार देता है।
एसोसिएशन ने आगे कहा कि प्रस्तावित संशोधन सीधे समाचार मीडिया को प्रभावित करेंगे क्योंकि पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) या किसी अन्य एजेंसी द्वारा मध्यस्थ संस्थानों को न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों का पालन किए बिना कथित फर्जी समाचार सामग्री को हटाने के लिए मजबूर या निर्देशित किया जा सकता है।
एनबीडीए ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संशोधन वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा कि न्यूज मीडिया को विनियमित करने के लिए पर्याप्त कानून, विनियम और वैधानिक निकाय हैं और इस तरह के संशोधन से सरकार द्वारा अत्यधिक विनियमन होगा, जो ‘न तो वांछनीय और न ही स्वीकार्य’ है। एनबीडीए ने कहा, ‘संविधान में इस तरह की सेंसरशिप की परिकल्पना नहीं की गई है।’
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