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SC का विभिन्न हाई कोर्ट में नए IT नियमों के खिलाफ दर्ज मामलों में हस्तक्षेप करने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विभिन्न हाई कोर्ट में नए आईटी नियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को विभिन्न हाई कोर्ट में नए आईटी नियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

कार्यवाही की बहुलता का हवाला देते हुए केंद्र ने सभी याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली, बॉम्बे, मद्रास और केरल हाई कोर्ट में दायर की गई हैं, जिस पर सुनवाई चल रही है।

केंद्र ने अपनी याचिका में कहा, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को विनियमित करने का मुद्दा शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है।

बता दें उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं में फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया फर्मों के साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के उद्देश्य से लाए गए नए आईटी नियमों को चुनौती दी गई है

न्यायमूर्ति ए। एम। खानविलकर और संजीव खन्ना ने इस तरह के सभी मामलों को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन द्वारा दायर एक अपील के साथ टैग किया, जो अदालत के समक्ष लंबित है।

पीठ ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का निर्देश देने से भी इनकार कर दिया।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष आईटी नियमों को चुनौती देने वाले मामले लंबित हैं। पीठ ने जवाब दिया, हम एक लंबित एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) के साथ टैग करेंगे। पीठ ने कार्यवाही पर रोक लगाने के केंद्र के अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया।

पीठ ने कहा, हम आज उस आदेश को पारित नहीं करेंगे। हम सिर्फ 16 जुलाई को उपयुक्त पीठ के समक्ष टैगिंग और सूची कर रहे हैं। इसके बाद बेंच ने स्थानांतरण याचिका को स्पेशल लीव पिटीशन के साथ टैग किया और 16 जुलाई के लिए उपयुक्त बेंच के सामने भेजा है।

केंद्र ने अपनी याचिका में कहा कि सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने से नए आईटी नियमों की वैधता पर व्यापकता, कार्यवाही की बहुलता और अलग-अलग न्यायिक विचारों से बचा जा सकेगा।

केंद्र ने तर्क दिया कि यदि व्यक्तिगत याचिकाओं पर उच्च न्यायालयों द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया जाता है, तो इसका परिणाम उच्च न्यायालय और इस अदालत के निर्णयों के बीच संघर्ष की संभावना में हो सकता है।

केंद्र ने प्रस्तुत किया, याचिकाकर्ता द्वारा उक्त नियमों को पहले ही इस अदालत के रिकॉर्ड में रखा जा चुका है और उनकी पर्याप्तता, वैधता और अन्य संबंधित मुद्दे इस अदालत के समक्ष विचाराधीन हैं।

आईटी नियमों को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह सरकार को डिजिटल न्यूज पोर्टल्स पर सामग्री को वर्चुअली निर्देशित करने में सक्षम बनाता है।

नए आईटी नियमों (New IT Rules) के तहत भारतीय यूजर्स की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए प्रमुख सोशल मीडिया (Social Media) कंपनियों में शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जरूरी है। नए नियमों के तहत इस माइक्रोब्लॉगिंग मंच को मध्यस्थ के तौर पर मिली कानूनी राहत समाप्त हो गई है और ऐसे में वह यूजर द्वारा डाली गई किसी भी गैरकानूनी पोस्ट के लिये उत्तरदायी होगा। नए नियम 26 मई से प्रभावी हो गए हैं और ट्विटर ने दिए गए अतिरिक्त समय के बीत जाने के बाद भी, उन अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की है जिससे उसे मिली प्रतिरक्षा खत्म होती है।

नए सोशल मीडिया नियमों को लेकर डिजिटल क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी ट्विटर का भारत सरकार के साथ टकराव चल रहा है। भारत सरकार ने देश के नए आईटी नियमों की जानबूझ कर अनदेखी और कई बार कहे जाने के बावजूद नियमों के अनुपालन में नाकामी को लेकर उसकी आलोचना की है।

बता दें नवनियुक्त सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को लेकर कहा है कि जो कोई भारत में रहता है और काम करता है, उसे देश के नियमों का अनुपालन करना होगा


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