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OTT प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण मामले में SC ने HC में चल रही सुनवाई पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्लेटफॉर्म्स पर परोसी गई सामग्री यानी का कंटेंट को नियंत्रित करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट समेत अन्य हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago

सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्लेटफॉर्म्स पर परोसी गई सामग्री यानी का कंटेंट को नियंत्रित करने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट समेत अन्य हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, तो कोई भी हाई कोर्ट मामले की सुनवाई नहीं करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर उठाया। दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से यह मांग की है इस मामले की सुनवाई होली के बाद की जाए, तब तक इस मामले में लंबी बहस की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई होली के दूसरे हफ्ते में करेगा।

वहीं सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में वह तभी आगे कार्यवाही करेगी, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक नहीं लगाई जाती। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि ट्रांसफर पिटीशन (सुनवाई को टालने की याचिका) पर नोटिस जारी किया जाना तकनीकी तौर पर हाई कोर्ट में लंबित मामले में रोक लग जाना होता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा देंगे। मामले को तब तक ट्रांसफर नहीं किया जाएगा, जब तक इस मामले में नोटिस की कार्यवाही पूरी नहीं हो जाती।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को होली के बाद दूसरे हफ्ते तक टालते हुए आदेश दिया कि ‘देश की अलग-अलग हाई कोर्ट में OTT के मामलों पर 15 से 20 याचिकाएं लंबित हैं और हम उन सभी मामलों की सुनवाई और प्रक्रिया पर रोक लगाते हैं, जो हाई कोर्ट में लंबित हैं। याचिकाकर्ता सूचना-प्रसारण मंत्रालय के जवाब पर अपना जवाब दाखिल करें।’

दरअसल, याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा ने अपनी याचिका में कहा कि OTT प्लेटफॉर्म में लगातार ऐसे कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं, जो सामाजिक और नैतिक मानदंडों के मुताबिक नहीं हैं। 

याचिकाकर्ता के मुताबिक, कुछ कार्यक्रमों में सैन्य बलों (Military Forces) तक का गलत चित्रण किया गया है। इसलिए, एक स्वायत्त संस्था का गठन किया जाए जो OTT के कार्यक्रमों की निगरानी कर सके। याचिका के मुताबिक, केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने OTT प्लेटफॉर्म्स को उन बातों की एक लिस्ट सौंपी थी, जिन्हें कार्यक्रमों में नहीं दिखाया जा सकता, लेकिन उसका पालन नहीं किया जा रहा।

याचिका में कहा गया है कि नेटफ्लिक्स, एमॉन प्राइम, हॉट स्टार, ऑल्ट बालाजी जैसे 15 बड़े प्लेटफॉर्म्स ने मिलकर खुद पर नियंत्रण के लिए एक संस्था बनाई, लेकिन संस्था का कामकाज संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि वह OTT प्लेटफॉर्म्स में दिखाई जा रही सामग्री पर नियंत्रण के लिए किस तरह की व्यवस्था बनाएगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि वो OTT प्लेटफॉर्म के कंटेनेट पर निगरानी रखे हुए है। सू सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नए नियमों के मुताबिक OTT प्लेटफॉर्म्स जैसे- नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम आदि के कंटेंट पर निगरानी रखी जा रही है।   

मंत्रालय ने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म को लेकर उनके पास कई शिकायतें मिली थी, जिसमें कई सांसद, विधायक व बुद्धिजीवी शामिल थे। उन शिकायतों पर गौर करने के बाद इसी साल OTT प्लेटफार्म के कंटेनेट पर निगरानी के लिए एक नया नियम इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 लाया गया।

सूचना-प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक, इस एक्ट कि धारा 67,67A और 67 B में ये प्रावधान है कि सरकार आपत्तिजनक कंटेंट को प्रतिबंधित कर सके।

 


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