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पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की हत्या के अरोपी की रासुका के तहत गिरफ्तारी अवैध: हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्नाव के पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की हत्या के अरोपी कन्हैया अवस्थी की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत की गई गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्नाव के पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की हत्या के अरोपी कन्हैया अवस्थी की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत की गई गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने पाया कि रासुका की कार्रवाई के बाद याची द्वारा भेजे गए प्रत्यावेदन को केंद्र सरकार ने निर्णित करने में व जिलाधिकारी उन्नाव ने प्रत्यावेदन को अग्रसारित करने में देरी की, जिसके बाद उन्होंने एनएसए की नजरबंदी को खारिज कर दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने कन्हैया अवस्थी की ओर से उसकी भाभी शिवांगी अवस्थी द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पारित किया।
त्रिपाठी उन्नाव से प्रकाशित एक समाचार दैनिक 'कम्पुमली' के जिला संवाददाता थे और भू-माफियाओं से संबंधित कहानियों को कवर करते थे।
न्यायालय ने याचिका पर विस्तृत सुनवाई के बाद पारित अपने आदेश में कहा कि याची ने 22 सितम्बर 2020 को प्रत्यावेदन भेज दिया था, जिसे अग्रसारित करने में जिलाधिकारी ने नौ दिनों की देरी की। वहीं केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को 5 अक्टूबर 2020 को याची का प्रत्यावेदन प्राप्त हो गया था जिस पर 14 अक्टूबर को कार्रवाई शुरू की गई। कार्रवाई शुरू होने में हुई इस देरी का भी संतोषजनक उत्तर केंद्र सरकार की ओर से नहीं दिया गया है। इसके अलावा मंत्रालय के संयुक्त सचिव के समक्ष प्रत्यावेदन जाने के बाद भी 13 दिनों की देरी की गई।
न्यायालय ने कहा कि रासुका के मामलों में इस प्रकार की देरी के अकेले आधार पर निरुद्धि आदेश को खारिज किया जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ न्यायालय ने कन्हैया अवस्थी के खिलाफ रासुका के तहत पारित निरुद्धि आदेश को खारिज कर दिया।
बता दें कि कथित तौर पर, 19 जून, 2020 को पत्रकार शुभम त्रिपाठी की अवस्थी और अन्य लोगों द्वारा हत्या कर दी गई थी और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, और 302 के साथ धारा 34 और धारा 120 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके बाद, अवस्थी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में रखा गया और जब वह जेल में था।
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