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गुम प्रचार से गुम चोट: क्या ऐसे बटोर पाएंगे खूब वोट
तीसरे चरण की वोटिंग के बाद मोदी जी का छठे चरण का इंटरव्यू आ गया है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
प्रमिला दीक्षित
वरिष्ठ पत्रकार
तीसरे चरण की वोटिंग के बाद मोदी जी का छठे चरण का इंटरव्यू आ गया है। फेसबुक पर आजकल ‘वॉच पार्टी’ चलती है। ये इंटरव्यू मोदी भक्तों के लिए वॉच पार्टी है। अक्षय कुमार के साथ ग़ैर राजनैतिक बातचीत, अब आप सर्टिफिकेशन कैसे करोगे, किसको दोगे? जिसे मोदी जी से मुहब्बत है, वो हर आदत-अदा पर वाह-वाह करके देख रहा है। जिसे नही हैं, वो भी देख-देख सोशल मीडिया पर मीम्स, चुटकुले फेंक रहा है।
राहुल जी से कनेक्ट कर सके जनता को, ऐसा किस्सा वहां से कभी सुनने को नही मिला।
लोटे में कोयले से प्रेस करना, सरसों के तेल और कैस्टर ऑयल से त्वचा का रखरखाव, इनकी मारक क्षमता हिंदुस्तान में आज भी काफी है। एक होती है चोट और एक होती है गुमचोट। ऐसे ही एक होता है प्रचार और एक होता है गुम प्रचार। प्रकट प्रचार से उतनी प्रकट चोट नहीं लगती, जितनी गुम प्रचार से गुम चोट। तीसरे चरण में भले ही 117 सीटों पर वोटिंग हो, लेकिन टीवी चैनलों के पहले कुछ घंटे गांधीनगर की सीट को समर्पित हो गए। मोदी जी, मोदी जी की माताजी। मां, मां की चुनरी। हलवा, फिर एक छोटी बच्ची। बच्ची को गोदी में खिलाते मोदी जी।
ऐसा मनोरम दृश्य बना कि शत्रु के सीने पर सांप लोट जाए और ये गुम प्रचार बना कि गुम चोट कितनी गहरी होगी, कौन जाने। टीवी से सोशल मीडिया तक मोदी जी और माता जी की नारियल, चुनरी, हलवा और 501 रुपए वाली तस्वीरें छाई रहीं।
‘इंडिया टीवी’ ने मोदी जी के भाई से एक्सक्लूसिव बातचीत का दावा किया, जिन्होनें गठबंधन को संतरा करार दिया कि एक बार ऊपर की परत खुलेगी तो सब फाँकें अलग। ये ग़ुलज़ार साहब से इतर अपनी ही तरह की एक उपमा लगी।
चुनाव आयोग से बैन हुए तो योगी जी ने भी 72 घंटे की रोक के दौरान मंदिर जाकर ऐसी ही गुम चोट दी थी। फिर किसी के घर खाना खा लिया। अब आचार संहिता भी भला मौजूदा वक्त जितनी मौजूं कैसे हो जाए, जहां गाय की पीठ पर भी हाथ फेरकर मात्र, आप अपना लक्ष्य साध सकते हो। लेकिन एकमत हो जाएं तो चैनल ही क्या? मोदी जी वोट डालने आए, वहां सबके मन भाए। लोगों ने जय-जय मोदी नारे लगवाए।
‘एबीपी’ की एंकर को ये रोड शो लगा तो ‘आजतक’ की एंकर को लोकतंत्र की ख़ूबसूरती। ‘एनडीटीवी’ ने मतदान के लिए कतारों में लगे लोग, उनकी उम्मीदें-अपेक्षाएं और नेताओं के इंटरव्यू दिखाए, चर्चा की। कितनी सीटों पर मतदान है और तमाम जानकारी, ‘एनडीटीवी’ की स्क्रीन पर ही लगातार दिखी। आचार संहिता का उल्लंघन है, नहीं है, यही बहस कर कर चैनलों ने मोदी जी के आगमन से प्रस्थान की पूरी तस्वीरें दिखाई।
‘एबीपी’ के विकास भदौरिया को खुद प्रधानमंत्री ने बुलाकर पूछा-कब आए? गर्मी बहुत है यहां! ‘एबीपी’ के नंबर बढ़ भी गए और कुछ की नज़रों में कट भी गए। बाक़ी चैनलों ने यक़ीनन अपने रिपोर्टर्स को लानतें मलानतें बख्शी होंगी, मोदीजी ने तुमसे बात क्यूं नहीं की।
‘ज़ी न्यूज़’ ने नौ बजे के अलावा लुभाना और आकर्षित करना ‘लगभग’ बंद कर दिया है। नमक और देशभक्ति में कोई मुकाबला नहीं। लेकिन नमक स्वादानुसार ही अच्छा लगता है। अदरक और राष्ट्रवाद में भी कोई मुकाबला नहीं। लेकिन ऐसा नहीं कि अदरक कूट-कूट के चाय का काढ़ा बना दो। ‘रिपब्लिक’ शायद युवाओं का चैनल ही है। मेरी माताजी ने सुबह सुबह देखने नहीं दिया। कहा, बहुत शोर मचाते हैं। चिल्ला चिल्ला के बोलते हैं। मैं प्रतिक्रिया के लिए देखना चाहती थी। फिर मुझे लगा ये भी तो एक प्रतिक्रिया ही है, क्रिया की।
मोदी जी के इंटरव्यू की प्रतियां हर चैनल पर सबसे पहले, सबसे पहले की ध्वनि करते हुए प्रवाहित हो रही हैं। चुनाव प्रचार देखिए। मस्त रहिए। टिकटॉक पर बैन फ़िलहाल हट गया है।
(ये लेखिका के निजी विचार हैं)
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