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आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर लगाई पाबंदी
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी ने इस बारे में एक आदेश जारी किया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार देर रात एक आदेश जारी कर कहा है कि अमरावती में जमीन खरीद के संबंध में भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) द्वारा राज्य के पूर्व कानून अधिकारी और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जानकारी सार्वजनिक न की जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी ने इस बारे में जारी अपने आदेश में कहा, ‘अंतरिम राहत के माध्यम से यह निर्देशित किया जाता है कि किसी भी आरोपित के खिलाफ इस याचिका को दायर करने के बाद (एफआईआर) कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। किसी भी तरह की पूछताछ और जांच पर भी रोक रहेगी।’
इस आदेश में यह भी कहा गया है कि इस संबंध में कोई भी समाचार इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।’ आदेश के अनुसार, ‘आंध्र प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा राज्य के गृह विभाग के सचिव और डीजीपी को यह सुनिश्चित करने के लिए सूचना दी जाए कि अदालत के अगले आदेश तक इस संबंध में प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोई समाचार प्रकाशित न हो।’
आदेश में कहा गया है, ‘इस संबंध में सोशल मीडिया पोस्ट भी प्रकाशित नहीं होगा। इस बारे में संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म/संगठनों को सूचना देने के लिए आंध्र प्रदेश के डीजीपी और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय आवश्यक कदम उठाएंगे।’
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले मंगलवार को एफआईआर दर्ज होने के बाद पूर्व कानून अधिकारी का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और श्याम दीवान ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार उन्हें निशाना बना रही है और मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने सहित हाई कोर्ट से राहत की मांग की। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ कर रही थी।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि आंध्र प्रदेश भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो उनके खिलाफ गलत इरादे से काम कर रही है और पूरे मामले को राजनीतिक रंग देने के साथ मीडिया ट्रायल में बदला जा रहा है। वहीं, आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वकील सी. मोहन रेड्डी का कहना था कि प्रतिबंधात्मक आदेश की अपील का कोई मतलब नहीं था, क्योंकि खबर पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चल चुकी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने नोटिस जारी कर बचावपक्ष से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।
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