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OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर किस तरह के कदम उठाएगी सरकार, SC ने मांगा जवाब
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
लंबे समय से नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने पर बहस चल रही है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की और केंद्र सरकार से अब तक की गई कार्रवाइयों पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने के मुद्दे पर कुछ कदम उठाने पर विचार कर रहा है।
सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा कि ‘केवल चिंतन’ स्वीकार्य नहीं है, बल्कि यह भी बताइए कि सरकार इस पर क्या कुछ कदम उठाएगी। अदालत ने केंद्र से लंबित याचिका के साथ मामले को टैग करते हुए छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
अब इस मामले में लंबित दूसरी याचिकाओं के साथ अगले महीने सुनवाई होने की उम्मीद है।
वहीं, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता ने कहा कि जितने अधिक ओटीटी प्लेटफॉर्म्स लॉन्च किए जा रहे हैं, देश में उतने ही अधिक साइबर क्राइम दर्ज हो रहे हैं।
बता दें कि इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 अक्टूबर को केंद्र सरकार, सूचना-प्रसारण मंत्रालय और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था।
यह जनहित याचिका अधिवक्ता शशांक शेखर झा और अपूर्व अर्हटिया ने दायर की हुई है। याचिका में धूम्रपान, हिंसा, यौन दृश्य, अश्लील भाषा को बिना किसी रोक-टोक के दिखाने को लेकर आपत्ति जाहिर की गई है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि ओटीटी प्लेटफार्म्स पर स्मोकिंग सींस में कोई वार्निंग भी नहीं दी जा रही है जो अनिवार्य है। ऐसे कंटेट दिखाए जा रहे है जो सामाजिक और नैतिक मानदंडों के मुताबिक नहीं है। लिहाजा याचिका में विभिन्न ओटीटी-स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स की सामग्री की निगरानी और प्रबंधन के लिए सुव्यवस्थित बोर्ड या एसोसिएशन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
याचिका के अनुसार, इस समय डिजिटल सामग्री की निगरानी या प्रबंधन के लिये कोई कानून या स्वायत्त संस्था नहीं है और यह बगैर किसी जांच परख के जनता के लिये उपलब्ध है।
ओटीटी-स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म को नियंत्रित करने के लिये कोई कानून नही होने की वजह से हर दिन इसी आधार पर कोई न कोई मामला दायर हो रहा है। कानून में इस तरह की खामियों की वजह से सरकार को रोजाना जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इसके बावजूद संबंधित प्राधिकारियों ने इसे नियंत्रित करने के लिये कुछ खास नहीं किया है
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