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यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला संपादक को फिर से नौकरी पर रखने का आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला संपादक को फिर से नियुक्ति देने का आदेश दिया है जिसे अपने संगठन के सचिव पर यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक प्रकाशन घराने में एक महिला संपादक को फिर से नियुक्ति देने का आदेश दिया है जिसे अपने संगठन के सचिव पर यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था। साथ ही कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर बकाया राशि के साथ उसका वेतन तुरंत जारी करने को कहा है।
महिला नार्थ-ईस्ट से है और उन्होंने आरोप लगाया था कि सचिव उनकी ओर अनुचित यौन संबंध के लिए आगे बढ़ता था। नस्लवादी और लैंगिक टिप्पणियां करता था।
अदालत ने कहा कि महिला की यौन शोषण की शिकायत पर संज्ञान लेकर उसकी सहायता करने की बजाय कंपनी ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर उसका विरोध किया और उसे नौकरी से भी निकाल दिया।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने कहा कि नियोक्ता के विरुद्ध महिला की शिकायत का मामला स्थानीय शिकायत समिति देखेगी, क्योंकि आंतरिक शिकायत समिति के पास सचिव के खिलाफ शिकायत का मामला देखने का अधिकार नहीं है, जिसके विरुद्ध आरोप लगाया गया है।
बता दें कि महिला पत्रकार को दिसंबर 2017 में दो साल की अवधि के लिए प्रोबेशन पर संपादक (अंग्रेजी) के पद पर नियुक्त किया गया था और और फरवरी 2018 में उनकी नियुक्ति की पुष्टि कर दी गयी थी। महिला पत्रकार ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्हें सचिव के हाथों गंभीर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें कथित तौर पर अनुचित यौन प्रस्ताव, गलत तरीके से छूना, यौन संपर्क और यौन-केंद्रित टिप्पणियां शामिल थीं।
महिला ने जब इस पर आपत्ति जतायी तो आरोपी सचिव ने अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में उन्हें मौखिक रूप से गाली दी और उन पर चिल्लाए। इसके बाद महिला पर खराब प्रदर्शन और ठीक से काम नहीं करने का आरोप लगाया। नवंबर 2019 में महिला ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। साथ ही उसने संगठन के कार्यकारी बोर्ड को एक ई-मेल भेजकर यौन उत्पीड़न की उसकी शिकायत की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने का अनुरोध किया। उसकी शिकायत को आंतरिक शिकायत समिति को भेजा गया और दो बाहरी सदस्यों को उक्त समिति में नियुक्त किया गया। वहीं इस मामले की जांच कर रही नियुक्त समिति सचिव के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में विफल रही, जिसके बाद महिला पत्रकार ने स्थानीय समिति का रुख किया और फिर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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