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मानहानि मामले में ‘तहलका’ को देना होगा दो करोड़ रुपये का हर्जाना, दिल्ली HC ने दिए आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने अन्य बातों के साथ-साथ यह माना कि तहलका की प्रतिलेख में जोड़ी गई टिप्पणियां झूठी और मानहानिकारक थीं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
वर्ष 2001 के चर्चित स्टिंग मामले में पूर्व मेजर जनरल एमएस अहलूवालिया द्वारा तहलका.कॉम और ZEE टेलीफिल्म्स के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में करीब 21 साल बाद फैसला आ गया है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 जुलाई 2023 को अपना फैसला सुनाया है।
अपने फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है, ‘इस मामले में वादी (मेजर जनरल अहलूवालिया) की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है क्योंकि न केवल जनता की नजरों में उनकी प्रतिष्ठा कम हुई, बल्कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से उनके चरित्र पर भी दाग लग गया था।’
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि Tehelka.com, Buffalo Networks Private Limited और संबंधित पार्टियों को क्षतिपूर्ति के रूप में वादी को दो करोड़ रुपये का हर्जाना देना होगा।
इस मामले में ‘जी टेलीफिल्म्स लिमिटेड’, इसके चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा और जी टेलीफिल्म्स के तत्कालीन सीईओ का प्रतिनिधित्व ट्रस्ट लीगल एडवोकेट्स और कंसल्टेंट्स के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर सुधीर मिश्रा व पार्टनर पेटल चंडोक की टीम ने किया। इसमें एसोसिएट पार्टनर रूपाली गुप्ता और एसोसिएट मीमांसी सेठी भी शामिल रहीं। जी टेलीफिल्म्स की ओर से दलीलों का नेतृत्व वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अन्य बातों के साथ-साथ माना कि तहलका की प्रतिलेख में जोड़ी गई टिप्पणियां स्वयं झूठी और मानहानि करने वाली थीं और वादी को तहलका के कारण उसकी प्रतिष्ठा को पहुंची ठेस के लिए क्षतिपूर्ति करनी होगी।
इस मामले में जी टेलीफिल्म्स ने तर्क दिया कि मुकदमा उनके खिलाफ चलने योग्य नहीं था और वे अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का प्रयोग करते हुए टेप प्रदर्शित करने के हकदार थे। उन्होंने दिए गए लिखित आश्वासन पर भरोसा करते हुए उचित सावधानी बरतने के अपने दायित्व का निर्वहन किया था।
बताया जाता है कि हाई कोर्ट ने अन्य बातों के साथ-साथ माना कि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि जी टेलीफिल्म्स द्वारा किया गया प्रसारण अपमानजनक या मानहानिकारक था और इसलिए जी टेलीफिल्म्स लिमिटेड के खिलाफ मानहानि का कोई आरोप साबित नहीं होता।
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