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कश्मीर प्रेस क्लब बंद करने पर एडिटर्स गिल्ड ने जताई नाराजगी, कही ये बात
एडिटर्स गिल्ड ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह जम्मू कश्मीर में कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) के बंद होने से बहुत दु:खी है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
कश्मीर प्रेस क्लब में मैनेजमेंट को लेकर दो गुटों में जारी लड़ाई के बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कश्मीर प्रेस क्लब के लिए आवंटित परिसर को ही वापस ले लिया। प्रशासन के इस फैसले को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने नाराजगी व्यक्त की है। एडिटर्स गिल्ड ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह जम्मू कश्मीर में कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) के बंद होने से बहुत दु:खी है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कहा था कि कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) का अस्तित्व अब खत्म हो गया है और घाटी में पत्रकारों के सबसे बड़े निकाय को आवंटित परिसरों के द्वारा वापस ले लिया गया है।
गिल्ड ने इस मुद्दे पर तीन दिन के भीतर अपने दूसरे बयान में इस कदम को ‘परेशान करने वाली घटनाओं की कड़ी में ताजा घटनाक्रम’ बताया।
गिल्ड ने कहा कि प्रशासन के कदम से पहले संस्था के नियमों का उल्लंघन किया गया जब कुछ लोगों के समूह ने राज्य पुलिस तथा सीआरपीएफ के सक्रिय सहयोग से गत शनिवार को क्लब के कार्यालय और प्रबंधन पर कब्जा कर लिया।
गिल्ड ने आगे कहा, ‘वह 17 जनवरी, 2022 को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा कश्मीर प्रेस क्लब को बंद किये जाने से अत्यंत दु:खी है।’
गिल्ड ने कहा कि केपीसी के बंद होने के साथ क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पत्रकारीय संस्था को प्रभावी तरीके से समाप्त कर दिया गया है। यह ऐसे क्षेत्र में हुआ है जिसने किसी स्वतंत्र मीडिया के खिलाफ सरकार की भारी सख्ती देखी है।
कश्मीर प्रेस क्लब की स्थापना 2018 में की गयी थी और इसके 300 सदस्य हैं। यह क्षेत्र की सबसे बड़ी पत्रकार संस्था है।
गिल्ड के बयान के अनुसार, ‘क्षेत्र में मीडिया और सक्रिय सिविल सोसाइटी के लिए जगह धीरे-धीरे कम हो रही है। पत्रकारों को अक्सर आतंकवादी समूहों और सरकार से भी धमकियों का सामना करना पड़ता है।’
उसने कहा, ‘उन पर भारी दंडनीय कानूनों के तहत मामले दर्ज किये जाते हैं और रिपोर्टिंग या संपादकीय लेखों के लिए सुरक्षा बल जब-तब उन्हें हिरासत में ले लेते हैं।’
पत्रकार शुजात बुखारी की नृशंस हत्या से लेकर पत्रकार पीरजादा आशिक, मसरत जहरा, फहाद शाह और हाल ही में गिरफ्तार किए गए पत्रकार सजद गुल और अन्य घटनाओं का जिक्र करते हुए गिल्ड ने जारी किये गए बयान में कहा कि इस क्षेत्र में मीडिया की स्वतंत्रता और एक्टिव सिविल सोसायटी के लिए जगह का लगातार खात्मा हो रहा है।
गिल्ड ने अपने बयान में प्रेस क्लब की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि मीडिया के खिलाफ इस तरह की ज्यादतियों से ग्रस्त राज्य में कश्मीर प्रेस क्लब पत्रकारों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था थी। यह लॉकडाउन के दौरान भी खुला रहा, जिससे पत्रकारों को अपना काम दर्ज करने के लिए इंटरनेट जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं के साथ-साथ युवा पत्रकारों के ट्रेनिंग के लिए वर्कशॉप तक हुई। इसलिए क्लब का बंद होना मीडिया की स्वतंत्रता के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करता है।
गिल्ड ने कहा कि गिल्ड अपनी पिछली मांग को दोहराता है कि क्लब के कामकाज के संबंध में रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के 14 जनवरी के आदेश से पहले यथास्थिति बहाल की जाए और यह कि राज्य एक स्वतंत्र प्रेस के लिए जगह बनाने और उसकी रक्षा करने की दिशा में काम करे।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर वापस ले लिया था। घाटी स्थित पत्रकारों की सबसे बड़ी संस्था में पिछले हफ्ते की गुटबाजी के मद्देनजर प्रशासन ने यह कदम उठाया था।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा था, ‘पत्रकारों के विभिन्न समूहों के बीच असहमति और अप्रिय घटनाओं के बीच यह फैसला किया गया है कि श्रीनगर के पोलो व्यू स्थित कश्मीर प्रेस क्लब को आवंटित परिसर का आवंटन रद्द करके परिसर की भूमि और इस पर निर्मित भवन को एस्टेट विभाग को वापस कर दिया जाए।’
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