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वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा के खिलाफ अरेस्ट वारंट पर एडिटर्स गिल्ड नाराज, कही ये बात
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में अडानी ग्रुप से ठाकुरता के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की मांग की।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गुजरात के कच्छ जिला अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। मामला अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे से संबंधित है, जो 2017 में दायर किया गया था।
इस मामले में गुरुवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बयान जारी कर इसकी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा, ‘परांजय ठाकुरता के खिलाफ निचली अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना इस बात का एक और उदाहरण है कि बिजनेस हाउस किसी भी तरह की होनी वाली आलोचनाओं के प्रति कितने असहिष्णु हो गए हैं कि इसकी वजह से लगातार इनकी ओर से स्वतंत्र और निडर पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है।’
गिल्ड ने ठाकुरता के खिलाफ कार्रवाई को ‘प्रेस को बोलने की आजादी’ पर कुठाराघात के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि ये स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो गया है कि न्यायपालिका भी अब इसका हिस्सा बन गई है।
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में अडानी ग्रुप से ठाकुरता के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की मांग की और कहा कि एडिटर्स गिल्ड ये देखकर बहुत निराश है कि कैसे इन मामलों में प्रेस को दबाने के लिए न्यायतंत्र का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल सत्ता में बैठे लोग मीडिया के किए गए खुलासे को दबाने के लिए करते हैं।
दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि केंद्र ने अडानी पावर लिमिटेड को कच्चे माल के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन किया था, जिससे 500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
पत्रकार ठाकुरता के वकील आनंद याग्निक के मुताबिक अडानी समूह को लेकर जिस वेबसाइट पर लेख प्रकाशित किया था, उसमें सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली गई हैं, लेकिन ठाकुरता के खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया है। वकील के मुताबिक, जब लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है, तो आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस क्यों नहीं ले रहे हैं। वकील ने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
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