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माखनलाल: इस वजह से जब्त हुआ 19 शिक्षाविदों का रिकॉर्ड, खंगाली जा रही ‘कुंडली’
ईओडब्ल्यू ने विश्वविद्यालय के 19 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर को जारी किया है सम्मन
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
विभिन्न आरोपों में घिरे देश के प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCNUJC) के पूर्व कुलपति ब्रजकिशोर कुठियाला के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। जांच के दौरान ईओडब्ल्यू ने विश्वविद्यालय के 19 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर को सम्मन जारी किया है। इसके साथ ही इन सभी के बायोडाटा और एकैडमिक रिकॉर्ड को जब्त कर लिया गया है। कुल 22 शिक्षाविदों के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच कर रही है, लेकिन अभी तीन का रिकॉर्ड नहीं मिला है। आर्थिक अपराध शाखा की इस कार्रवाई से विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुठियाला के कार्यकाल में जिन 800 से ज्यादा अध्ययन केंद्रों को अनुमति दी गई थी, उन्हें भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है। आरोप है कि अध्ययन केंद्र खोलने के नाम पर भी नियम-कानून को दरकिनार कर जमकर घोटाला किया गया है।
यह भी आरोप है कि वर्ष 2003 से 2018 के दौरान अपने 15 साल की कार्य अवधि में कुठियाला ने विश्वविद्यालय के फंड का अनापशनाप इस्तेमाल किया है। उन्होंने इस फंड को महंगी शराब खरीदने के साथ ही अपनी पत्नी के विदेश दौरे के दौरान भी इस्तेमाल किया है।
अब जांच की जा रही है कि किसकी अनुमति से ये दौरे किए गए, इनके बिल किसके द्वारा पास किए गए और इनसे विश्वविद्याल को क्या लाभ हुआ। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के खर्चे पर खरीदी गई शराब के मामले को भी जांच में शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि आर्थिक अपराध शाखा ने विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला सहित 20 प्रोफेसर व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। कुठियाला पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित संस्थानों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आयोजनों में विवि की राशि के दुरुपयोग का आरोप है। यह एफआईआर विवि में वर्ष 2010 से लेकर 2018 के बीच हुई गड़बड़ियों को लेकर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल के आवेदन और दस्तावेजों के परीक्षण के आधार पर दर्ज की गई थी।
कुठियाला सहित 20 प्रोफेसर व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद अकडेमिशियन्स फ़ॉर फ्रीडम, दिल्ली, के तत्वावधान में 300 से अधिक प्राध्यापकों सहित 15 से अधिक कुलपति, पूर्व कुलपति और प्रति कुलपतियों ने विश्वविद्यालय पर राजनैतिक दमन का आरोप लगाते हुए उपराष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप की मांग की थी। उपराष्ट्रपति इस विश्वविद्यालय के विज़िटर (कुलाध्यक्ष) हैं और विश्वविद्यालय के अधिनियम के अंतर्गत उन्हें यह अधिकार प्राप्त है।
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