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सरकार ने बताया, क्यों जरूरी है अखबारी कागज पर टैक्स लगाना
राज्यसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान खारिज की पब्लिशर्स की मांग
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
न्यूज प्रिंट यानी अखबार के कागज पर लगाए गए आयात शुल्क को वापस नहीं लिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को इस संबंध में उठाई गई मांग को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि आयातित न्यूज प्रिंट पर लगाए गए 10 प्रतिशत सीमा शुल्क से घरेलू कागज उद्योग को अच्छे अवसर उपलब्ध होंगे।
राज्यसभा में वित्त विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान निर्मला सीतारमण का कहना था कि अभी तक न्यूज प्रिंट का आयात सस्ता होने की वजह से घरेलू कागज निर्माता कंपनियों को खरीदार नहीं मिल रहे थे। उनका यह भी कहना था कि अपने देश में न्यूज प्रिंट के उत्पादन की क्षमता है, लेकिन फिर भी इसे बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। इसके अलावा विदेशी बाजारों में पिछले कुछ महीनों में न्यूज प्रिंट की कीमतों में काफी कमी आयी है। इसका दाम 700 डॉलर प्रति टन से कम होकर 500 डॉलर प्रति टन पर आ गया।
विश्व बाजार में न्यूज प्रिंट के दाम घटने से भारतीय न्यूज प्रिंट निर्माताओं को खरीदार नहीं मिल रहे थे। इससे वे काफी प्रभावित हो रहे थे। वित्त मंत्री का कहना था, 'एक तरफ तो हम ‘मेक इन इंडिया’ की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफअप्रत्यक्ष रूप से आयात की अनुमति दे रहे हैं, इसका कोई मतलब नहीं है। जब हम भारतीय उद्योग को गति देने की कोशिश कर रहे हैं तो ऐसा कदम जरूरी हो जाता है।’
सीतारमण वाईएसआर-कांग्रेस के नेता वी विजयसाई रेड्डी के सवाल का जवाब दे रही थी। रेड्डी ने चर्चा के दौरान कहा था कि शुल्क लगाने से छोटे अखबार प्रभावित होंगे जो पहले से विज्ञापन आय में कमी से जूझ रहे हैं। इससे पहले इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने सरकार से अखबारों और पत्रिकाओं में उपयोग होने वाले कागज पर 10 प्रतिशत सीमा शुल्क के बजट प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि समाचार पत्र और पत्रिका के प्रकाशक पहले से ही कई तरह के वित्तीय दबाव को झेल रहे हैं। विज्ञापन आय कम हुई है, लागत बढ़ी है ऊपर से तेजी से फैलते डिजिटल उद्योग से भी इस उद्योग पर दबाव बढ़ा है।
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