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प्रिंट और डिजिटल के बीच यह अंतर आर्टिफिशियल है: सुकुमार रंगनाथन
‘ई4एम इंग्लिश जर्नलिज्म 40अंडर40’ समिट एंड अवॉर्ड्स के मौके पर हिंदुस्तान टाइम्स के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन ने रखे अपने विचार
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन का कहना है कि प्रिंट मीडिया के लंबे समय तक प्रासंगिक और प्रभावशाली बने रहने के लिए और बड़े पैमाने पर सबस्क्रिप्शन आधारित बिजनेस का निर्माण करने के लिए पब्लिशर्स को यह जानने की जरूरत है कि लोग क्या चाहते हैं और किसके लिए भुगतान करेंगे।
सुकुमार रंगनाथन ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह द्वारा अंग्रेजी पत्रकारिता से जुड़े 40 प्रतिभाशाली पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए दिल्ली के ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में 27 अप्रैल 2022 को आयोजित ‘ई4एम इंग्लिश जर्नलिज्म 40अंडर40’ समिट एंड अवॉर्ड्स कार्यक्रम को बतौर वक्ता संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर ‘न्यूजनेक्स्ट 2022, फेस्टिवल ऑफ न्यूज’ के तहत ‘बिजनेसवर्ल्ड’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के साथ एक बातचीत के दौरान रंगनाथन ने कहा कि लोग चाहते हैं कि उन्हें क्यूरेटेड, फिल्टर्ड और क्रेडिबल कंटेंट मिले, इसके लिए प्रिंट के प्लेयर्स को काम करना चाहिए।
रंगनाथन ने प्रिंट की गुणवत्ता बनाम डिजिटल पत्रकारिता पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘पत्रकारों की प्रत्येक पीढ़ी दावा करती है कि उनके बाद की पीढ़ी ने पत्रकारिता की गुणवत्ता को खराब कर दिया है। ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि इस समय देश में बहुत अच्छी पत्रकारिता हो रही है। मेरा मानना है कि प्रिंट और डिजिटल के बीच यह अंतर कृत्रिम (आर्टिफिशियल) है। वास्तविक अंतर जो हमेशा से रहा है और रहेगा, वह अच्छी और बुरी पत्रकारिता के बीच है।’
इसके साथ ही सुकुमार रंगनाथन ने यह भी कहा कि इन दिनों पत्रकारों का एक वर्ग काफी सक्रिय हो गया है और यह वर्ग गलतियों को इस हद तक इंगित करता रहता है कि स्टोरी में दोनों पक्षों की बात लगभग नहीं आ पाती है। हो सकता है कि दूसरे लोग जो कर रहे हैं, वह आपको पसंद न हो, लेकिन आपको इस बात का सम्मान करना चाहिए कि वे अपने काम के प्रति ईमानदार हैं और उस पर वे विश्वास करते हैं।
रंगनाथन ने जोर देकर कहा कि पत्रकार बिरादरी को आपस में कुछ पेशेवर शिष्टाचार की जरूरत है। रंगनाथन ने पत्रकारिता में अपने शुरुआती दिनों का एक उदाहरण भी दिया और कहा, ‘मैं तब एक युवा रिपोर्टर था जो बिजनेस को कवर कर रहा था और एमआरएफ के बारे में कुछ कवर करना चाहता था, जो वास्तव में पत्रकारों से बात नहीं करता है। इसी बीच मुझे किसी तरह पता चला कि मलयाला मनोरमा के संपादक का संबंध एमआरएफ के प्रमोटर से है। इसलिए, मैंने संपादक को एक संदेश छोड़ा कि मैं बात करना चाहता हूं। उन्होंने मुझे एमआरएफ में शेयरहोल्डिंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने मुझसे कहा कि उनके भाई इसके लिए उनसे नफरत करेंगे लेकिन एक पत्रकार के रूप में मेरा सम्मान करते हुए उन्होंने यह जानकारी शेयर की है।’
रंगनाथन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज पेशेवरों को न केवल अन्य पत्रकारों के लिए बल्कि एक पेशे के रूप में पत्रकारिता के लिए भी इस तरह का शिष्टाचार और सम्मान होना चाहिए। मैंने देखा है कि तमाम युवा इंडस्ट्री के बारे में बुरा-भला कहते हैं, लेकिन उन्हें अपने काम पर गर्व करने की जरूरत है।’
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