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राहुल शिवशंकर: कुछ इस तरह बनाई दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह
‘एक्सचेंज4मीडिया’ द्वारा शुरू की गई सीरीज ‘हेडलाइन मेकर्स’ (HEADLINE MAKERS) के तहत आज हम सीनियर टीवी जर्नलिस्ट राहुल शिवशंकर के बारे में बताने जा रहे हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
न्यूजरूम में इन दिनों तमाम बड़े-बड़े फेरबदल हो रहे हैं। इन बदलावों के बीच अक्सर हेडलाइन बनाने वाले ही खुद हेडलाइन बन जाते हैं। ऐसे में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ने ‘हेडलाइन मेकर्स’ (HEADLINE MAKERS) के नाम से एक नई सीरीज शुरू की है। इस सीरीज में हम न्यूज रूम के उन ‘सुपरस्टार्स’ के बारे में बताएंगे जिन्होंने न सिर्फ शीर्ष पर अपनी जगह बनाई है बल्कि दर्शकों के बीच भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है और इन दिनों सुर्खियां बने हुए हैं।
इस सीरीज के तहत आज हम सीनियर टीवी जर्नलिस्ट राहुल शिवशंकर के बारे में बताने जा रहे हैं। राहुल शिवशंकर ने पिछले दिनों ही अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) के एडिटर-इन-चीफ पद से इस्तीफा दिया है और इन दिनों मीडिया जगत में सुर्खियां बने हुए हैं।
राहुल शिवशंकर ने 1990 के दशक के मध्य में प्रिंट मीडिया में बतौर रिपोर्टर अपना करियर शुरू किया था। इसके बाद वर्ष 2003 में वह ‘हेडलाइंस टुडे’ (Headlines Today) की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने और इसके बाद जल्द ही चैनल में मुख्य राइटर की भूमिका संभाल ली। पत्रकारिता में उनके कौशल को देखते हुए उन्हें जल्द ही ‘हेडलाइंस टुडे’ में एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर प्रमोट कर दिया गया।
इसके बाद राहुल शिवशंकर का अगला पड़ाव ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) था। शिवशंकर इस चैनल की लॉन्चिंग टीम में शामिल रहे और जल्द ही चैनल पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले एंकरों में से एक बन गए। मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमलों की लगातार कवरेज के कारण उन्हें काफी प्रशंसा मिली। इसके साथ ही राहुल शिवशंकर ने इसके बारे में एक किताब भी लिखी है।
वर्ष 2013 में राहुल शिवशंकर मैनेजिंग एडिटर और एंकर के रूप में ‘न्यूजएक्स’ (NewsX) के साथ जुड़ गए और एक साल बाद ही उन्हें यहां एडिटर-इन-चीफ के पद पर प्रमोट कर दिया गया। यहां उन्होंने प्राइमटाइम शोज ‘Nation@9’ और ’Insight’ होस्ट किए। उनकी एडिटोरियल लीडरशिप में चैनल ने बेस्ट अंग्रेजी न्यूज चैनल की कैटेगरी में प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड’ 2014 जीता।
वह करीब तीन साल तक ‘न्यूजएक्स’ (NewsX) में प्राइम टाइम चेहरा बने रहे। वर्ष 2016 में जब अरनब गोस्वामी ने अपना चैनल लॉन्च करने के लिए ‘टाइम्स नाउ’ से इस्तीफा दिया तो राहुल शिवशंकर फिर ‘टाइम्स नाउ’ में शामिल हो गए। इस बार उन्होंने यहां पर बतौर एडिटर-इन-चीफ जॉइन किया। ‘टाइम्स नाउ’ में राहुल शिवशंकर ने प्राइमटाइम डिबेट शो ‘इंडिया अपफ्रंट’ (India Upfront) होस्ट किया। इस शो ने 13वें ‘इनबा’ अवॉर्ड्स में बेस्ट प्राइमटाइम शो (अंग्रेजी) का खिताब जीता।
वर्ष 2021 में राहुल शिवशंकर को ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) में एडिटोरियल डायरेक्टर की जिम्मेदारी मिली और वह चैनल में एडिटोरियल संबंधी कार्यों का नेतृत्व भी करना जारी रखा। इसके साथ ही उन्होंने इस नेटवर्क पर ‘The Breaking News Show’ और ‘Live Report’ के साथ ही एक घंटे के वीकेंड शो ‘Confront‘ को भी होस्ट किया। हाल ही में टाइम्स नेटवर्क में हुए पुनर्गठन और जैन बंधुओं (समीर जैन-विनीत जैन) के बीच हुए एमओयू (MOU) के बाद राहुल शिवशंकर ने इस नेटवर्क से इस्तीफा दे दिया है।
स्टैंड लेने से नहीं घबराते
अपनी बात रखने में कभी नहीं हिचकिचाने वाले राहुल शिवशंकर ने वर्ष 2022 में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) द्वारा आयोजित एक मीडिया डिबेट शो में कहा था कि पत्रकारों को अपनी राय व्यक्त करने और एक स्टैंड लेने का अधिकार है, खासकर तब, जब वह तथ्यों को सही रख रहे हैं। यह उनकी पत्रकारिता की शैली की रीढ़ रही है। ऐसे में कुछ लोग उन्हें अपने विचारों में 'अतिवादी' करार भी देते हैं। लेकिन, क्या इन सबका राहुल शिवशंकर पर असर पड़ता है? इन सबके बारे में उनका कहना है, ‘मेरी ऐसे खास एडिटोरियल फिलॉसफी है, जो मुझे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चिह्नित करती है, जो घिसे-पिटे रास्ते पर नहीं चलता है। इस खास एडिटोरियल फिलॉसफी का मतलब है कि मैं इस शैली में अपने लिए जगह बनाने में सक्षम हूं। मेरा मानना है कि आज दर्शकों को एक विश्वसनीय स्रोत से विश्लेषणात्मक जानकारी की आवश्यकता है, क्योंकि बहुत सारी खबरें और गलत सूचनाएं चल रही हैं। इनमें से बहुत कुछ बयानबाजी पर आधारित है न कि तथ्यों पर। मैंने अपने करियर में तथ्यों को सबसे पहले रखने पर जोर दिया है।’
राहुल शिवशंकर इस बात में भी दृढ़ विश्वास रखते हैं कि जितना संभव हो सके कड़ी मेहनत करें और कभी भी दूसरों से ऐसा कुछ करने की उम्मीद न करें, जिसे करने के लिए आप तैयार नहीं हैं। इसलिए कहा जाता है कि राहुल शिवशंकर एक कुशल संपादक हैं, क्योंकि वह खुद ही टिकर भी लिखते थे और संपादकों के कंसोल पर साउंड बाइट्स भी सुनते थे। हालांकि, वह ऐसे कार्यों को किसी दूसरे को भी सौंप सकते थे।
वह ऐसे पत्रकारों की अगली पीढ़ी को तैयार करने में भी दृढ़ विश्वास रखते हैं जो प्रभाव पैदा करने के लिए इस कला का कठोर तरीके से अभ्यास कर सकें।
राहुल शिवशंकर का कहना है, ‘मैं ऐसे तमाम लोगों को जानता हूं जो 'क्लासिक बॉस' (classic boss) के सिद्धांत का पालन करते हैं। यानी आलोचना करना, अत्यधिक आक्रामक होना और यहां तक कि जब अपने सहकर्मियों को डांटने की बात आती है तो वे तीखे हो जाते हैं, लेकिन उन्हें कभी नहीं बताते कि क्या करना है। मैं हमेशा यह दिखाने और बताने का प्रयास करता हूं कि यह सब कैसे किया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि एक न्यूजरूम में, किसी भी स्तर पर हर संसाधन में बदलाव लाने की क्षमता होती है और मुझे प्रतिभाओं का बेहतर इस्तेमाल करना आना चाहिए।’
आलोचकों और ट्रोलर्स की नहीं करते परवाह
राहुल शिवशंकर के अनुसार, वह कभी भी छींटाकशी, आलोचना या उन पर शब्दवाण चलाने वालों की परवाह नहीं करते, क्योंकि वह जानते हैं कि ऐसे लोगों का इरादा कहीं और से प्रेरित होता है।
राहुल शिवशंकर का कहना है, ‘मेरे तथ्य खुद बोलते हैं और एक संपादक के रूप में आपका कर्तव्य है कि आप सच्चाई के लिए प्रयास करें। पत्रकारिता करने का एक ही तरीका है और वह है तथ्यों की जांच करना। आपको कभी भी चुनौतियों से पीछे नहीं हटना चाहिए, मैंने हमेशा पाया है कि मैं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता हूं और मुझे खुद को परखना पसंद है।’
आंकड़े भी रखते हैं मायने
एक तरफ संपादकीय कठोरता उनके पत्रकारीय दृष्टिकोण की आधारशिला है, लेकिन इसके साथ ही वह न्यूज टीवी के बिजनेस में जरूरी आंकड़ों से भी अनजान नहीं हैं। राहुल शिवशंकर के अनुसार, ‘जिन चैनलों से मैं जुड़ा था, रेटिंग के हिसाब से हम अच्छी स्थिति में नहीं थे और कई लोगों को लगता था कि मैं उनसे जुड़ने के बारे में सोचकर मूर्खता कर रहा हूं। मैं कहूंगा कि मेरे नेतृत्व में इनमें से प्रत्येक चैनल ने न केवल रेटिंग के मापदंडों में बल्कि प्रभाव पैदा करने वाले पैरामीटर (influence parameter) में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।’
इसके साथ ही उनका यह भी कहना है, ‘बहुत से लोग आपसे कहेंगे कि दर्शकों की धारणाएं नहीं बदली जा सकतीं, लेकिन यह सच नहीं है। यदि आपके पास कहने के लिए कुछ सार्थक है, तो आप निश्चित रूप से दर्शकों को आकर्षित करेंगे, भले ही आप रेटिंग में सबसे नीचे हों। मेरा मानना है कि किसी काम को करने में कभी देर नहीं होती।’
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