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देश के न्याय वितरण सिस्टम को लेकर BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कही ये बात
‘गवर्नेंस नाउ’ के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ बातचीत में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने तमाम पहलुओं पर रखी अपनी राय
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
देश में अदालती मामलों के लंबे ट्रायल पर चिंता जताते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया का कहना है कि हमारे देश में न्याय वितरण व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की जरूरत है।
‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में गौरव भाटिया का कहना था, ‘अगर हम अपने नागरिकों को समयबद्ध न्याय की गारंटी नहीं दे सकते हैं तो क्या हम खुद को एक जीवंत राष्ट्र कह सकते हैं। अगर देश में एक क्रांति की जरूरत है तो वह न्याय क्रांति की है।’
पब्लिक पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर ‘विजिनरी टॉक सीरीज’ (Visionary Talk series) के तहत होने वाले इस वेबिनार के दौरान गौरव भाटिया का कहना था कि देश के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए ऐतिहासिक कदमों पर भरोसा जताया है और उन्हें न्यायिक क्रांति की उम्मीद दिखाई देती है। गौरव भाटिया के अनुसार, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि कानून मंत्री रवि शंकर जो खुद एक वकील हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निश्चित रूप से उन सुधारों की शुरुआत करेंगे, जिससे न्यायिक प्रणाली और मजबूत होगी और लोगों को समयबद्ध न्याय मिल सकेगा।’
इस बातचीत के दौरान गौरव भाटिया जो सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता भी हैं, ने कहा कि कोविड-19 महामारी में सुप्रीम कोर्ट से लेकर ट्रायल कोर्ट तक ने ई-सुनवाई शुरू की है, जबकि न्यायपालिका में पहले इस तरह की खास अवधारणा नहीं थी। हजारों केस ऑनलाइन सुने गए। यहां तक कि जब सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश न्यायाधीश 60 साल की उम्र के हैं और संक्रमण के प्रति संवेदनशील हैं, इसके बाद भी विभिन्न अदालतों में काम हो रहा है, ताकि जरूरी मामलों पर सुनवाई हो सके।
वर्तमान में चल रहे किसानों के आंदोलन के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गौरव भाटिया का कहना था, ‘भले ही एमएस स्वामीनाथन आयोग की 2006 की रिपोर्ट में किसानों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को बढ़ाकर 1.5 गुना करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन इसे आठ साल तक लागू नहीं किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे डेढ़ गुना बढ़ाकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया।’
तीन कृषि कानूनों के पारित होने के बारे में उन्होंने कहा कि ये मंडी व्यवस्था जारी रहने के बावजूद किसानों को वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराते हैं। राजनीतिक दलों के कड़े विरोध पर उन्होंने कहा, सार्थक संवाद जीवंत लोकतंत्र की निशानी है लेकिन आप, एनसीपी, अकाली दल और सपा जैसे दलों ने यू टर्न ले लिया।
गौरव भाटिया का कहना था, ‘अन्य राजनीतिक दल भी दशकों से इसकी वकालत कर रहे थे, लेकिन लंबे समय से चली आ रही मांग के बावजूद इस बारे में कभी कुछ नहीं किया। जब आप एक ऐतिहासिक सुधार पारित करते हैं, तो कुछ वर्गों में विरोध होना तय है। ऐसे लोगों को अधिनियम के प्रावधानों से समस्या नहीं है, लेकिन उन्हें डर है कि इससे नरेंद्र मोदी की स्थिति मजबूत होगी और वह किसानों का दिल जीत लेंगे, इसलिए ऐसे लोग विरोध कर रहे हैं। इस तरह की राजनीति को बंद करना होगा।’
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