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Leading from the front: अवीक सरकार के नेतृत्व में कुछ यूं शिखर पर पहुंचा 'ABP' समूह

‘Leading From The Front’ कॉलम की सीरीज के तहत आज हम ‘आनंद बाजार पत्रिका’ (ABP) समूह के वाइस चेयरमैन और एडिटर एमरेटस (Editor Emeritus) अवीक सरकार के बारे में बात कर रहे हैं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago

'समाचार4मीडिया' की सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) द्वारा शुरू किए गए ‘Leading From The Front’ कॉलम की सीरीज के तहत आज हम भारतीय मीडिया की सबसे बड़ी शख्सियतों में शामिल ‘आनंद बाजार पत्रिका’ (ABP) समूह के वाइस चेयरमैन और एडिटर एमरेटस (Editor Emeritus) अवीक सरकार के बारे में बात करने जा रहे हैं।

बता दें कि इस सीरीज में देश के उन टॉप बिजनेस लीडर्स को शामिल किया गया है, जिन्होंने देश की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में खास मुकाम हासिल किया है और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।

अवीक सरकार की बात करें तो देश के प्रतिस्पर्धी और मजबूत मीडिया परिदृश्य को देखते हुए आज के दौर में ‘India’s most sophisticated media proprietor’ का टाइटल मिलना काफी मुश्किल है, जो ‘कोंडे नास्ट इंटरनेशनल’ (Conde Nast International) के पूर्व प्रेजिडेंट सर निकोलस कोलेरिज (Nicholas Coleridge) ने अपनी किताब ‘पेपर टाइगर्स’ (Paper Tigers) में उन्हें दिया है।

इस किताब में कोलेरिज द्वारा अवीक सरकार को अपराजेय बुद्धि और बेहतर व्यक्ति के रूप में वर्णित किया गया था। यह किताब अखबार के मालिक के बारे में जानकारी के सबसे आधिकारिक स्रोत के रूप में भी जानी जाती है।

अवीक सरकार का जन्म 1945 में हुआ था और वह तीसरी पीढ़ी की मीडिया शख्सियत हैं। वह ‘आनंद बाजार पत्रिका’ अखबार के संस्थापक प्रफुल्ल कुमार सरकार के पोते और ‘आनंदबाजार पत्रिका’ व ‘एबीपी’ समूह के एडिटर-इन-चीफ और मालिक अशोक कुमार सरकार के बेटे हैं। सबसे शक्तिशाली भारतीयों में शुमार अवीक सरकार ने पेंगुइन इंडिया (Penguin India) के गठन और ‘स्टार न्यूज’ (Star News) के अधिग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पत्रकारिता में उनकी शुरुआत तभी हो गई थी, जब वह स्कूल से निकले ही थे। ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय’ से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने ‘संडे टाइम्स’ (Sunday Times) के संपादक सर हेरोल्ड इवांस के नेतृत्व में प्रशिक्षण लिया। वहां, उन्होंने ‘संडे टाइम्स’ को नया रंग-रूप देने वाले प्रसिद्ध डिजाइनर एडविन टेलर और जाने-माने रिपोर्टर व लेखक इयान जैक से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया।

इसके बाद अवीक और उनके भाई अरुप सरकार ने वर्ष 1963 में पब्लिशिंग कंपनी के साथ अपना लंबा कार्यकाल शुरू किया। एक तरफ अरुप सरकार ने व्यापारिक पक्ष संभाला वहीं अवीक सरकार ने संपादकीय का कामकाज देखा।

जब उन्होंने ‘आनंद बाजार’ समूह की बागडोर संभाली तो वह एक परिवर्तनकारी शक्ति बन गए, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से समूह के प्रकाशन ‘आनंद बाजार पत्रिका’ और ‘द टेलीग्राफ’ का संपादन किया।

कोलेरिज ने खबरों के लिए अवीक सरकार की सूझबूझ के बारे में लिखा है, ‘पत्रकारिता के लिए अपनी प्रवृत्ति में, सरकार सबसे विवेकपूर्ण भारतीय मीडिया समूह के मालिक हैं। उन्हें न केवल एक अच्छे फ्रंट पेज या दिलचस्प लेख की बेहतर समझ है, बल्कि आपको इसके बारे में बेहतर तरीके से समझा भी सकते हैं।’

माना जाता है कि अवीक सरकार ने ब्रिटिश डेली टेलीग्राफ के बाद समूह के अंग्रेजी भाषा के दैनिक द टेलीग्राफ का मॉडल तैयार किया था। कोलकाता स्थित अखबार अपनी खास शैली और हेडलाइंस के लिए साहित्यिक हलकों के बीच अपनी विशेष पहचान रखता है।

अपनी राजनीतिक राय व्यक्त करने में कभी किसी तरह का समझौता नहीं करने वाले अवीक सरकार ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ कई हमले किए हैं और पहले पन्ने पर सुर्खियां बटोरी हैं। ममता बनर्जी की ओर से पक्षपात के आरोपों के बीच वह काफी मुखर रहे हैं। जब उन्होंने एबीपी प्राइवेट लिमिटेड के एडिटर-इन-चीफ के पद से इस्तीफा दिया तो तमाम लोगों का मानना ​​था कि यह TMC प्रमुख को शांत करने के लिए किया गया था।

जो लोग अवीक सरकार को नजदीक से जानते हैं, वो उन्हें डेविडॉफ सिगार और बोलिवियाई कॉफी का बड़ा प्रशंसक बताते हैं। संपादकीय पक्ष की ओर अधिक झुकाव होने के बावजूद वे बिजनेस को अच्छी तरह से समझते थे। उन्होंने पेंगुइन इंडिया की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे तब उनकी बेटी चिकी सरकार चलाती थीं।

आउटलुक द्वारा उन्हें ‘original media deal maker’ कहा जाता है, जिन्होंने लंदन स्थित फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एबीपी समूह के गठबंधन के लिए मार्ग प्रशस्त किया।  सितंबर 2003 में जेम्स मर्डोक ऐसे पार्टनर की तलाश में थे, जिसकी स्टार न्यूज में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। इसके लिए रतन टाटा और नुस्ली वाडिया जैसे नाम मैदान में थे, लेकिन अवीक सरकार और एबीपी समूह ने इसमें बाजी मार ली।

अवीक सरकार यह भी समझते हैं कि एक फलता-फूलता न्यूज बिजनेस केवल पत्रकारिता की उत्कृष्टता पर नहीं चलता है। उनका मानना है कि आप जो भी बिजनेस करते हैं, चाहे आप हैम्बर्गर या अखबार बेच रहे हों, उसमें मार्केटिंग सर्वोपरि है। एक बार उन्होंने आउटलुक से कहा था कि आप मार्केटिंग के बिना कोई भी सफल बिजनेस नहीं चला सकते हैं।

एबीपी दिल्ली के एडिटर जयंत घोषाल ने एक बार अवीक सरकार के बारे में कहा था, ‘उनकी सबसे बड़ी ताकत बदलते समय और टेक्नोलॉजी में प्रगति के माध्यम से खुद को और अपने संगठन को लगातार अपडेट करने की उनकी क्षमता है।’

वर्ष 2016 में अवीक सरकार एबीपी प्राइवेट लिमिटेड में एडिटर-इन-चीफ के पद से सेवानिवृत्त हो गए और यह जिम्मेदारी उनके भाई अरुप सरकार ने संभाल ली। तब उन्हें अखबार के न्यूज ऑपरेशंस का मार्गदर्शन करने और डिजिटल पहलों का नेतृत्व करने के लिए वाइस चेयरमैन व एडिटर एमरेटस के रूप में नामित किया गया था। वर्ष 2020 में अवीक सरकार को ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) का चेयरमैन भी चुना गया था।  

भारत में खबरों के कारोबार में अवीक सरकार काफी प्रभावशाली रहे हैं। उनके नेतृत्व में एमजे अकबर, वीर सांघवी और उदय शंकर जैसे कई जाने-माने पत्रकारों को एबीपी में सीखने का मौका मिला है।


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