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जी-सोनी विलय मामले में NCLT की भूमिका को लेकर एक्सपर्ट की है यह राय
जी (Zee) और सोनी (Sony) के बीच विलय को लेकर बातचीत खत्म होने से कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों पक्ष अब मुकदमेबाजी की लड़ाई में उलझे हुए हैं।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 months ago
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।
जी (Zee) और सोनी (Sony) के बीच विलय को लेकर बातचीत खत्म होने से कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों पक्ष अब मुकदमेबाजी की लड़ाई में उलझे हुए हैं।
जी द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करने के एक दिन बाद कि सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) ने विलय समझौते को लागू करने के लिए 'जी' को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास जाने से रोकने की 'सोनी' की याचिका रद्द कर दी, जिस पर 'सोनी' ने निराशा व्यक्त की और कहा कि वह लड़ाई जारी रखेगी। SIAC एसआईएसी में विलय समझौते को समाप्त करने का अधिकार है।
जैसा कि अब अदालतों में खींचतान जारी है, एक्सचेंज4मीडिया ने यह समझने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से बात की कि क्या 'सोनी', 'जी' को विलय समझौते को लागू करने के लिए कानूनी हस्तक्षेप की मांग करने से रोकने के लिए कोई अन्य कानूनी विकल्प अपना सकता है या फिर यदि NCLT ने 'जी' की याचिका पर अनुमति दे दी, तो क्या सोनी को विलय को आगे बढ़ाने के लिए जवाब तलाशेगा।
वहीं, कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि यदि एक पक्ष अनिच्छुक है तो विलय लागू करने पर दबाव नहीं डाला जा सकता है।
एक विशेषज्ञ ने कहा, 'जब कोई पक्ष अनिच्छुक हो तो NCLT विलय लागू नहीं कर सकता। जिस तरह से एक पार्टनर के मना करने पर शादी नहीं की जा सकती है, इसी तरह से एक पक्ष अनिच्छा से विलय के लागू करने पर दबाव नहीं डाला जा सकता है।
जी द्वारा मुआवजे की मांग के मुद्दे पर सिंघानिया एंड कंपनी के पार्टनर व एडवोकेट राजीव शर्मा ने कहा, “भले ही सोनी के पास विलय को आगे बढ़ाने का कोई वैध आधार नहीं हो, फिर भी 'जी' विलय में सहयोग न करने पर मुआवजे की मांग कर सकता है्, लेकिन इसके लिए उसे कोर्ट का सहारा लेना ही पड़ेगा।'' बता दें कि 22 दिसंबर, 2021 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
उन्होंने कहा, "कोई भी कोर्ट विलय को लागू करने पर दबाव नहीं डाल सकती है।"
पीएसएल एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स (PSL Advocates & Solicitors) के मैनेजिंग पार्टनर समीर जैन के अनुसार, NCLT में जहां 'जी' राहत की मांग रहा है, तो वहीं, सोनी अपना बचाव कर सकती है,
उन्होंने कहा, “SIAC के फैसले के बाद, सोनी अभी भी NCLT में 'जी' की याचिका का बचाव कर सकती है। 'जी' ने विलय समझौते को लागू करने के लिए NCLT से संपर्क किया है। सोनी के विकल्प में NCLT के समक्ष उस याचिका का बचाव करना शामिल है।” उन्होंने कहा आगे कहा कि सोनी के पास NCLT के फैसले के खिलाफ NCLAT के समक्ष अपील दायर करने का भी विकल्प होगा।
NCLT द्वारा ऐसे मामलों को निपटाने में कितना समय लगता है, इस पर जैन ने कहा कि इसमें कुछ महीने लग सकते हैं।
उन्होंने कहा, “कोई निर्धारित समयसीमा नहीं है। हालांकि, NCLT के समक्ष सामान्य समय-सीमा को देखते हुए, NCLT को अंततः 'जी' की याचिका पर फैसला करने में कुछ महीने लग सकते हैं।”
दिल्ली हाई कोर्ट की वकील एकता राय के मुताबिक, “NCLT-मुंबई के समक्ष आवेदन के निपटान की समय-सीमा का अनुमान लगाना कठिन है, खासकर यह देखते हुए कि सोनी निश्चित रूप से आवेदन का विरोध करेगी। अंत में, मामले के गुण-दोष (merits) के आधार पर फैसला सुनाया जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में इसी कोर्ट ने विलय का आदेश पारित किया था और वर्तमान में 'जी' उसी आदेश को लागू करने की मांग कर रही है।
उन्होंने कहा, “हालांकि, पहले जिन मुद्दों के कारण विलय में देरी हुई, वे पुनित गोयनका की विश्वसनीयता और विभिन्न बैंकों के प्रति कई वित्तीय दायित्वों से संबंधित थे, जिन्हें 'जी' से पूरा करने की उम्मीद की गई थी। सोनी इन मुद्दों में पक्षकार (party) नहीं थी।
राय ने कहा, “इस बार, मामला अनुबंध के उल्लंघन का है, जैसा कि सोनी ने खुद दावा किया है। प्रक्रियात्मक रूप से, न्यायालय को उल्लंघन के आधार पर सोनी की दलीलें सुननी होंगी। केवल एक बार आश्वस्त होने पर कि अनुबंध का कोई महत्वपूर्ण उल्लंघन नहीं हुआ है, NCLT विलय को लागू करने को लेकर आदेश पारित कर सकता है।”
गौरतलब है कि 'सोनी' (Sony) को सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) से तब बड़ा झटका लगा, जब SIAC ने जी एंटरटेनमेंट (ZEEL) के खिलाफ उसके द्वारा दायर की गई इमरजेंसी एप्लीकेशन को खारिज कर दिया, जिसमें 'जी' को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में जाने से रोकने की मांग की गई थी। यह आवेदन भारत में सोनी की यूनिट 'कल्वर मैक्स' और 'बांग्ला एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड' (BEPL) द्वारा दायर किया गया था।
SIAC ने कहा था कि उसके पास जी को NCLT में जाने से रोकने का कोई अधिकार क्षेत्र या अधिकार नहीं है क्योंकि विलय स्थानीय न्यायाधिकरण के दायरे में आता है।
इस निर्णय के बाद सोनी ने सोमवार को कहा था कि वह SIAC के फैसले से निराश है। यह निर्णय केवल प्रक्रिया का हिस्सा है। इसमें केवल इस बात पर फैसला किया गया है कि जी एंटरटेनमेंट को NCLT के साथ अपने आवेदन को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी या नहीं।
जापानी कंपनी की भारतीय इकाई ने आगे कहा था कि वह सिंगापुर में एक पूर्ण न्यायाधिकरण के सामने मामले में सख्ती से मध्यस्थता करना जारी रखेगा और विलय समझौते को खत्म करने और टर्मिनेशन फीस और बाकी उपायों की मांग करने के अपने अधिकार को भी जारी रखेगा। सोनी ने कहा था कि वह सिंगापुर और भारत दोनों में अपनी पोजिशन को लेकर आश्वस्त है।
वहीं, 'जी' ने रविवार को स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी थी कि SIAC ने एक इमर्जेंसी मध्यस्थता फैसले में 'जी' पर रोक लगाने की कल्वर मैक्स और BEPL (बांग्ला एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड) की याचिका को खारिज कर दिया। SIAC ने अपने आदेश में कहा कि उसके पास ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है।
'जी' ने कहा था कि इस बारे में अब NCLT को निर्णय लेना है और उसे उम्मीद है कि NCLT विलय योजना को लागू करेगा।
बता दें कि सोनी ने 'जी' के साथ बहुप्रतीक्षित 10 बिलियन डॉलर के विलय को रद्द कर दिया था और 90 मिलियन डॉलर की समाप्ति शुल्क की मांग करते हुए कंपनी के खिलाफ मध्यस्थता शुरू की थी। दूसरी ओर, 'जी' ने विलय को लागू करने और सोनी द्वारा समाप्ति के लिए अन्य उपायों की मांग करते हुए NCLT का रुख किया।
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