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सवालों के घेरे में आने वाली रेटिंग से बेहतर है कि कोई रेटिंग न आए: अविनाश पाण्डेय

‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पाण्डेय ने तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी।

समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago

कुछ न्यूज चैनल्स द्वारा टेलिविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) में हेराफेरी के आरोपों के बाद अक्टूबर 2020 के मध्य से न्यूज चैनल्स की रेटिंग जारी नहीं हो रही है। वीकली व्युअरशिप रेटिंग न होने के बावजूद लॉकडाउन के दौरान दुनियाभर में न्यूज चैनल्स की व्युअरशिप में काफी इजाफा हुआ है। इन सबके बीच ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के सीईओ अविनाश पाण्डेय का कहना है कि खराब या गलत रेटिंग मिलने से अच्छा है कि रेटिंग न मिले।

‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में अविनाश पाण्डेय का कहना है कि यदि रेटिंग सिस्टम से छेड़छाड़ की गई हो और वास्तविक सच्चाई सामने न आए तो सवालों के घेरे में आने वाली रेटिंग से बेहतर है कि कोई रेटिंग न आए।

पब्लिक पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर ‘विजिनरी टॉक सीरीज’ (Visionary Talk series) के तहत होने वाले इस वेबिनार के दौरान अविनाश पाण्डेय का कहना था कि विभिन्न टीवी चैनल्स पर होने वाला शोरगुल लगभग खत्म हो गया है और चैनल्स प्रधानमंत्री के भाषणों को कवर कर रहे हैं।  

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय तक डाटा की अनुपलब्धता इंडस्ट्री के लिए अच्छा नहीं है और इंडस्ट्री के दिग्गजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स को दिया जाने वाला डाटा त्रुटि रहित हो और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स की मांग पूरी करता हो। ऐसा होने पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फिर से रेटिंग्स पर वापस आ जाएंगे और हर कोई खुश होगा। अभी यह कंटेंट और एडवर्टाइजर के लिए अच्छा लगता है।   

इस बातचीत के दौरान अविनाश पाण्डेय का यह भी कहना था कि न्यूज का काम सूचना देना, शिक्षित करना और मनोरंजन करना है, लेकिन यहां आखिरी को अन्य दो पर प्राथमिकता मिलती है, यही समस्या है।

उनका कहना था, ‘इस तथ्य के बावजूद कि पिछले दो वर्षों में भारत में शिक्षा क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है, किसी भी टीवी चैनल ने इस पर बहस नहीं की है या न्यूज चैनल्स पर कोई चर्चा नहीं हुई है। शिक्षा सुधारों को लेकर कोई भी खबर नहीं आई है। आज न्यूज इस बात पर फोकस गई है कि उनकी कवरेज ज्यादा अच्छी है। उन्होंने कहा कि इसका कारण बार्क (BARC) का डाटा है जो बताता है कि जब भी आप कोई ऐसा कार्यक्रम चलाते हैं जो सनसनीखेज हो, तो रेटिंग बढ़ने लगती है, क्योंकि बार्क सिस्टम को मनोरंजन को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया लगता है, जो यह बहुत अच्छा करता है, लेकिन न्यूज जैसे गंभीर जॉनर को मापने के लिए पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि ब्रॉडकास्ट न्यूज का वर्तमान मॉडल काफी त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि यह पूरी तरह से एडवर्टाइजिंग पर निर्भर है। यह रेवेन्यू के लिए एडवर्टाइजिंग पर निर्भर होता है। अभी या बाद में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स को पे मॉडल (pay model) की ओर बढ़ना चाहिए जो इस सिस्टम की खामियों को दूर कर देगा।  

अविनाश पाण्डेय के अनुसार, ‘उन्हें ऐसा कंटेंट तैयार करना चाहिए, जिसे लोग सबस्क्राइब करना चाहते हों वे इस पर जाएं और इसे देखें। इसके लिए लोग भुगतान करेंगे और रेवेन्यू मिलेगा। अभी यह फ्री टू एयर (FTA) है और रेटिंग पर निर्भर है।’

उन्होंने कहा, ’जब आपका पूरा रेवेन्यू एडवर्टाइजिंग पर निर्भर होता है तो तमाम एडिटर्स उन स्टोरीज को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं जो  मनोरंजक अथवा सनसनीखेज हों और इसने समय के साथ भारतीय टेलिविजन न्यूज की समग्र गुणवत्ता को कम कर दिया है।’

इसके साथ ही पाण्डेय का यह भी कहना था, ’हालांकि, न्यूज की गुणवत्ता पूरी तरह से कम नहीं हुई है। न्यूज चैनल को सफल होने के लिए रोचक तरीके से न्यूज प्रदान करना एक महत्वपूर्ण घटक है। इन सबके बावजूद तमाम न्यूज एडिटर्स हमेशा ये मानते हैं कि बेशक न्यूज का कुछ हिस्सा रेटिंग के लिए किया जाता है, अधिकांश न्यूज ने बेहतरीन कंटेट प्रदान किया है। दुनिया में कोई भी अन्य चैनल भारत के साथ तुलना नहीं कर सकता है, क्योंकि यह विविध और अलग है, जहां हर दिन कुछ न कुछ हो रहा है।’


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