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जानें, क्यों पत्रकार पीटते रहे इमरजेंसी वार्ड का दरवाजा, फिर भी नहीं पिघला प्रशासन
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बयान के बाद प्रशासन ने दी सफाई
पंकज शर्मा 5 years ago
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में गिरफ्तारी के बाद विवादों में घिरी प्रदेश सरकार अब नए आरोपों में फंस गई है। आरोप लगा है पत्रकारों को जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बंद करने का और यह पूरा मामला मुरादाबाद का है। हालांकि, विवाद बढ़ने और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा सरकार पर निशाना साधे जाने के बाद अपने इस कदम पर अब जिला प्रशासन ने सफाई देनी शुरू कर दी है और कहा है कि अस्पताल में किसी पत्रकार को बंधक नहीं बनाया गया था।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को मुरादाबाद के जिला अस्पताल का दौरा किया था। चूंकि, मुख्यमंत्री आ रहे थे, इसलिए कवरेज के लिए तमाम मीडियाकर्मी जिला अस्पताल परिसर में जुटे हुए थे। लेकिन, इस दौरान यहां के जिला प्रशासन ने ऐसा निर्णय लिया, जिसकी उम्मीद पत्रकारों को नहीं थी। पत्रकार कहीं मुख्यमंत्री से कोई सवाल न पूछ लें, इसलिए मुरादाबाद के डीम राकेश कुमार सिंह ने तमाम पत्रकारों को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बंद कर दिया। यही नहीं, डीएम ने गेट के बाहर थाना प्रभारी शक्ति सिंह को भी तैनात कर दिया। जब तक अस्पताल में योगी निरीक्षण करते रहे, तब तक पत्रकारों को कमरे में ही बंद रखा गया। पत्रकार दरवाजी पीटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी।
हालांकि, जब सीएम महिला अस्पताल की ओर बढ़ने लगे, तब दरवाजा खोल दिया गया। इसके बाद पत्रकारों ने इसके विरोध में काफी हंगामा किया। इस मामले में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी योगी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया। इस ट्वीट में प्रियंका गांधी का कहना था, ‘पत्रकार बंधक बनाए जा रहे हैं सवालों पर पर्दा डाला जा रहा है, समस्याओं को दरकिनार किया जा रहा है। प्रचंड बहुमत पाने वाली उप्र भाजपा सरकार जनता के सवालों से ही मुंह बिचका रही है।'
इस घटना पर योगी सरकार की फजीहत के बाद प्रशासन को सफाई देनी पड़ गई। प्रशासन का कहना था, ‘सोशल मीडिया पर गलत खबर फैलाई जा रही है। अस्पताल वार्ड में भारी संख्या में पत्रकार मौजूद थे। जिस वार्ड का दौरा सीएम कर रहे थे, अगर वहां पत्रकार जाते तो इलाज करवा रहे मरीजों को दिक्कत होती। उन्हें इंफेक्शन का भी खतरा होता। इसलिए पत्रकारों को रोका गया था। उन्हें इमरजेंसी वार्ड के गेट पर रोक दिया गया था, न कि बंद किया गया था।
इस घटना से जुड़ा विडियो आप यहां देख सकते हैं-
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