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पत्रकारों की जासूसी की प्रेस संगठनों ने की निंदा, कहा- खुद को बेगुनाह साबित करे सरकार
करीब 300 लोगों की कथित तौर पर की गई जासूसी की कई प्रेस संगठनों ने निंदा की है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों, सरकारी अफसरों, वैज्ञानिकों, एक्टिविस्ट समेत करीब 300 लोगों की कथित तौर पर की गई जासूसी की कई प्रेस संगठनों ने निंदा की है। साथ ही प्रेस संगठनों ने ‘पेगासस’ खुलासे की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि सरकार खुद को बेगुनाह साबित करे।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस पूरे खुलासे को अप्रत्याशित बताते हुए कहा कि पहली बार देश में लोकतंत्र के चारों स्तंभों की जासूसी की गई है। प्रेस क्लब ने कहा, ‘देश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि हमारे लोकतकंत्र के सभी स्तंभों न्यायपालिका, सांसद, मंत्रियों, मीडिया, अधिकारियों और अन्य की जासूसी की गई। प्रेस क्लब स्पष्ट रूप से इसकी निंदा करता है। यह जासूसी गुप्त उद्देश्यों के लिए की गई है।’
प्रेस क्लब ने केंद्र सरकार से इस पेगासस प्रोजेक्ट में हुए खुलासे पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए कहा, ‘परेशान करने वाली बात यह है कि एक विदेशी एजेंसी, जिसका देश के हित से कोई लेना-देना नहीं है, वह यहां के नागरिकों की जासूसी करने में लगी हुई है। यह अविश्वास पैदा करता है और अराजकता को आमंत्रित करने वाला है। सरकार को इस मुद्दे पर अपना पक्ष साबित करना चाहिए और स्पष्टीकरण देना चाहिए।
This is the first time in the history of this country that all pillars of our democracy — judiciary, Parliamentarians, media, executives & ministers — have been spied upon. This is unprecedented and the PCI condemns unequivocally. The snooping has been done for interior motives.
— Press Club of India (@PCITweets) July 19, 2021
मुंबई प्रेस क्लब ने भी बयान जारी कर इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की है। मुंबई प्रेस क्लब ने अपने ट्वीट में कहा, ‘हम 40 भारतीय पत्रकारों और अन्य लोगों के फोन की जासूसी करने की कड़ी निंदा करते हैं। हालांकि, सरकार ने जासूसी के इन आरोपों की न तो पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है। पेगासस स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचा जाता है। इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।’
We strongly condemn the spying on the phones of 40 Indian journalists, among others. Though the government has neither confirmed nor denied the spying, Pegasus software is sold only to governments. There should be an independent inquiry into this entire affair. @PMOIndia
— Mumbai Press Club (@mumbaipressclub) July 19, 2021
वहीं, इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स ने भी जासूसी की निंदा करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में मीडिया की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। वीमेन प्रेस कॉर्प्स ने बयान में कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे लोकतंत्र में पत्रकारों को अपने काम के दौरान कुछ इस तरह के हालातों से गुजरना पड़ता है। स्वतंत्र पत्रकारिता संविधान के अधिकारों को बनाए रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है।’
It is unfortunate that in a democracy like India, journalists have to go through something like this in the course of their work. Independent journalism is one of the most important tools to uphold the rights the Constitution grants the citizens of this country.
— Indian Women’s Press Corps (@iwpcdelhi) July 19, 2021
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो केंद्रीय मंत्री, 40 से अधिक पत्रकार, विपक्ष के तीन नेता और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारी, सरकारी अफसर, वैज्ञानिक, एक्टिविस्ट समेत करीब 300 लोगों की कथित तौर पर जासूसी की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सभी पर फोन के जरिए निगरानी रखी जा रही थी।
इस खुलासे से सामने आया है कि लीक हुई सूची में 40 पत्रकारों के नाम हैं, जिनकी या तो जासूसी हुई है या उन्हें संभावित टारगेट के तौर पर लक्षित किया गया है।
इस बात का खुलासा मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने किया है। संगठन का मानना है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर ‘पेगासस’ का इस्तेमाल किया गया था।
बता दें कि यह रिपोर्ट रविवार को सामने आई है। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा, ‘इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।’
सरकार ने मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए कहा, ‘भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।’ साथ ही सरकार ने ‘जांचकर्ता, अभियोजक और जूरी की भूमिका’ निभाने के प्रयास संबंधी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया।
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