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पेगासस मामले की जांच को लेकर मीडिया निकायों ने एक सुर में उठाई ये आवाज
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित पत्रकारों के कई अन्य मीडिया निकायों ने स्पाईवेयर के जरिए पत्रकारों और अन्य की कथित जासूसी की निंदा की
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 years ago
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित पत्रकारों के कई अन्य मीडिया निकायों ने स्पाईवेयर के जरिए पत्रकारों और अन्य की कथित जासूसी की निंदा की और मामले में ‘उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच’ की मांग की।
इन मीडिया निकायों के प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें लगता है कि नागरिकों की जासूसी करने से लोकतंत्र कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पेगासस स्पाईवेयर पर उठ रहे संदेहों को दूर करे और इस मामले में वह खुद को साफ-सुथरा साबित करे।
यह बयान प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के साथ-साथ एडिटर्स गिल्ड, दिल्ली पत्रकार संघ, इंडियन वीमेंस प्रेस कोर, वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन, आईजेयू और विभिन्न मीडिया संगठनों की ओर से जारी किया गया।
The PCI, @IndEditorsGuild, Delhi Union of Journalists, @iwpcdelhi, Working News Cameraman Association, IJU, and various media organisations, strongly condemn the surveillance mounted on Indian journalists, activists, ministers, parliamentarians
— Press Club of India (@PCITweets) July 22, 2021
and members of the judiciary. pic.twitter.com/9LOvXc46Fd
पत्रकारों के संगठनों का यह बयान तब आया है जब इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर पर हंगामा मचा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसके माध्यम से दुनिया भर में लोगों पर कथित तौर पर जासूसी कराई गई, जिसमें भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों, सरकारी अफसरों, वैज्ञानिकों, एक्टिविस्ट समेत करीब 300 लोग शामिल हैं।
दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाइवेयर के बारे में खुलासा किया है। एक लीक हुए डेटाबेस के अनुसार इजरायली निगरानी प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ के कई सरकारी ग्राहकों द्वारा हजारों टेलीफोन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था। इसमें 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबर शामिल हैं।
इतने बड़े पैमाने पर ऐसे लोगों के नाम आने को लेकर ही मीडिया निकाय ने इस मामले में जांच की मांग की है। प्रेस क्लब की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ऐसी निगरानी के लिए लोगों के प्रति सरकार जवाबदेह है और उसकी जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि भारतीय नागरिकों की अवैध जासूसी नहीं हो पाए।
बयान में कहा गया है कि पत्रकारों के संगठन मानते हैं कि पत्रकारों, नागरिक समाज, मंत्रियों, सांसदों और न्यायपालिका पर ऐसी निगरानी सत्ता का पूरी तरह दुरुपयोग है और इसे तुरत रोका जाना चाहिए। इसने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में ऐसी नियंत्रित निगरानी नहीं की जा सकती है।
पत्रकारों के संगठनों ने चेताया है कि भारतीय नागरिकों की पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी कराना भारतीय संप्रभुता को खतरे में डालेगा और इसलिए यह जरूरी है कि भारत सरकार इसमें दखल दे और साफ करे कि यह कैसे और क्यों हुआ। बयान में कहा कहा गया है, 'हम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जासूसी की जांच किए जाने की मांग करते हैं। मीडिया संस्थान लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक विकल्प का उपाए भी तलाशेंगे।'
इन मीडिया निकायों के प्रतिनिधियों ने ‘दैनिक भास्कर’ और ‘भारत समाचार’ चैनल सहित मीडिया प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की निंदा भी की और कहा कि यह ‘असहमति को दबाने’ का प्रयास है।
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