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इस रिपोर्ट पर टिकी हैं प्रिंट इंडस्ट्री की निगाहें, लगाए जा रहे ये अनुमान
प्रिंट इंडस्ट्री के लोगों को इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) 2019 की पहली तिमाही के डाटा जल्द जारी होने वाले हैं। इंडस्ट्री को इन डाटा का बेसब्री से इंतजार है। रिपोर्ट में इस बड़े सवाल का जवाब मिलने की उम्मीद है कि डिजिटल मीडिया के इस युग में प्रिंट का प्रदर्शन कैसा रहा है। इस बारे में हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने इंडस्ट्री के कुछ एक्सपर्ट्स के साथ बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर आईआरएस के डाटा को लेकर उन्हें क्या उम्मीदें हैं।
इस बारे में ‘मातृभूमि’ (Mathrubhumi) मीडिया समूह के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर एमवी श्रेयम्स कुमार का कहना है, ‘भीषण बाढ़ और विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक कारणों की वजह से वर्ष 2018 केरल के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। इसका प्रभाव सभी प्रकार के बिजनेस पर पड़ा है। अभी तो हम इस नुकसान की भरपाई में जुटे हैं। उम्मीद है कि आईआरएस की रिपोर्ट मार्केट और मीडिया के उपभोग को लेकर एक समग्र डाटा पेश करेगी, जिससे मार्केट में हमें अपनी वर्तमान स्थिति को समझने में काफी सहायता मिलेगी।’ श्रेयम्स कुमार की तरह प्रिंट मीडिया के अन्य दिग्गज भी इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर ग्रुप की चीफ कॉरपोरेट मार्केटिंग ऑफिसर काकून सेठी का कहना है,’हम आईआरएस रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। हमारे पास हर तिमाही का डाटा मौजूद होगा। इस तरह से पूर्वानुमान लगाना इंडस्ट्री के लिए अच्छा है।’ ‘कन्नड़ प्रभा’ (Kannada Prabha) और ‘सुवर्णा न्यूज’ (Suvarna News) के बिजनेस हेड एनके अप्पाचू (N K Appachoo) का कहना है, ‘यह देखना वाकई में काफी दिलचस्प होगा कि अखबारों की रीडरशिप को लेकर आईआरएस की रिपोर्ट क्या कहती है। ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन’ (ABC) के अनुसार कर्नाटक के अधिकांश अखबारों के सर्कुलेशन में गिरावट देखने को मिली है। मुझे लगता है कि रीडरशिप के मामले में आईआरएस 2019 की रिपोर्ट में ही ऐसा ही कुछ देखने को मिलेगा।’ वहीं, अधिकांश प्रिंट मीडिया प्लेयर्स को उम्मीद है कि आईआरएस 2019 के डाटा से पता चल जाएगा कि प्रिंट को पढ़ने वाले पाठकों की अभी भी बड़ी संख्या है।
इस बारे में ‘विक्तान ग्रुप’ (Vikatan Group) के मैनेजिंग डायरेक्टर बी. श्रीनिवासन का कहना है, ‘एक लंबे समय अंतराल के बाद आईआरएस 2017 से पाठकों के समग्र दृष्टिकोण के बारे में पता चला था। अपने अनुभव से हम यह भलीभांति जानते हैं कि बेशक डिजिटल मीडिया की ग्रोथ डबल अंक में हो गई हो, टीवी की पहुंच भी लगातार बढ़ रही है, लेकिन प्रिंट ने भी अपनी पहुंच और पाठक संख्या के मामले में काफी बढ़ोतरी की है। हमें उम्मीद है कि आईआरएस में ये डाटा शामिल होंगे।’
‘पंजाब केसरी’ ग्रुप के मालिक अमित चोपड़ा ने भी यही भरोसा जताया है कि उनके ग्रुप ने काफी बढ़ोतरी की है और आईआरएस में ये देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘पिछले आईआरएस में नवोदय टाइम्स शामिल नहीं था। इस बार इसे शामिल किया गया है और इसका असर हमारी संख्या पर पड़ेगा। इस बात में कोई शक नहीं है कि डिजिटल की काफी ग्रोथ हुई है, लेकिन प्रिंट में भी कमी नहीं आई है। वास्तव में डिजिटल का उदय पब्लिशर्स के लिए काफी अच्छा है, क्योंकि इससे पेवॉल मॉडल (paywall model) काफी लोकप्रिय हो रहा है और हमें फायदा दे रहा है। कुल मिलाकर आईआरएस के डाटा से हमें काफी उम्मीदें हैं।’
तमिल अखबार ‘दिनामलार’ (Dinamalar) के नेशनल हेड (ऐडवर्टाइजिंग) मार्टिन किंग का कहना है, ‘हमारी इंडस्ट्री में आईआरएस की काफी वैल्यू है। मेरा मानना है कि भाषाई समाचार पत्रों के लिए मीडिया एजेंसियों और क्लाइंट्स को अखबार को और स्थानीय मजबूती देने की जरूरत है।’ वहीं, क्रिएटिव एक्सपर्ट भी इन डाटा को लेकर काफी उम्मीद जता रहे हैं। ‘डेंट्सू इंपैक्ट’ के प्रेजिडेंट अमित वाधवा का कहना है, ‘क्रिएटिविटी के नजरिये से देखें तो प्रिंट काफी दिलचस्प माध्यम है। पिछली बार के आईआरएस में हमें पता चल चुका है कि कंज्यूमर की जिंदगी में इसका कितना महत्व है। हमें इस बार कुछ दिलचस्प निष्कर्षों की उम्मीद कर रहे हैं, जो हमें और क्रिएटिव काम करने के लिए प्रेरित करेगा।’
टैग्स प्रिंट इंडस्ट्री इंडियन रीडरशिप सर्वे एमवी श्रेयम्स कुमार काकून सेठी