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अखबारों ने डिजिटल पर साधा निशाना, बयां की ये ‘सच्चाई’
आजकल डिजिटल का जमाना है और इसके सामने अक्सर प्रिंट को काफी धीमा और बासी कहा जाता है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
आजकल डिजिटल का जमाना है और इसके सामने अक्सर प्रिंट को काफी धीमा और बासी कहा जाता है, लेकिन डिजिटल पर फेक न्यूज की गुंजाइश ज्यादा रहती है। ऐसे में प्रिंट ने फिर अपनी दमदार वापसी की है। प्रिंट से जुड़े लोगों का मानना है कि छपे हुए शब्दों का महत्व बहुत ज्यादा होता है और इसमें न्यूज पब्लिश करने से पहले उसकी कई स्तरों पर जांच की जाती है। इसके लिए प्रिंट मीडिया ने डिजिटल मीडिया को लक्ष्य बनाते हुए एक कैंपेन भी शुरू किया है।
इस हफ्ते की शुरुआत में लगभग सभी बड़े अखबारों ने पूरे पेज का विज्ञापन दिया है, जिसमें लिखा है, ‘Print is Proof’। इस कैंपेन के अनुसार, लगभग सभी बड़े अखबारों जैसे- ‘द हिन्दू ग्रुप’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’, ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘दैनिक भास्कर’ के हवाले से कहा गया है कि खबरों के मामले में प्रिंट अभी भी सबसे विश्वसनीय स्रोत बना हुआ है।
इस बारे में ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (बीसीसीएल) के सीईओ राज जैन का कहना है, ‘अखबार में किसी भी न्यूज को पब्लिश करने से पहले विभिन्न चरणों से होकर गुजरना होता है, जहां पर उसकी कई स्तरों पर जांच की जाती है। डिजिटल की बात करें तो यह काफी तेज माध्यम है। ऐसे में डिजिटल पर किसी भी स्टोरी के सोर्स के बारे में पता करना बहुत मुश्किल है। हालांकि हम मीडिया के किसी भी स्वरूप के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम अभी भी मजबूती से इस बात को कह रहे हैं कि अखबार में पब्लिश करने से पहले न्यूज के बारे में अच्छी तरह से पड़ताल की जाती है।’
जैन का यह भी कहना है, ‘यदि हमें किसी खबर के बारे में तथ्यों की पुष्टि नहीं हो पाती है तो हम उसे पब्लिश नहीं करते हैं। हमारे लिए किसी भी स्टोरी की शुरुआत ही वेरिफिकेशन से होती है, लेकिन सोशल मीडिया में आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। वहां यह एक सनसनी की तरह पब्लिश की जाती है। यदि कोई स्टोरी पुष्ट नहीं होती है तो सोशल मीडिया में उसे हटाया जा सकता है। अखबार में इस तरह नहीं हो सकता है। एक बार पब्लिश होने के बाद स्टोरी का वापस होना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए हम कोई भी न्यूज पब्लिश करने से पहले उसे वेरिफाई जरूर करते हैं। कोई भी न्यूज तथ्यों पर आधारित है, अखबार इस बात का प्रमाण हैं।’
राज जैन की तरह ‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ (DB Corp Ltd) के प्रमोटर डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल का भी यही कहना है कि अखबारों में सनसनी, अनुमान अथवा तथ्यों से छेड़छाड़ के आधार पर न्यूज पब्लिश नहीं की जाती है। गिरीश अग्रवाल के अनुसार, ‘अखबारों में इसके लिए बाकायदा एक न्यूज रूम और वेरिफिकेशन सिस्टम होता है। इसके अलावा फॉर्मेट की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी अखबार अपने ऑनलाइन संस्करण भी तैयार कर रहे हैं।’
अग्रवाल का यह भी कहना है, ‘अखबारों में हमने इस तरह का जो विज्ञापन दिया है, वह दो महीने लंबे कैंपेन का पहला पार्ट है। पहले पार्ट में प्रमुख अखबार एक साथ मिलकर आगे बढ़े हैं और दूसरे पार्ट में अन्य अखबार भी हमारे साथ आएंगे। ‘Print is Proof’ ने प्रिंट इंडस्ट्री को एक मौका दिया है, जब इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स मिलकर एक साथ आगे आए हैं। यही नहीं, विज्ञापनदाताओं का भी प्रिंट मीडिया में विश्वास बढ़ रहा है।’ गिरीश अग्रवाल का कहना है, ‘प्रिंट में लोगों का भरोसा बढ़ रहा है क्योंकि इसमें पाठकों को ज्ञानपरक जानकारी देने के साथ ही विश्वसनीय खबरें मिलती हैं।’
इस बारे में ‘एचटी मीडिया’ (HT Media) समूह के सीएमओ राजन भल्ला का कहना है, ‘हमने हाल ही में देश में प्रिंट के प्रभाव के बारे में और इसकी निरंतर प्रासंगिकता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कैंपेन शुरू किया है।‘ भल्ला का कहना है, ‘“The ‘Print is proof’ कैंपने इंडस्ट्री की ओर से संयुक्त रूप से की गई पहल है। इसमें इस बात पर जोर दिया है कि अखबारों में किसी भी तरह की फेक न्यूज और व्यर्थ की सनसनीखेज खबरों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है। अखबार में सच और विश्वसनीयता पर जोर दिया जाता है।’
वहीं, ‘द हिन्दू’ ग्रुप के वाइस प्रेजिडेंट (स्ट्रैटेजी और मार्केटिंग) डॉ. सत्य श्रीराम का कहना है, ‘हिन्दू ग्रुप का मानना है कि पत्रकारिता का पहला सबब किसी भी न्यूज की सत्यता की पुष्टि करना है। हालांकि हमें अपने सूत्रों पर पूरा भरोसा होता है, फिर भी हम कोई भी न्यूज पब्लिश करने से पहले तथ्यों की जांच जरूर करते हैं। क्योंकि एक बार पब्लिश होने के बाद इसमें बदलाव की गुंजाइश नहीं होती है। इसी विश्वसनीयता के कारण प्रिंट पत्रकारिता अभी भी मजबूती से टिकी हुई है।’
मीडिया समूहों की ओर से दिए गए ‘Print is proof’ विज्ञापन को आप यहां देख सकते हैं-
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