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बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वीकार की सेबी के समन के खिलाफ डॉ. सुभाष चंद्रा की याचिका
बॉम्बे हाई कोर्ट ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मानद चेयरमैन व राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ. सुभाष चंद्रा की दलीलों को स्वीकार कर लिया है
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 months ago
बॉम्बे हाई कोर्ट ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मानद चेयरमैन व राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ. सुभाष चंद्रा की दलीलों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने सेबी द्वारा जारी 12 जनवरी 2024 के समन के खिलाफ रिट याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि समन सेबी अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं करता है। इसमें पूर्व-निर्धारित और निर्णायक आरोप शामिल हैं और यह कारण बताओ नोटिस जैसा है।
चंद्रा ने तर्क दिया कि सेबी के समन में ऐसी भाषा में आरोप लगाए गए थे, जिससे लगता था कि वह दोषी हैं, लिहाजा उन्होंने कोर्ट से समन को अमान्य और गैरकानूनी घोषित करने का अनुरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि समन पक्षपातपूर्ण, अनुचित, मनमाना और पूर्वनिर्धारित था।
सेबी ने आरोप लगाया था कि डॉ. चंद्रा जांच को रोकने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने 12 जनवरी के समन का जवाब नहीं दिया। जनवरी में, सेबी ने कथित फंड डायवर्जन मामले से संबंधित अपनी जांच में चंद्रा के खिलाफ कई समन जारी किए। हालांकि, सेबी ने कहा कि चंद्रा ने उन समन का जवाब नहीं दिया।
अपनी रिट याचिका में, डॉ. सुभाष चंद्रा ने बाजार नियामक की ओर से व्याप्त पूर्वाग्रह से संबंधित चिंताएं भी उठाईं, जिन्हें पहले प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) द्वारा ऑब्जर्व किया गया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट में बुधवार यानी आज हुई सुनवाई में सेबी ने रिट याचिका में उठाए गए बिंदुओं को स्वीकार कर लिया है।
न्यायालय ने डॉ. चंद्रा को 12 जनवरी 2024 के समन का जवाब न देने की सलाह दी है और उन्हें निर्देश दिया है कि वे केवल वही जानकारी/दस्तावेज उपलब्ध कराएं जो उनके पास उपलब्ध हों, जो सेबी के 27 मार्च 2024 के बाद के कम्युनिकेशन में मांगे गए हों।
डॉ. चंद्रा की ओर से दायर रिट याचिका में बाजार नियामक की ओर से व्याप्त पक्षपात से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
सेबी ने न्यायालय को सूचित किया है कि आगे चलकर डॉ. चंद्रा और ZEE से संबंधित मामलों के लिए अंतिम आदेश पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया के अलावा किसी अन्य अधिकारी द्वारा पारित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पक्षपात का कोई तत्व न हो।
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