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शुद्ध मनोरंजन और दिल थामकर रखने वाली है जयंती रंगनाथन की ‘शैडो’: संजीव पालीवाल
गुरुवार को जयंती रंगनाथन जी का उपन्यास ‘शैडो’ मेरे पास आया था। मैंने इसी दिन इसे पकड़ा तो आधा खत्म कर दिया। फिर शुक्रवार को भीमताल चला गया।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 2 years ago
संजीव पालीवाल,
वरिष्ठ पत्रकार व सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर, आजतक ।।
गुरुवार को जयंती रंगनाथन जी का उपन्यास ‘शैडो’ मेरे पास आया था। मैंने इसी दिन इसे पकड़ा तो आधा खत्म कर दिया। फिर शुक्रवार को भीमताल चला गया। अफसोस हुआ कि साथ लेकर क्यूं नहीं आया, क्यूंकि ख्यालों में किरदार साथ रहे। अक्सर मयंक, शोभित, पूर्वा, काव्या और मारिया याद आते रहे। दिल में एक बेचैनी रही कि क्या हुआ और जो हो रहा है, वो क्यूं हो रहा है।
खैर, रविवार की शाम वापस लौटा तो फिर शैडो के हवाले हो लिया। यकीन मानिये, हर पलटते पन्ने के साथ दिल की धड़कनें तेज होती रहीं। बेचैनी कह रही थी कि सारे पन्ने पलट लूं और जान लूं कि क्या हो रहा है। कौन है वो, लेकिन मैंने धैर्य रखा और आखिर तक चैन से पढ़ा। ठीक वैसे ही जैसे पुरानी शराब को इत्मिनान से धीरे-धीरे पीते हैं। शराब का आनंद लेते हैं। वैसे ही मैने इस किताब का आनंद लिया है। आखिरी पन्ना जब खत्म किया तो समझ आया कि मैंने सांस रोक रखी थी।
बहुत दिनों के बाद कुछ ऐसा मिला, जिसने मुझे बांधकर रखा। ये किताब शुद्ध मनोरंजन है। दिल थामकर रखने वाली किताब। ये मेरे टाइप का उपन्यास है। वो उपन्यास, जिसकी जमीन जानी-पहचानी नहीं होती। जो मनोरंजन के साथ साथ परिवेश, नयी संस्कृति और शहरों से भी आपका परिचय कराता है। आपकी जानकारी में इजाफा करता है।
शैडो के जरिये लेखक जयंती रंगनाथन हम पर अपनी बौद्धिकता का बोझ नहीं डालतीं। जयंती ने खुद को पाठक के रूप में सामने रखकर उपन्यास लिखा है। ना कि बतौर लेखक खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की कोशिश की है। ये मेरा मानना है। इसलिये मेरे जैसे पाठक के लिये ये उपन्यास सर्वश्रेष्ठ है।
बस एक ही लाइन से सहमत नहीं हूं कि 'एक लेखक कभी अच्छा प्रेमी नहीं बन सकता'... मुझे लगता है कि एक लेखक सिर्फ अच्छा प्रेमी ही हो सकता है और कुछ नहीं।
मैं कोई आलोचक या रिव्यू करने वाला नहीं हूं। बस किताब पसंद आ जाती है तो लिख देता हूं। कह देता हूं। आप अगर मजेदार, मनोरंजक और दिलचस्प पढ़ना चाहते हैं तो शैडो मंगाएं। निराश नहीं होंगे। दिल की धड़कन ना बढ़े तो कहियेगा।
(साभार: वरिष्ठ पत्रकार संजीव पालीवाल की फेसबुक वाल से)
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