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Whatsapp का मिसयूज रोकने के लिए सुमित अवस्थी ने दिया ये 'आइडिया'
‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह की ओर से 22 फरवरी को नोएडा के होटल रेडिसन ब्लू में ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2019 दिए गए
समाचार4मीडिया ब्यूरो 4 years ago
‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह की ओर से 22 फरवरी को नोएडा के होटल रेडिसन ब्लू में ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2019 दिए गए। इनबा का यह 12वां एडिशन था। देश में टेलिविजन न्यूज इंडस्ट्री को नई दिशा देने और इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम योगदान देने वालों को सम्मानित करने के लिए ये अवॉर्ड्स दिए गए। इस मौके पर कई पैनल डिस्कशन भी हुए। ऐसे ही एक पैनल का विषय ‘Differentiating editorial content from propaganda’ रखा गया था, जिसमें मीडिया की जानी-मानी हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस पैनल डिस्कशन को बतौर सेशन चेयर फिल्म मेकर, इंटरनेशनल एंटरप्रिन्योर, मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक डॉ. भुवन लाल ने मॉडरेट किया। इस पैनल डिस्कशन में ‘एबीपी न्यूज’ के वाइस प्रेजिडेंट (प्लानिंग और स्पेशल कवरेज) सुमित अवस्थी, ‘आजतक’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) रोहित सरदाना, ‘जी बिजनेस’ के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी, ‘राज्यसभा टीवी’ के एडिटर-इन-चीफ राहुल महाजन, ‘सीएनएन न्यूज18’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर भूपेंद्र चौबे और ‘विऑन’ की एग्जिक्यूटिव एडिटर पलकी शर्मा उपाध्याय शामिल थे।
इस मौके पर डॉ. भुवन लाल द्वारा यह पूछे जाने पर कि आज के दौर में एक और बड़ी चुनौती है। टीवी पर कुछ दिखाया जाता है, वहीं, एक ‘वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ है जो कुछ और बताती है। उसने भारत का इतिहास दोबारा लिख दिया है। बहुत सारे लोग इसमें ग्रेजुएशन और पीएचडी भी कर चुके हैं। अब उससे आप कैसे निबटेंगे? इस पर ‘एबीपी न्यूज’ के वाइस प्रेजिडेंट (प्लानिंग और स्पेशल कवरेज) सुमित अवस्थी का कहना था कि इसे ‘वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ कहा जाना सही नहीं है। सुमित अवस्थी के अनुसार, ‘इस कथित वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से बचने के लिए मेरे पास बहुत ही बेहतर आइडिया है। दरअसल, हम वॉट्सऐप से खुश होने से ज्यादा परेशान हैं। पहले खुश थे, लेकिन अब परेशान हो गए हैं। मेरी राय में वॉट्सऐप को पेड सर्विस कर देना चाहिए यानी इसे फ्री नहीं होना चाहिए। इस पर सेंशरशिप होनी चाहिए, क्योंकि इससे फायदे की जगह नुकसान ज्यादा हो रहा है।’
सुमित अवस्थी का कहना था, ‘मेरी राय में यदि लोग अपना कोई मैसेज लिखकर वॉट्सऐप पर शेयर कर रहे हैं तो उस पर कुछ शुल्क लगना चाहिए और यदि फॉरवर्ड कंटेंट को आगे फॉरवर्ड कर रहे हैं तो उस पर ज्यादा शुल्क लगना चाहिए और यदि फॉरवर्ड किया हुआ पिक्टोरियल कंटेंट है तो उस पर और ज्यादा शुल्क लगना चाहिए। मुझे लगता है कि ऐसा करने पर जब आदमी की जेब से मैसेज फॉरवर्ड करने के लिए पैसे जाएंगे, तो वह सिर्फ काम की बात ही फॉरवर्ड करेगा और काफी सोच-समझकर करेगा। आज के समय की तरह वो कुछ भी फॉरवर्ड नहीं कर देगा।’
चर्चा के दौरान सुमित अवस्थी का यह भी कहना था कि पत्रकारिता एक ऐसा आईना है, जिसे हम सब दूसरों को तो दिखाना चाहते हैं, लेकिन खुद नहीं देखना चाहते हैं। यही सबसे बड़ी समस्या है। इस आईने में हमें भी खुद को देखना होगा। स्थिति खराब तो हो चुकी है, लेकिन हम सभी को आगे की पीढ़ी के लिए ये कोशिश करनी होगी कि यह और खराब न हो। स्थिति सुधरे नहीं तो कम से कम इतना हो कि यह जहां है, उसी हाल में रुक जाए।
रेवेन्यू के मुद्दे पर सुमित अवस्थी का कहना था कि अखबार जितने का छपता है, यदि उतने का मिलने लगे तो क्या ज्यादातर लोग उसे खरीदेंगे? यह डेढ़ रुपए का मिलता है, इसलिए लोग इसे खरीदते हैं, लेकिन जिस दिन यह 25 रुपए का मिलेगा, तो मुझे लगता है कि आधा सर्कुलेशन खत्म हो जाएगा। इसी तरह जिस खर्चे पर चैनल चलते हैं और उसी खर्चे पर लोगों को ये खरीदने पड़ें तो आधे लोग देखना बंद कर देंगे और इनमें काम कर रहे पत्रकारों के लिए घर चलाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। जहां तक सबस्क्रिप्शन मॉडल की बात है तो लग रहा है कि उस तरफ जाना चाहिए पर यह जा नहीं रहा है।
चर्चा के दौरान सुमित अवस्थी का यह भी कहना था, ‘मैं जब न्यूज18 चैनल में था तो एक छोटा सा सर्वे कराया गया था। उस सर्वे में अलग-अलग शहरों में व्युअर्स से सवाल पूछा गया था कि क्या वे एंकर के व्यूज जानना चाहते हैं अथवा डिबेट में जो मेहमान आ रहे हैं, उनके व्यूज जानना चाहते हैं, इस पर ज्यादातर जगहों पर लोग एंकर का व्यू पॉइंट जानना चाहते थे। लोगों का कहना था कि पार्टी प्रवक्ता को तो हम कहीं पर भी सुन लेते हैं, लेकिन एंकर का व्यू पॉइंट नहीं पता चलता है।’
यही नहीं, पैनल चर्चा खत्म होने से पहले सुमित अवस्थी ने डॉ. भुवन लाल से भी इस बात पर उनकी राय जाननी चाही कि अगर आजादी के 70 साल बाद देश का प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत के नाम से एक प्रोग्राम शुरू करता है तो उसको दिखाना प्रोपेगेंडा है अथवा कंटेंट है?
सुमित अवस्थी के इस सवाल पर डॉ. भुवन लाल द्वारा दिए गए जवाब के साथ ही पूरे पैनल डिस्कशन को आप इस विडियो पर क्लिक कर देख सकते हैं।
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