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इस सदमे ने लील ली पत्रकार कौशलेंद्र प्रपन्न की जिंदगी
हार्ट अटैक आने पर शिक्षक और पत्रकार कौशलेंद्र प्रपन्न को दिल्ली के एक अस्पताल में कराया गया था भर्ती
समाचार4मीडिया ब्यूरो 5 years ago
पेशे से शिक्षक, पत्रकार, शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग करने वाले व्यक्ति और चिंतक कौशैलेंद्र प्रपन्न का आज दिल्ली में निधन हो गया। 45 वर्षीय प्रपन्न ने दिल्ली के रोहिणी स्थित सरोज अस्पताल में आखिरी सांस ली। गंभीर हालत में उन्हें पांच सितंबर को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह करीब छह साल से टेक महिंद्रा फाउंडेशन में वाइस प्रेजिडेंट (एजुकेशन) के तौर पर काम कर रहे थे। कौशलेंद्र प्रपन्न के परिवार में उनकी पत्नी विशाखा अग्रवाल और 11 महीने का बेटा है।
बताया जाता है कि 25 अगस्त को उन्होंने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर एक लेख लिखा था। ‘शिक्षा: न पढ़ा पाने की कसक’ शीर्षक से यह लेख एक प्रतिष्ठित अखबार में छपा था। इस लेख में उन्होंने नगर निगम के स्कूलों के काबिल और उत्साही शिक्षकों की पीड़ा की चर्चा की थी। उनका कहना था कि आजकल शिक्षक चाह कर भी स्कूलों में पढ़ा नहीं पा रहे हैं। पठन-पाठन के अलावा, शिक्षकों के पास ऐसे कई दूसरे सरकारी काम होते है, जिससे उनकी शिक्षा में कुछ नए प्रयोग करने की प्रक्रिया थम सी जाती है।
इस लेख के बाद कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। आरोप है कि संस्थान के ही कुछ अधिकारियों ने उन्हें उन्हें बेइज्जत किया था। इसी सदमे में हार्ट अटैक आने के कारण उन्हें पांच सितंबर को आईसीयू में भर्ती कराया गया था।
प्रपन्न टेक महिंद्रा से पहले पत्रकार के रूप में भी काम कर चुके थे। उन्होंने वर्ष 2008-09 के दौरान टाइम्स ग्रुप के हिंदी बिजनेस डेली इकोनॉमिक टाइम्स में भी अपनी सेवाएं दी थीं। इससे पहले वह दिल्ली सरकार के स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी कर चुके थे। शिक्षा सुधार और उन्नति पर प्रपन्न ने कई किताबें लिखी हैं। देश की शिक्षा पद्धति को कैसे बेहतर बनाया जाये, इसके लिए वह जापान, इंडोनेशिया और चीन की यात्रा भी कर चुके थे। ्इसके अलावा वह समय-समय पर लेख भी लिखते रहते थे।
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