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‘Zee-Sony’ डील मामले में सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री को लिखा लेटर, SEBI पर लगाया यह आरोप
‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (Zeel) के प्रमोटर सुभाष चंद्रा ने 16 जनवरी को लिखे लेटर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 8 months ago
‘कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट लिमिटेड’ (पूर्व में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) और ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (Zeel) के बीच प्रस्तावित विलय समझौता रद्द हो गया है। इस बीच मीडिया नेटवर्क्स के हवाले से मिली रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (Zeel) के प्रमोटर सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 16 जनवरी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड’ (सेबी) को कठघरे में खड़ा करते हुए सेबी पर विलय को रोकने के लिए पूर्व निर्धारित मानसिकता’ (preconceived motive) के साथ काम करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी।
तमाम न्यूज वेबसाइट्स पर प्रकाशित इस लेटर के अनुसार सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री को यह भी बताया कि उन्होंने इस बारे में सेबी के चेयरपर्स को भी लिखा था। इस लेटर के अनुसार, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अगर सेबी को किसी भी तरह का संदेह है तो उसे जांच नहीं करनी चाहिए। कंपनी और अन्य सभी लोग जांच में सहयोग कर रहे हैं, यहां तक कि विभाग ने एक पूर्व निदेशक को भी तलब किया, उनसे चार घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की गई। मेरी चिंता इस नए नोटिस के समय और इसकी तात्कालिकता को लेकर है, क्योंकि यह ZEE और कल्वर मैक्स के विलय के पूरा होने की समयसीमा से मेल खाता है।’
अपने लेटर में सुभाष चंद्रा ने यह भी कहा है कि नए नोटिस में ऐसा कोई पॉइंट नहीं है जो पहले से ही सेबी को उपलब्ध कराए गए कंपनी के रिकॉर्ड का हिस्सा न हो। लेटर में यह भी कहा गया है कि सेबी पूर्व निर्धारित मानसिकता से काम कर रहा है। चंद्रा का मानना था कि इस स्तर पर ZEE के पूर्व निदेशकों को नोटिस जारी करना मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से मामले को सनसनीखेज बनाने की कवायद प्रतीत होती है। सुभाष चंद्रा के अनुसार, ‘मैंने ZEE के मूल्यांकन को प्रभावित करने वाली नकारात्मक ताकतों पर नवंबर 2018 में सेबी को लिखे एक पत्र में पहले भी अपनी चिंता व्यक्त की थी, लेकिन मेरे अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया गया।’
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक प्रमोटर होने के नाते वह देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कंपनियों और उसके ऋणदाताओं के बीच संबंधों को समझते हैं और महत्व देते हैं। अपने लेटर में सुभाष चंद्रा का कहना था, ‘मैंने व्यक्तिगत रूप से सभी ऋणदाताओं के साथ जुड़ने के लिए लगातार प्रयास किए हैं और अपने ऋण का लगभग 92% यानी लगभग 40,000 करोड़ रुपये चुका दिए हैं। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना जारी रखे हुए हूं कि जिन ऋणदाताओं को मेरी वजह से वित्तीय नुकसान हुआ है, उन्हें भुगतान किया जाए और उनके नुकसान की भरपाई की जाए।'
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