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आपराधिक मामलों में मीडिया ट्रायल को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार को दिए ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय (MHA) को आपराधिक मामलों में पुलिस मीडिया ब्रीफिंग पर विस्तृत गाइडलाइंस बनाने का निर्देश दिया है।
समाचार4मीडिया ब्यूरो 1 year ago
आपराधिक मामलों में मीडिया ट्रायल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। दरअसल कोर्ट ने गृह मंत्रालय (MHA) को आपराधिक मामलों में पुलिस मीडिया ब्रीफिंग पर विस्तृत गाइडलाइंस बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सभी राज्यों के डीजीपी से कहा है कि वह इस मामले में एक महीने के भीतर गृह मंत्रालय को सुझाव देंगे। दो महीने में गृह मंत्रालय से मीडिया ब्रीफिंग को लेकर मैन्युअल तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जबकि कोर्ट ने तीन महीने में विस्तृत मैन्युअल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले में जनवरी 2024 के दूसरे हफ्ते में सुनवाई होगी।
कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों को अभ्यारोपित करने वाली मीडिया खबरें अनुचित होती हैं। पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से लोगों को संदेह होता है कि आरोपी ने ही अपराध किया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया ट्रायल से न्याय प्रशासन प्रभावित हो रहा है। पुलिस में संवेदनशीलता लाना जरूरी है।जांच का ब्यौरे का खुलासा किस चरण में हो ये तय करने की जरूरत है। ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि इसमें पीड़ितों और आरोपी का हित शामिल हैं, साथ ही बड़े पैमाने पर जनता का हित शामिल है। अपराध से जुड़े मामलों पर मीडिया रिपोर्टिंग में सार्वजनिक हित के कई पहलू शामिल होते हैं।
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि बुनियादी स्तर पर बोलने और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार सीधे तौर पर मीडिया के विचारों, समाचारों को चित्रित करने और प्रसारित करने के अधिकार दोनों के संदर्भ में शामिल है। हमें मीडिया ट्रायल की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
इस दौरान CJI चंद्रचूड़ ने सरकार से कहा कि वो तीन महीने में मीडिया ब्रीफिंग के लिए पुलिस को प्रशिक्षित करने के लिए दिशानिर्देश तय करें। CJI कहा कि ये बेहद अहम मामला है। एक तरफ लोगों के सूचना हासिल करने का अधिकार है, लेकिन जांच के दौरान अहम सुबूतों का खुलासा होने पर जांच भी प्रभावित हो सकती है। हमें आरोपी के अधिकार का भी ध्यान रखना है। एक स्तर पर, जिस आरोपी के आचरण की जांच चल रही है, वह पुलिस द्वारा निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच का हकदार है। जांच के चरण में प्रत्येक आरोपी निर्दोषता का अनुमान लगाने का हकदार है. मीडिया ट्रायल से उनका हित प्रभावित होता है. किसी आरोपी को फंसाने वाली मीडिया रिपोर्ट अनुचित है।
केंद्र की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार मीडिया ब्रीफिंग को लेकर गाइडलाइंस तय करेगी और सरकार कोर्ट को अवगत कराएगी।
सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उसने 2017 में सरकार से पुलिस द्वारा मीडिया ब्रीफिंग के लिए मानदंड तय करने को कहा था। मामले के एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने भी कहा कि आरुषि तलवार केस में भी मीडिया ऐसे ही कर रहा था। हम मीडिया को रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते,लेकिन पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है।
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