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SC ने MIB को दिया तीन हफ्ते का समय, 'स्व-घोषणा प्रमाण पत्र' की सिफारिशों पर डालें प्रकाश
सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को सूचना-प्रसारण मंत्रालय को अगले तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें 'स्व-घोषणा प्रमाण पत्र' की जरूरी सिफारिशों पर प्रकाश डाला जाए
समाचार4मीडिया ब्यूरो 3 months ago
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने 9 जुलाई को सूचना-प्रसारण मंत्रालय को अगले तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें 'स्व-घोषणा प्रमाण पत्र' की जरूरी सिफारिशों पर प्रकाश डाला जाए।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि ISA, AAAI, IAMAI, एसोसिएशन ऑफ रेडियो ऑपरेटर्स आदि ने हस्तक्षेप करने के लिए 4 से अधिक आवेदन दिए हैं।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह हितधारकों के साथ विचार-विमर्श सत्र आयोजित करना जारी रखे कि कैसे एक कार्यान्वयन योग्य तंत्र प्राप्त किया जा सकता है और तीन सप्ताह में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करें। अंतरिम में, मंत्रालय की सलाह लागू रहेगी। मामले की सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी।
उन्होंने कहा, "इसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है। इसका उद्देश्य केवल विशेष क्षेत्रों और विशेष पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना है। इसलिए जो कुछ भी असंगत है और किसी तरह से अन्यथा व्याख्या की जा रही है, उसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। लेकिन हमें इस पर स्पष्टता होनी चाहिए।
उन्होंने मंत्रालय से कहा कि आपसे अनुरोध है कि एक बैठक बुलाएं ताकि सभी हितधारक और आपके विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी विचार-विमर्श कर सकें।"
न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने आगे कहा, "इंडस्ट्री को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होना चाहिए। मंत्रालय को विचारों पर मंथन जारी रखने और इस दिशा में आगे की बैठकें करने तथा तीन सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशें देने वाला हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।"
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि उनका विचार किसी पर बोझ डालने का नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि एक व्यवस्था हो और वह चालू हो तथा उचित तरीके से लागू हो।
उन्होंने कहा कि 'स्व-घोषणा प्रमाण पत्र' जितना छोटा और सरल हो सकता है, वह किया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान प्रस्तुत एक अन्य सुझाव में कहा गया कि 'स्व-घोषणा प्रमाण पत्र' अपलोड करने के लिए दो अलग-अलग पोर्टल बनाने के बजाय एक ही पोर्टल बनाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, "एफिडेबिट की प्रतियां कोर्ट को उपलब्ध कराई जाएं और राज्यों द्वारा किसी भी तरह के गैर-अनुपालन की सूचना इस न्यायालय को दी जाए व अगली सुनवाई से पहले एक नोट प्रस्तुत किया जाए।"
बता दें कि सुप्री कोर्ट ने इस संबंध में 7 मई, 2024 को आदेश जारी किया था। मंत्रालय और इंडस्ट्री हितधारकों के बीच इसके क्रियान्वयन से संबंधित समस्याओं के बारे में शासनादेश पर काफी चर्चा हुई है। ISA ने मंत्रालय को एक पत्र भी भेजा था, जिसमें शासनादेश और पोर्टल के साथ प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया था।
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अनिवार्य करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के अनुसार, MIB ने 3 जून को 18 जून को प्रकाशित होने वाले सभी विज्ञापनों से स्व-घोषणा की आवश्यकता को अनिवार्य कर दिया था।
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