वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा था- क्षमा बड़न को चाहिए...
निर्मलेंदु
वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा था- क्षमा बड़न को चाहिए। संयम ही एसपी का बहुत बड़ा गुण था। दरअसल, उनको इस बात का अहसास था कि बदला लेने की भावना से या किसी को कटु शब्द कहकर अंतत: कुछ ΄प्राप्त नहीं होता, इसलिए वे हमेशा मुझे यही समझाते रहते थे कि मुख से हमे कभी भी ऐसा शब्द नहीं निकालना चाहिए, जिससे दूसरों का दिल दुखे। शायद यही कारण था कि बड़ी-बड़ी गलतियों को भी वे हंसते हुए नजरंदाज कर दिया करते थे- जी हां, माफ कर देना उनके स्वभाव का अभिन्न अंग था।
शायद उसी में उन्हें आत्मसंतोष होता था, लेकिन डांट नहीं मिलने के कारण कुछ ऐसे लोग भी हुआ करते थे रविवार में, जो बहुत ज्यादा दुखी हो जाया करते थे। इस बात को लेकर परेशान हो जाते थे कि एसपी ने इतनी बड़ी गलती पर कुछ कहा क्यों नहीं? ऐसा क्यों करते थे एसपी? एक बार मैंने ΄पूछा भैया आप गलतियों को माफ क्यों कर देते हैं, तो उन्होंने मुझसे कहा, निर्मल, कोई जान-बूझ कर गलती नहीं करता। गलlतियां हो जाती हैं, कभी नासमझी की वजह से, तो कभी असर्तकता के कारण। कोई भी जान-बूझ कर डांट खाना नहीं चाहेगा और यदि ऐसा आदमी कोई है, तो मैं समझता हूं कि वह पागल होगा। मैंने कई बार बड़ी गलतियां रविवार में रहते हुए की हैं, लेकिन उन्होंने मुझे कभी नहीं डांटा। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो क्रोध और कठोर वाणी को नियंत्रण में नहीं रखना जानते, जो सदा दूसरों की भूलों को तलाशने में लगे रहते है, बहाने तलाशते हैं क्रोध निकालने का, ताकि दूसरों को समझ में आ जाए कि वे बड़े हैं और सच तो यही है कि जब ऐसे लोगों को बहाने नहीं मिलते, तो वे अपने अपने तरीके से बहाने बना भी लेते हैं, लेकिन एसपी ने ऐसा कभी नहीं किया।
दरअसल, जिस पद-अधिकार, धन-ऐश्वर्य, मान-बड़ाई और यश-कीर्ति के लिए हम पागल हो रहे होते हैं, सच तो यही है कि इनमे से कोई भी हमें ‘तृप्ति’ नहीं दे सकता। जो तृप्ति दे सकता है, वह है लोगों को क्षमा कर देना और बदले में ΄यार बटोरना'। जी हां, एसपी यही करते थे। वे क्षमा करके ΄यार' और 'इज्जत' कमाते थे, जिसकी कद्र इंसान के मरने के बाद भी होती है। एसपी को शायद इस बात का अहसास था कि मान-सम्मान और ΄यार-मुहब्बत' से बड़ी कमाई और कुछ है ही नहीं। यही वह जीवन भर कमाते रहे। ऐसे तो अनगिनत ऐसी-ऐसी घटनाएं हैं, जहां एसपी मुझे डांट सकते थे, लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया। इसी सिलसिले में कुछ घटनाओं का जिक्र करना यहां उचित हो जाता है।
घटनाक्रम 1
उन दिनों रविवार का कवर पृष्ठ अमूमन मैं ही बनवाया करता था। यानी कवर जिडाइन कैसी होगी, टीपी कौन सी जाएगी और उसका डिजाइन कैसे बनेगा, इन सभी बिंदुओं पर मैं आर्टिस्ट से बोल करके कवर बनवाया करता था। उस अंक में राजस्थान की राजनीति पर कवर स्टेरी थी, इसीलिए एसपी जयपुर गए हुए थे। जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा, निर्मल मैं जयपुर से फोन करके तुम्हें बता दूंगा कि कवर स्टोरी कौन सी होगी और कवर कैसे बनाना है। दो दिन बाद वहां से फोन आया और उन्होंने कवर स्टोरी तथा कवर कैसे बनाया जाए, उसकी एक सम्यक रूपरेखा बता दी। तत्पश्चात मैंने कवर बनाकर भेज दिया। अंक छप करके निकल आया। एसपी तब तक जयपुर से लौट कर आ भी गए थे। अमूमन गुरुवार को मद्रास ΄प्रेस से कवर पेज छप कर आ जाया करता था।
उस दिन भी गुरुवार था। मैं अपने काम में व्यस्त था। शायद अगले अंक के फाइनल पेज चेक कर रहा था। मैं अपने काम में इतना मगन था कि मैं देखा ही नहीं कि एसपी मेरे पीछे खड़े हैं। फिर जब ध्यान गया, तो उन्होंने मुझसे कहा, निर्मल, जरा अंदर (केबिन में) आओ। केबिन के अंदर ΄प्रवेश करते वक्त मैंने देखा कि उनके हाथ में रविवार का कवर पेज है। मैंने उत्सुकता जताई कि भैया कैसा है? उत्तर में उन्होंने कवर ΄पृष्ठ को मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा, मैंने जैसा कहा था, तुमने ठीक उसका उल्टा कर दिया। मैंने जिस कवर स्टोरी बनाने के लिए कहा था, तुमने उसे विशेष रिपोर्ट बना दिया और विशेष रिपोर्ट को ...। सुनते ही मैं परेशान हो गया। उनको पता था कि मैं छोटी-छोटी चीजों से परेशान हो जाता हूं, शायद इसीलिए उन्होंने तुरंत कहा, कोई बात नहीं ऐसा हो जाता है। मैं बाहर आया। सोचा, इतनी बड़ी बात हो गई और उन्होंने मुझे कुछ भी नहीं कहा। मेरी आंखों में आंसू आ गए। मुझे अब इस बात का डर सताने लगा कि अभी सभी स्टाफ को पता चल जाएगा कि निर्मल से कोई गलती हुई है।
इसीलिए मैं तुरंत विभाग से बाहर निकल गया। थोड़ी देर बाद जब मन शांत हुआ, तो मैं अपनी सीट पर लौट आया। काफी देर तक इसी उधेड़बुन पर फंसा रहा कि उन्होंने मुझे डांटा क्यों नहीं? मैं बहुत भावुक इंसान हूं। उस दिन, मुझे याद है, मैं रात भर सो नहीं सका। पत्नी मुझसे ΄पूछती रही कि तुम्हें हुआ क्या है? मैंने उससे कुछ भी नहीं कहा। दूसरे दिन मैं सीधे एसपी के घर गया और कहा, भैया मुझे माफ कर दीजिए। वे हंसने लगे। कहा, तुम बेवकूफ हो! तुम काम करते हो, इसीलिए तुमसे गलती हुई है। और भविष्य में भी तुमसे गलतियां होती रहेंगी। अगर इसी तरह सिर्फ एक गलती पर हम किसी को बुरा भला कहना शुरू कर देंगे, तो वह और ज्यादा गलती करेगा। लेकिन कुछ नहीं कहने पर वह भविष्य में हमेशा उसी तरह का काम दोबारा करते वक्त सचेत रहेगा। इस तरह उन्होंने वहां से समझा बुझाकर और खाना खिलाकर तुरंत ऑफिस जाने के लिए कहा।
घटना नं- 2
गलतियां हर पत्रिका में होती हैं, इसलिए एक बार फिर मुझसे एक गलती हो गई। हुआ यूं कि एक दिन ‘रविवार’ के हम सभी साथी बाहर लॉन पर बैठे शाम की चाय पी रहे थे। चूंकि मैगजीन एक दिन पहले पैकअप कर दी थी, इसीलिए रिलैक्स मूड में थे। हम लोग बैठे-बैठे हंसी मजाक कर रहे थे कि इतने में एसपी अंदर आए और हंसते हुए मुझसे पूछा कि निर्मल, तुम्हारी राशि कौन सी है? मैंने कहा, मेरी दो राशि है। नाम के अनुसार, वृश्चिक और जन्म समय के अनुसार सिंह। उनके हाथ में रविवार का नया अंक था। उन्होंने तुरंत अंक को आगे बढ़ाया और हंसते हुए कहा कि देखो जरा तुम्हारी राशि में क्या है? मैंने शुरू से आखिर तक अच्छी तरह से देखा, तो बात समझ में आ गई। उसमें सिंह राशि गायब थी। फिर उन्होंने कहा- मैं सबसे पहले अपनी राशि देखता हूं। इसीलिए पलटते ही जब मैंने देखा कि मेरी राशि नहीं है, तो पहले तो मैं चौंका, फिर समझ में आ गया कि एक राशि कम है। इस वाकये के बाद उन्होंने केवल इतना कहा कि हमेशा बारह राशियां गिन लिया करो। और यह कहते हुए वे अंदर चले गए। आज भी मैं हमेशा बारह राशियां गिन लेता हूं।
घटना नं-3
उस दिन हम लोग रिलैक्स मूड में बैठे थे, बल्कि यह कहना उचित होगा कि हम लोग सब शाम को भेल (बांग्ला भाषा में इसे मूड़ि कहते हैं) खा रहे थे। हंसी मजाक में एक दूसरे पर टिका टिप्पणी भी कर रहे थे। तभी एसपी हंसते हुए आए। उस दिन भी उनके हाथ में रविवार का ताजा अंक था। मेरी नजर उनके चेहरे पर पड़ी, तो वे मुस्कुराने लगे। फिर उन्होंने राजकिशोर जी की ओर मुड़कर उनसे ΄पूछा, कि राजकिशोर जी, सुना है आपके यहां कोई नया एडिटर आ रहा है। पहले तो राजकिशोर जी चौंक गए, फिर उन्होंने पूछा, क्या, क्या कह रहे हैं सुरेंद्रजी! एसपी ने मैगजीन आगे बढ़ाते हुए व्यंग्य करते हुए टिप्पणी की- लगता है, मैनेजमेंट ने मुझे निकाल दिया है। इस बार राजकिशोर की ओर मुखातिब होकर कहा कि अब आपके सपने साकार हो जाएंगे। एक निश्छल हंसी थी उनके चेहरे पर। क्योंकि मेरे बाद तो आप ही संपादक बनने के हकदार हैं। हम सभी यह सुनकर परेशान हो गए, क्योंकि हम में से किसी को भी यह समझ में नहीं आ रहा था कि एसपी ऐसा क्यों कह रहे हैं?
खैर, थोड़ी देर बाद उन्होंने मैगजीन का पहला पन्ना खोला। और हम सभी को दिखाते हुए कहा, अब सुरेंद्र प्रताप सिंह इस रविवार के संपादक नहीं रहे। आप लोग अपना अपना बायोडाटा मैनेजमेंट को भेज सकते हैं और यह कह कर वे खूब ठहाके मार मार कर हंसने लगे। मैंने उनके हाथ से मैगजीन ले ली। पहला पन्ना पलटा। देखा कि वहां संपादक के तौर पर एसपी का नाम नहीं है, लेकिन एक स्पेस जरूर छूट गया है। मुझे बात समझ में आ गई। उन दिनों पेस्टिंग का जमाना था। नाम हर बार पेस्टिंग करके लगवाया जाता था। गैली काटकर लगाना होता था। छूटा हुआ स्पेस देखकर मुझे यह समझने में कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई कि नाम कहीं गिर गया है। हालांकि आश्चर्य की बात तो यही है कि एसपी ने इस बड़ी बात को भी बिल्कुल नजरंदाज कर दिया, इस तरह से मानो कुछ हुआ ही न हो। वे चाहते, तो इस बात पर पेस्टिंग विभाग से लेकर सभी को लाइनहाजिर करवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उन्हें पता था कि इससे नाम तो ΄प्रिंट नहीं हो सकता।
घटना नं-4
घटनाएं तो कई हैं, इसलिए सभी घटनाओं का जिक्र करना यहां संभव नहीं है। हां, एक घटना जरूर ऐसी है, जिसका जिक्र करना यहां बहुत ही आवश्यक है, एसपी के व्यक्तित्व को समझने के लिए।
यह वाक्या सन् 1982 का है। तब रविवार में विज्ञापन परिशिष्ट का सारा काम मैं ही देखता था। उन्हीं दिनों मध्य प्रदेश पर 40 पेज के विज्ञापन परिशिष्ट का काम चल रहा था। तब मुझे दमे की भयानक शिकायत रहती थी। अमूमन परिशिष्ट की टीम में दो और सहयोगी मेरे साथ होते थे। परिशिष्ट का काम चल रहा था, तभी मेरी तबियत खराब होनी शुरू हो गई। धीरे धीरे मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि मुझे अंतत: छुट्टी लेनी पड़ी। ऐसी स्थिति में मैं अपना काम अपने दोनों साथियों (राजेश त्रिपाठी और हरिनारायण सिंह) को समझा बुझा कर चला गया। मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि मुझे 15 दिनों की छुट्टी लेनी पड़ी। छुट्टी से लौटकर आया, तो मैंने परिशिष्ट के एवज में बिल बनाकर विज्ञापन विभाग के सीनियर मैनेजर आलोक कुमार को भेज दिया और उसके बाद मैं अपने दैनिक काम में लग गया। अचानक एक दिन राजेश ने मुझसे पूछा कि निर्मल विज्ञापन का पैसा अभी तक नहीं आया क्या? मुझे भी लगा कि काफी देर हो चुकी है। अब तक तो चेक आ जाने चाहिए थे।
मैं तुरंत आलोक कुमार से मिला और उनसे पूछा, आलोक दा, इस बार हमें अभी तक मध्य प्रदेश विज्ञापन परिशिष्ट के ΄पैसे नहीं मिले? पहले उनको शायद समझ में नहीं आया, इसीलिए उन्होंने पूछा, वॉट?
मैंने कहा, मध्य प्रदेश विज्ञापन परिशिष्ट का ΄पैसा ...? मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि उन्होंने जवाब में कहा, वह पैसा तो आत्मानंद सिंह (विज्ञापन प्रतिनिधि) के नाम पर लग गया है।
मैंने पूछा, क्यों? आप तो जानते ही हैं कि यह सारा काम मैं करता हूं। मेरे साथ मेरे दो साथी भी होते हैँ? लेकिन तुम तो बीमार थे, उन्होंने पूछा?
मैंने कहा, मैं बीमार जरूर था, लेकिन मैं स्वयं साठ प्रतिशत काम करके गया था और फिर बाकी काम अपने दो साथियों में बांट कर गया था। फिर मैंने विनम्रतापूर्वक कहा कि बिल में मैंने तीन लोगों के बीच पूरे पैसे बांट कर चेक बनाने के लिए आग्रह किया है। ऐसा करिए, आप मेरे उन दोनों सहयोगियों को पैसे दे दो, क्योंकि उन दोनों ने मेहनत की है, अन्यथा वे भविष्य में हमारा साथ नहीं देंगे। और वैसे भी मैंने वादा किया है। इस पर उन्होंने कहा, चेक बन चुका है, इसलिए अब यह संभव नहीं है। दरअसल, उनकी बातों से लगा कि वे खुद नहीं चाहते, इसलिए मैंने उनसे पूछा कि क्या आत्मानंद सिंह पेज बनवा सकते हैं, संपादन कर सकते हैं, प्रूफ पढ़ सकते हैं, अनुवाद कर सकते हैं? मैंने दृढ़तापूर्वक कहा, वे ये सब नहीं कर सकते। यह सब जान बूझकर किया गया है। मुझे गुस्सा आ गया और गुस्से में मैंने कहा कि आप गलत’ लोगों को शह देते हैं। इस पर उन्होंने मुझे कहा कि तुम्हारे कहने का मतलब यह है कि मैं ‘बायस्ड’ हूं।
मैंने जवाब में कहा, मैंने आपको बायस्ड नहीं कहा। इस पर वे खड़े हो गए और चिल्लाने लगे कि जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो? उनके इस तरह से चिल्लाने के बाद मैंने कहा, हां, मैं जानता हूं कि आप विज्ञापन विभाग के सीनियर मैनेजर हैं। इससे क्या होता है? तब तक गुस्सा मेरे सिर पर चढ़ चुका था और मैंने उन्हें फिर चल्लाते हुए कहा कि यदि आपके पिताजी के पास दौलत नहीं होती, तो न ही आप पढ़ लिख पाते और न ही आज आप यहां होते। हो सकता है, आप भी रिक्शा चला रहे होते! गेट आउट कह कर उन्होंने मुझे अपने केबिन से निकाल दिया। मैं अपने विभाग में पहुंचा, तो भक्त दा (सेवा संपादक), जो कि कान से ऊंचे सुनते थे, इशारे से मुझसे कहा कि आपको साहब बुला रहे हैं। मैं एसपी के केबिन में गया, तो देखा कि वे फोन पर कह रहे हैं कि निर्मल से तुमने कुछ उल्टी सीधी बात जरूर की होगी। वैसे भी उसने और उसकी टीम ने ही सारा काम किया है। यहां का रजिस्टर गवाह है। फिर तुम्हारे कहने पर मैं उसे क्यों डांटूं? यह कहकर उन्होंने फोन रख दिया। अब उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा। मैं बैठ गया।
उन्होंने कहा, निर्मल अभी अभी आलोक का फोन आया था। वह बहुत गुस्से में है। अरूप बाबू (उन दिनों आनंद बाजार पत्रिका के जनरल मैनेजर थे। वैसे वे मालिक भी हैं।) से शिकायत करने वाला था, लेकिन मैंने उसे कह दिया कि इसमें तुम्हारे विभाग की ही गलती है। तुम ऊपर जाओ। आलोक से अब अच्छी तरह बात कर लो। मैं ऊपर गया, तो इस क्षण आलोक कुमार का तेवर ही बदला हुआ था। मेरे पहुंचे ही उन्होंने मुझसे उल्टा कहा, निर्मल जो हो गया, उसे भूल जाओ। दोबारा बिल बनाकर दे दो।पैसे मिल जाएंगे। फिर हाथ मिलाया और कोकाकोला भी पिलाया। वैसे, यहां यह बता दें कि बाद के दिनों में आलोक कुमार और मेरे बहुत अच्छे संबंध बन गए थे। उन्होंने मेरे कहने पर मेरे एक दोस्त को नौकरी भी दी थी, विज्ञापन विभाग में।
यह घटना इस बात का सबूत है कि एसपी सच्चाई का साथ देने में कभी पीछे नहीं हटते थे, जबकि हम यह भालीभांति जानते थे कि एसपी और आलोक कुमार में बहुत अच्छी दोस्ती थी। दोनों एक दूसरे के घर में दिन रात पड़े रहते थे, लेकिन बात जब सच्चाई की होती थी, तो एसपी हमेशा सच्चाई का ही साथ देते थे, भले ही इससे उनका बहुत बड़ा नुकसान ही क्यों न हो जाए, या फिर दोस्तों के बीच में दरार पड़ जाए?
समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री ने पिछले चार सालों से डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPOs) द्वारा ऑडिट न किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है।
ब्रॉडकास्ट इंडस्ट्री ने पिछले चार सालों से डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (DPOs) द्वारा ऑडिट न किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह आपत्तियां भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा जारी इंटरकनेक्शन रेगुलेशंस, 2017 और डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम्स ऑडिट मैनुअल पर मिले 55 सुझावों का हिस्सा हैं।
ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि DPOs द्वारा सब्सक्राइबर संख्या की गलत रिपोर्टिंग से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। इसलिए, उन्होंने ऑडिट करने का प्राथमिक अधिकार अपने पास रखने की मांग की है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रॉडकास्टर्स ने डीपीओ द्वारा ऑडिट रिपोर्ट न मिलने और नियमों के अनुपालन में कमी की भी शिकायत की है। उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) से अनुरोध किया है कि वह TRAI से उस धारा को हटाने के लिए कहे, जिससे नियमों के दुरुपयोग की संभावना बढ़ सकती है।
ब्रॉडकास्ट संस्थाएं जैसे इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) ने इस परामर्श पत्र का जवाब दिया है।
अनिल जयराज ने जून में वायकॉम18 स्पोर्ट्स के सीईओ पद से इस्तीफा दिया था।
अनिल जयराज ने जियो होम डिजिटल सर्विसेज में बतौर अध्यक्ष (प्रेजिडेंट) पदभार संभाल लिया है। वह रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड के डायरेक्टर पंकज पवार को रिपोर्ट करेंगे।
अनिल जयराज ने जून में वायकॉम18 स्पोर्ट्स के सीईओ पद से इस्तीफा दिया था। वायकॉम18 में उन्होंने स्पोर्ट्स संपत्तियों के अधिग्रहण, प्रसारण और मोनेटाइजेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जयराज इससे पहले स्टार स्पोर्ट्स में कार्यरत थे, जहां वे एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट के पद पर थे। इसके अलावा, उन्होंने पिडिलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड में चीफ मार्केटिंग ऑफिसर के रूप में भी काम किया है। पिडिलाइट से पहले, जयराज ने बीपी/कैस्ट्रॉल (BP/Castrol) में 16 साल तक यूके और भारत में सेल्स और मार्केटिंग के विभिन्न पदों पर सेवाएं दी थीं।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा गठित स्वतंत्र जांच समिति (IIC) ने अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंप दी है।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा गठित स्वतंत्र जांच समिति (IIC) ने अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंप दी है। इस समिति की अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस डॉ. सतीश चंद्र कर रहे थे। उनके साथ जी के दो स्वतंत्र निदेशक - ऑडिट कमेटी के चेयरमैन और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल और नामांकन एवं पारिश्रमिक समिति के चेयरमैन पी.वी. रामना मूर्ति शामिल थे। पी.वी. मूर्ति को मानव संसाधन और संगठन विकास में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
कंपनी द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, समिति ने नियामक एजेंसियों द्वारा उठाए गए सभी आरोपों की गहन समीक्षा की। समिति ने कंपनी द्वारा SEBI को दी गई सभी जानकारी और दस्तावेजों की विस्तृत जांच की।
जांच समिति ने आरोपों के तथ्यों की गहराई से जांच करने के लिए बाहरी ऑडिट फर्म्स और टैक्स एक्सपर्ट्स से सलाह ली। समिति की रिपोर्ट में कुछ प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया गया:
1. कंपनी के रिकॉर्ड और SEBI को दी गई प्रतिक्रियाओं की समीक्षा के बाद, समिति ने पाया कि कंपनी ने पूरी तरह सहयोग किया और नियामक प्राधिकरण के साथ विस्तृत उत्तर साझा किए।
2. पिछले मुद्दों पर SEBI द्वारा की गई समीक्षा के अनुसार, कंपनी ने आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए।
3. SEBI द्वारा उठाए गई दिक्कतों को दूर करने के लिए कंपनी और बोर्ड ने समय पर उचित कार्रवाई की है।
4. जांच के तहत लेन-देन कंपनी या उसके शेयरधारकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालते पाए गए। ये लेन-देन सामान्य व्यवसाय का हिस्सा थे और इनमें कोई गंभीर अनियमितता नहीं पाई गई।
5. समिति ने यह भी कहा कि इस मामले में और कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है, और कंपनी को कोई अतिरिक्त कानूनी या नीति बदलाव की जरूरत नहीं है।
रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, समिति के अध्यक्ष डॉ. सतीश चंद्र ने कहा, "हमने सभी आरोपों की विस्तृत समीक्षा की है और बोर्ड को आवश्यक रिपोर्ट सौंप दी है। कंपनी के प्रबंधन और प्रमोटरों से मांगे गए दस्तावेजों और जानकारी को सत्यापित करने के बाद, हमने पाया कि कंपनी के संचालन में कोई नकारात्मक या अनुचित गतिविधि नहीं है।"
बोर्ड ने कंपनी को सलाह दी है कि SEBI के साथ लंबित सभी मुद्दों को समयबद्ध तरीके से निपटाया जाए ताकि कंपनी के शेयरधारकों और हितधारकों के हितों की सुरक्षा हो सके। इसके साथ ही, कंपनी से कहा गया है कि वह अपनी रणनीतिक विकास योजना के तहत प्रदर्शन और लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित करे।
RP संजीव गोयनका समूह की कंपनी 'सारेगामा' करण जौहर की 'धर्मा प्रोडक्शंस' में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी खरीदने के करीब है।
RP संजीव गोयनका समूह की कंपनी 'सारेगामा' करण जौहर की 'धर्मा प्रोडक्शंस' में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी खरीदने के करीब है। सूत्रों के अनुसार, इस डील में धर्मा प्रोडक्शंस का मूल्यांकन लगभग 600 करोड़ रुपये किया जा रहा है।
हालांकि, इस अधिग्रहण से जुड़ी विस्तृत जानकारी फिलहाल नहीं है, लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि भविष्य में सारेगामा धर्मा प्रोडक्शंस में और हिस्सेदारी खरीद सकता है। यह अधिग्रहण सारेगामा की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिससे कंपनी अपने पोर्टफोलियो का विस्तार कर सके और मनोरंजन क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके।
इस संभावित अधिग्रहण पर सारेगामा और धर्मा प्रोडक्शंस दोनों से हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' ने संपर्क किया, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है।
7 अक्टूबर को 'एक्सचेंज4मीडिया' ने रिपोर्ट दी थी कि धर्मा प्रोडक्शंस नए निवेशकों की तलाश कर रहा है और इस संदर्भ में सारेगामा से संपर्क किया है। इसी दिन, करण जौहर ने घोषणा की कि धर्मा प्रोडक्शंस की फिल्मों की प्री-रिलीज स्क्रीनिंग बंद की जाएगी, जो इस अधिग्रहण की चर्चाओं के बीच एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इससे पहले, 10 अगस्त को एक्सचेंज4मीडिया ने ही सबसे पहले यह रिपोर्ट दी थी कि धर्मा प्रोडक्शंस निवेशकों की तलाश कर रहा है।
वैसे यह डील सारेगामा के लिए दूसरी बड़ी डील हो सकती है। इसके पहले FY24 में कंपनी ने डिजिटल एंटरटेनमेंट स्टार्टअप 'Pocket Aces' का अधिग्रहण किया था। नवंबर 2023 में, सारेगामा ने Pocket Aces में 51.8% हिस्सेदारी 175 करोड़ रुपये में खरीदी थी और फिर अगस्त 2024 में शेष 48.2% हिस्सेदारी 209 करोड़ रुपये से अधिक में खरीदी, जिससे कुल अधिग्रहण लागत लगभग 385 करोड़ रुपये हो गई।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि सारेगामा की धर्मा प्रोडक्शंस में रुचि इस फिल्म प्रोडक्शन हाउस के मजबूत ब्रैंड और बॉलीवुड में इसकी समृद्ध विरासत के कारण है। धर्मा प्रोडक्शंस ने हाल के वर्षों में डिजिटल कंटेंट और टैलेंट मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में भी कदम रखा है। यह अधिग्रहण सारेगामा को धर्मा के अनुभव और प्रतिष्ठा का लाभ उठाने का अवसर देगा, जिससे म्यूजिक और फिल्म प्रोडक्शन के बीच तालमेल स्थापित कर दर्शकों के लिए नया और रोमांचक कंटेंट तैयार किया जा सकेगा।
यह खबर तब सामने आई है जब FY23 में धर्मा प्रोडक्शंस का टैक्स के बाद मुनाफा घटकर 10.7 करोड़ रुपये हो गया, जो FY22 में 27.1 करोड़ रुपये था।
दूसरी ओर, FY24 में सारेगामा ने 866 करोड़ रुपये का राजस्व और 197 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया। कंपनी के बेहतर प्रदर्शन का मुख्य कारण संगीत लाइसेंसिंग में वृद्धि है, जो विज्ञापन राजस्व और नए संगीत में किए गए निवेश से प्रेरित है। इसके अलावा, आर्टिस्ट मैनेजमेंट वर्टिकल से होने वाली कमाई ने भी योगदान दिया है।
गौरतलब है कि 1976 में करण जौहर के दिवंगत पिता यश जौहर द्वारा स्थापित धर्मा प्रोडक्शंस भारत के प्रमुख फिल्म प्रोडक्शन हाउस में से एक है। इसने अपनी यात्रा की शुरुआत अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म 'दोस्ताना' से की थी। 2004 में, यश जौहर के निधन के बाद, करण जौहर ने कंपनी की बागडोर संभाली और इसे विज्ञापन, टैलेंट मैनेजमेंट, कंटेंट प्रोडक्शन और लाइव एंटरटेनमेंट जैसे क्षेत्रों में विस्तारित किया। धर्मा 2.0, कॉर्नरस्टोन एजेंसी, धर्मेटिक एंटरटेनमेंट और धर्मा शो लाइव टीवी एवं मूवीज जैसी पहलों के जरिए धर्मा ने अपनी पहुंच बढ़ाई।
टाइम्स नेटवर्क के नेटवर्क ब्रैंड स्ट्रैटेजी के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट अनूप विश्वनाथन ने तीन साल के कार्यकाल के बाद ऑर्गनाइजेशन से विदाई ले ली है
टाइम्स नेटवर्क के नेटवर्क ब्रैंड स्ट्रैटेजी के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट अनूप विश्वनाथन ने तीन साल के कार्यकाल के बाद ऑर्गनाइजेशन से विदाई ले ली है। वह अक्टूबर 2021 में इस ऑर्गनाइजेशन में शामिल हुए थे।
हालांकि उनकी अगली भूमिका की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वह जल्द ही एक बड़े ऑर्गनाइजेशन में रणनीतिक और नेतृत्वकारी भूमिका निभाने वाले हैं।
इसके पहले, अनूप क्रिएटिवलैंड एशिया से जुड़े थे, जहां वह दो साल से ज्यादा समय तक सीईओ रहे। उन्होंने वहां फाउंडर और क्रिएटिव चेयरमैन सजन राज कुरुप के साथ मिलकर काम किया।
2015 में उन्होंने सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया में मार्केटिंग हेड के रूप में शामिल होकर सोनी के प्रमुख जनरल एंटरटेनमेंट चैनल (GEC) की मार्केटिंग का नेतृत्व किया था। इससे पहले, 2014 में वह टाइम्स टेलीविजन नेटवर्क के इंग्लिश एंटरटेनमेंट क्लस्टर के मार्केटिंग हेड भी रह चुके हैं।
2006 में अनूप ने लियो बर्नेट के साथ भी काम किया, जहां उन्होंने एचडीएफसी लाइफ, टाटा कैपिटल, मैकडॉनल्ड्स और सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन जैसे प्रमुख ब्रैंड्स को संभाला।
अनूप से इस बारे में हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' की ओर से संपर्क किया गया, लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
'न्यूज18 इंडिया' के एसोसिएट एडिटर यतेन्द्र शर्मा ने एक बार फिर अपनी सटीक राजनीतिक समझ का सबूत दिया है।
'न्यूज18 इंडिया' के एसोसिएट एडिटर यतेन्द्र शर्मा ने एक बार फिर अपनी सटीक राजनीतिक समझ का सबूत दिया है। उन्हें पॉलिटिकल खबरों में बीजेपी और सरकार की बड़ी खबरें ब्रेक करने के लिए जाना जाता है। इस बार उन्होंने हरियाणा चुनाव के रिजल्ट से दो दिन पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि बीजेपी को 35 से 47 सीटों पर जीत मिल सकती है, जबकि कुछ अन्य पत्रकारों का दावा था कि कांग्रेस के पक्ष में लहर चलेगी।
यतेन्द्र शर्मा की यह भविष्यवाणी आज हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद सच साबित हुई और 'न्यूज18 इंडिया' की वरिष्ठ एंकर रुबिका लियाकत को उनके साथ हुई उस बातचीत की याद आई, जिसमें उन्होंने इस संभावना का जिक्र किया था।
न्यूज18 इंडिया की वरिष्ठ एंकर @RubikaLiyaquat जी के साथ कुछ दिन पहले हरियाणा चुनाव पर बातचीत हुई थी और आज रिज़ल्ट वाले दिन वो बात उनको याद आई @News18India pic.twitter.com/XksPiMgEVg
— यतेन्द्र शर्मा @YatendraMedia (@YatendraMedia) October 8, 2024
इस बार हरियाणा चुनाव कवर नहीं कर पाया…
— यतेन्द्र शर्मा @YatendraMedia (@YatendraMedia) October 7, 2024
लेकिन बीजेपी और उनके शुभचिंतकों से बातचीत के आधार पर उनका दावा है कि कम से कम 35 सीटें और ज़्यादा से ज़्यादा 47 सीट बीजेपी की आ सकती है वहीं ज़्यादातर हरियाणा कवर करने वाले पत्रकारों का दावा है कि कांग्रेस के पक्ष में आँधी चलेगी
पहले भी साबित की है सटीकता
यतेन्द्र शर्मा सिर्फ हरियाणा चुनाव ही नहीं, बल्कि बीजेपी, आरएसएस और कई मंत्रालयों पर अपनी गहरी पकड़ के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने पहले भी कई बड़ी खबरें ब्रेक की हैं। 31 अगस्त 2023 को संसद के विशेष सत्र के दौरान जब ज्यादातर न्यूज चैनल्स वन नेशन, वन इलेक्शन और इंडिया-भारत पर चर्चा की उम्मीद जता रहे थे, तब यतेन्द्र ने सही जानकारी दी थी कि यह सत्र मुख्य रूप से पुरानी से नई संसद में शिफ्ट होने के लिए आयोजित किया जा रहा है और जी-20 सम्मेलन की सफलता पर चर्चा होगी। उनका हर एक पॉइंट सही साबित हुआ।
ब्रेक की कई बड़ी खबरें
यतेन्द्र शर्मा ने नेता विपक्ष लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफे की तारीख से लेकर उमा भारती की बीजेपी में वापसी की खबर सबसे पहले ब्रेक की थी। इसके अलावा जब बाकी मीडिया नितिन गडकरी के दूसरे कार्यकाल की खबर चला रहे थे, तब यतेन्द्र ने राजनाथ सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की खबर ब्रेक की और सही साबित हुए। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की नियुक्ति की भविष्यवाणी भी सबसे पहले की थी।
2022 यूपी चुनाव और अनुच्छेद 370 पर सही दावे
यतेन्द्र शर्मा ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बीजेपी की बड़ी जीत की भविष्यवाणी भी बहुत पहले ही कर दी थी, जो पूरी तरह सही साबित हुई। इसके अलावा, 2019 में भी उन्होंने सबसे पहले यह बताया था कि मोदी सरकार अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए संसद में बिल ला सकती है, और यह बात भी सही निकली।
हरियाणा चुनाव को लेकर उनकी ताजा भविष्यवाणी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यतेन्द्र शर्मा की राजनीतिक खबरों पर पकड़ और विश्लेषण अद्वितीय है। उनकी सटीक जानकारी और सही समय पर ब्रेक की गई खबरें उन्हें मीडिया के सबसे भरोसेमंद और सटीक पत्रकारों में से एक बनाती हैं।
सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड (SUN TV Network Ltd.) ने 7 अक्टूबर 2024 को अपनी बोर्ड बैठक के दौरान तीन नए स्वतंत्र गैर-कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति की घोषणा की है।
सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड (SUN TV Network Ltd.) ने 7 अक्टूबर 2024 को अपनी बोर्ड बैठक के दौरान तीन नए स्वतंत्र गैर-कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति की घोषणा की है। इन नियुक्तियों का कार्यकाल 5 साल का होगा, जो शेयरधारकों की मंजूरी पर आधारित है।
नए निदेशकों की नियुक्ति :
1. मंडलापु हरिनारायणन हर्षवर्धन - मंडलापु हर्षवर्धन को 7 अक्टूबर 2024 से अतिरिक्त स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। उनकी उम्र 34 वर्ष है और उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की कैंटरबरी क्राइस्ट चर्च यूनिवर्सिटी (Canterbury Christ Church University) से फिल्म, रेडियो, टेलीविजन और मीडिया स्टडीज में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की है। वह अपने पारिवारिक व्यवसाय में निर्माण सामग्री, जैसे रेडी मिक्स कंक्रीट और वैकल्पिक ईंटों का उत्पादन करते हैं और साथ ही कॉर्पोरेट हॉस्पिटैलिटी बिजनेस को भी मैनेज करते हैं।
2. रविवेंकटेश प्रगदीश कार्तिक - रविवेंकटेश कार्तिक को भी 7 अक्टूबर 2024 से अतिरिक्त स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। 30 वर्षीय कार्तिक ने भारत के SSN कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री और यूएसए की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग (University of Pittsburgh, USA) से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री प्राप्त की है। वह पहले 'प्रोटेरा इंक', 'टेस्ला इंक' और अमेरिका की 'यूएसए एंड लूसिड मोटर्स' जैसी प्रमुख कंपनियों में काम कर चुके हैं। वर्तमान में वे 'Premier Polymers & Pipes Private Limited' में निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
3. जगदीशन गायत्री - 50 वर्षीय जगदीशन गायत्री को 7 अक्टूबर 2024 से अतिरिक्त स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। वह पेशे से एक वकील हैं और उनके पास बैचलर ऑफ आर्ट्स एंड बैचलर ऑफ लॉ (BABL) की डिग्री है।
बोर्ड समितियों का पुनर्गठन:
इन नए निदेशकों की नियुक्ति के साथ, बोर्ड ने अपनी विभिन्न समितियों का पुनर्गठन भी किया है। इस पुनर्गठन के बाद, समितियों की नई संरचना को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इन समितियों की विस्तृत जानकारी आप नीचे देख सकते हैं।
सन ग्रुप ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन तीनों निदेशकों को SEBI या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा निदेशक पद पर रहने से रोका नहीं गया है, जिससे उनकी नियुक्ति कानूनी रूप से सही है।
इस नियुक्ति से ग्रुप को नई दृष्टिकोण और विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा, जिससे कंपनी के संचालन में सुधार होगा और इसकी विकास यात्रा को और गति मिलेगी।
ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी 'एमेजॉन' ने आखिरकार सोमवार को पुष्टि की कि उसने 'MX प्लेयर' के कुछ चुनिंदा एसेट्स का अधिग्रहण कर लिया है
ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी 'एमेजॉन' ने आखिरकार सोमवार को पुष्टि की कि उसने 'MX प्लेयर' के कुछ चुनिंदा एसेट्स का अधिग्रहण कर लिया है और इसे अपनी मौजूदा सर्विस 'एमेजॉन मिनी टीवी' (Amazon miniTV) के साथ मर्ज करने की योजना बनाई है। यह नया प्लेटफॉर्म अब 'एमेजॉन MX प्लेयर' के रूप में सामने आएगा।
'एमेजॉन' ने एक बयान में कहा, “यह स्ट्रैटजी भारत के दो सबसे लोकप्रिय मुफ्त विज्ञापन-समर्थित वीडियो-ऑन-डिमांड (AVOD) सेवाओं को एक एकीकृत ब्रैंड के तहत लाती है।”
भारत में सबसे बड़ा मुफ्त स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म
नए ऐप के लॉन्च के साथ ही एमेजॉन अब भारत में सबसे बड़े मुफ्त स्ट्रीमिंग सेवाओं में से एक बन गया है। एमेजॉन के अनुसार, 'सितंबर में 25 करोड़ से अधिक यूजर्स ने इस कम्बाइंड सर्विस पर हजारों ओरिजिनल शो, लोकप्रिय फिल्मों और स्थानीय भाषाओं में डब किए गए अंतरराष्ट्रीय कंटेंट का आनंद लिया।'
हालांकि यह डील कितने की हुई, इसकी सटीक जानकारी नहीं मिली है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह डील $30-40 मिलियन के बीच हो सकती है। यह मूल्य 2018 में टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड द्वारा 'MX प्लेयर' की खरीद के एक चौथाई के करीब है।
एमेजॉन और MX प्लेयर की डील का सफर
गौरतलब है कि 20 मार्च, 2023 को सबसे पहले 'एक्सचेंज4मीडिया' ने यह रिपोर्ट दी थी कि 'एमेजॉन MX प्लेयर' को खरीदने की योजना बना रहा है, ताकि वह भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में अपने एंटरटेनमेंट बिजनेस का विस्तार कर सके।
MX प्लेयर और एमेजॉन ने तब इस डील की पुष्टि नहीं की थी, लेकिन कई दौर की बातचीत और चर्चाओं के बाद भी यह डील सफल नहीं हुई थी। इस चर्चा को मई 2023 में फिर से पुनर्जीवित किया गया और 29 मई को 'एक्सचेंज4मीडिया' ने रिपोर्ट किया कि एमेजॉन और MX प्लेयर के बीच बातचीत एक महत्वपूर्ण चरण में है।
एमेजॉन के अधिकारियों ने जून 2023 में 'एक्सचेंज4मीडिया' से बात की और कहा, 'एमेजॉन ने MX प्लेयर से कुछ एसेट्स खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।'
उपभोक्ता और विज्ञापनदाता को होगा फायदा
एमेजॉन ऐडवरटाइजिंग इंडिया के प्रमुख गिरीश प्रभु ने कहा कि इस मर्जर से MX प्लेयर की व्यापक पहुंच और एमेजॉन की उन्नत विज्ञापन तकनीक, जो अरबों ग्राहक सिग्नल्स पर आधारित है, एक साथ आएंगे।
गिरीश प्रभु ने कहा, 'यह मर्जर सभी ब्रैंड्स को बड़े पैमाने पर भारत भर में एक बहुत ही संलग्नक बेस तक पहुंचने और प्रासंगिक विज्ञापन देने का अवसर प्रदान करेगा।'
दर्शकों को मिलेगा बेहतर अनुभव
एमेजॉन MX प्लेयर के प्रमुख करन बेदी ने कहा, 'एमेजॉन का हिस्सा बनकर हम पूरे देश में लाखों दर्शकों को शानदार अनुभव प्रदान कर सकते हैं। हम उच्च गुणवत्ता वाली मनोरंजन सामग्री को पहले से कहीं तेजी से उपलब्ध करवा पाएंगे और सेवा को मुफ्त रखना जारी रखेंगे।'
इस मर्जर से MX प्लेयर के दर्शकों, विज्ञापनदाताओं और कंटेंट पार्टनर्स को बड़ा फायदा होगा और इससे सेवा को और भी अधिक लोगों तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा।
एमेजॉन ने यह भी कहा कि वह ओरिजिनल्स और लोकप्रिय शो के नए सीजन में निवेश जारी रखेगा, जिससे विज्ञापनदाताओं को दर्शकों के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने का मौका मिलेगा।
इस मर्जर के बाद, एमेजॉन ने भारत के मुफ्त स्ट्रीमिंग मार्केट में एक मजबूत उपस्थिति स्थापित कर ली है और आगे भी इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की योजना बनाई है।
इससे पहले, आंचल जौहर 'जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड' में असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट के रूप में कार्यरत थीं।
आंचल जौहर को 'टाइम्स नेटवर्क' में एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर नियुक्त किया गया है। उन्होंने इस करियर अपडेट की जानकारी लिंक्डइन पर दी है, जहां उन्होंने बताया कि इस नई भूमिका में वह पूरे भारत में ब्रैंड्स के साथ कंटेंट पार्टनरशिप, नेटवर्क IPs (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) और विशेष प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी संभालेंगी। यह आंचल का 'टाइम्स नेटवर्क' में दूसरा कार्यकाल है।
लिंक्डइन पोस्ट में जौहर ने कहा, "मैं यह बताते हुए बेहद उत्साहित हूं कि मैंने 'टाइम्स टेलीविजन नेटवर्क' में एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट के रूप में जॉइन किया है, जहां मैं पूरे भारत में ब्रैंड्स के साथ कंटेंट पार्टनरशिप, नेटवर्क IPs और विशेष प्रोजेक्ट्स को लीड करूंगी। आइए मिलकर 'टाइम्स नेटवर्क' पर ब्रैंडेड कंटेंट के असीमित अवसरों की खोज करें।"
इससे पहले, आंचल जौहर 'जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड' में असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट के रूप में कार्यरत थीं, जहां उन्होंने 'जी न्यूज', 'जी बिजनेस' और 'वियॉन' के लिए स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप और ब्रैंडेड कंटेंट को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आंचल जौहर के पास मीडिया इंडस्ट्री में 17 वर्षों का अनुभव है, जिसमें उन्होंने सेल्स, ब्रैंडेड कंटेंट और IPs, मार्केटिंग, ऑपरेशंस और बिजनेस डेवलपमेंट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है।
अपने पिछले कार्यकालों में आंचल ने 'इंडिया टुडे', '9X मीडिया' और 'द वॉल्ट डिज़्नी' जैसी प्रमुख कंपनियों में भी काम किया है।
नेटवर्क18 मीडिया एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने शेयर बाजार को सूचित किया कि कंपनी के तीन महत्वपूर्ण नियुक्ति प्रस्तावों को शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है।
नेटवर्क18 मीडिया एंड इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड ने शेयर बाजार को सूचित किया कि कंपनी के तीन महत्वपूर्ण नियुक्ति प्रस्तावों को शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी ई-वोटिंग के जरिए प्राप्त की गई थी।
नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति के फैसले:
1. आदिल जैनुलभाई को नॉन-एग्जिक्यूटिव नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है।
2. रेणुका रामनाथ को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है।
3. राहुल जोशी को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में पुनर्नियुक्त किया गया है।
ये तीनों प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित किए गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी के शेयरधारक इन नियुक्तियों को लेकर काफी सकारात्मक हैं।
ई-वोटिंग और परिणाम:
ई-वोटिंग का आखिरी दिन 2 अक्टूबर 2024 था और यह सभी प्रस्ताव आवश्यक बहुमत के साथ पारित हो गए। वोटिंग परिणामों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियम 44(3) के तहत तय प्रारूप में जारी किया गया है।