12 जुलाई 2018 की रात करीब साढ़े 10 बजे दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक...
दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की आत्महत्या दरअसल सोची-समझी हत्या है, जिसकी योजना सालों पहले बनी थी। सलोनी अरोड़ा और रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान इस हत्या की स्क्रिप्ट लिखी और इसे पूरी तरह कार्यान्वित भी किया। किसी अपराध फिल्म की तर्ज पर मशहूर पत्रकार ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की जान इस तरह ली गई कि वह हत्या न लगकर सिर्फ आत्महत्या लगे। सलोनी अरोड़ा और रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को उनके परिवार से अलग कर दिया, उनके अखबार के प्रबंधन को उनके खिलाफ कर दिया और अंत में उनकी जिंदगी को क्रूरतापूर्वक छीन लिया। भावुक और सिर्फ पत्रकारिता करने वाले पत्रकार ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक चौतरफा तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाए, क्योंकि उनका कोई दोस्त नहीं था, सिर्फ पत्रकारिता ही उनकी मित्र थी। चौथी दुनिया से जुड़ीं पत्रकार श्रद्धा जैन ने कल्पेश याग्निक की आत्महत्या का पूरा खुलासा किया है, और बताया कि कैसे ये सोची-समझी हत्या है। पूरा लेख आप यहां पढ़ सकते हैं-
दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर : प्रसिद्ध पत्रकार कल्पेश याग्निक की ‘हत्या’!
12 जुलाई 2018 की रात करीब साढ़े 10
बजे दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक इंदौर स्थित ऑफिस
की कार पार्किंग में गिरे हुए पाए गए थे। उन्होंने बिल्डिंग के तीसरे माले से
कूदकर अपनी जान देने की कोशिश की थी। बॉम्बे हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ देर बाद ही
डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि 55 साल के इस प्रतिष्ठित पत्रकार और प्रखर वक्ता को आत्महत्या करने के लिए
मजबूर होना पड़ा। जो व्यक्ति सालों तक ‘असंभव के विरुद्ध’
कॉलम लिखकर लाखों लोगों को प्रेरणा देता रहा, उसे
एक महिला की ब्लैकमेलिंग के आगे घुटने टेकने पड़ गए। 42 साल
की पत्रकार सलोनी अरोड़ा और उसके दोस्त रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म
डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने आखिर कैसे सालों तक चली ब्लैकमेलिंग की ये
स्क्रिप्ट लिखी, जिसका अंत ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की
जिंदगी के खात्मे के साथ हुआ।
इस इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में हमने न केवल वो कारण तलाशे, बल्कि कई सालों से लिखी
जा रही ब्लैकमेलिंग की इस स्क्रिप्ट के हर पहलू और हर किरदार के बारे में गहराई से
छानबीन की, जिसके चलते पहले ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की
इज्जत और फिर उनकी जिंदगी ही भेंट चढ़ गई।
फ्रीलांसिंग से शुरुआत कर एंटरटेनमेंट
एडिटर बनी
इस कहानी की शुरुआत होती है करीब 12 साल पहले, जब सलोनी अरोड़ा
बतौर फ्रीलांस रिपोर्टर सिटी भास्कर इंदौर से जुडी। आम फ्रीलांसर की तरह वो भी इस
कोशिश में रहती थी कि उसकी ज्यादा से ज्यादा खबरें लगें, ताकि
उसे ज्यादा पैसे मिल सकें। जाहिर है, वो एक सिंगल मदर थी।
अपने छोटे से बेटे की बेहतर परवरिश के लिए उसे पैसों की जरूरत थी। हालांकि इस
जरूरत को पूरा करने के लिए उसने सही की बजाय गलत रास्ते को अपनाया। उसने दैनिक
भास्कर के इंदौर एडिशन के सीनियर्स के साथ अपने सम्बन्ध बढ़ाने शुरू किए और बस यहीं
से वो ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के सम्पर्क में आई।
ऐसा बताया जाता है कि उनके दम पर वो इसी इंदौर सिटी भास्कर की हेड बन
गई, जहां वो कुछ दिन पहले तक
अपनी एक-एक खबर लगवाने के लिए मशक्कत करती थी। जाहिर है, जिन
10-11 लोगों की टीम का उसे हेड बनाया गया था, उनमें से कुछ लोग इस पद के लिए सलोनी से ज्यादा काबिल थे, तो वहीं कुछ उसके समकक्ष और सीनियर। प्रबंधन के इस बेतुके निर्णय के विरोध
में पूरी टीम ने एक साथ इस्तीफा दे दिया और आनन-फानन में दैनिक भास्कर के भोपाल
एडिशन से कुछ लोगों को बुलाकर इंदौर सिटी भास्कर की व्यवस्था संभालने का जिम्मा
सौंपा गया।
इसके बाद सलोनी अरोड़ा का दैनिक भास्कर में पद भी बढ़ता गया और कद भी।
ऐसे ही एक प्रमोशन को सेलिब्रेट करने के लिए वो भोपाल गई और इस सेलिब्रेशन का
हिस्सा बनने के लिए उसने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को आमंत्रित किया। संभव है कि
इसके लिए सलोनी ने वैन्यू भी तय कर रखा था, जो कथित तौर पर होटल का एक कमरा था। यही वो समय था,
जब ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक से एक मानवीय गलती हो गई और उसके बाद
सलोनी उन पर इस कदर हावी हुई कि फिर वो पूरी जिंदगी उससे अपना पिंड नहीं छुड़ा पाए।
अब ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने उस दिन क्या किया या ऐसा क्या हुआ कि वे सलोनी
के सामने इतने मजबूर हो गए, यह रहस्य तो उनके साथ ही इस
दुनिया से चला गया।
लेकिन उस रहस्य को जानने वाला दूसरा व्यक्ति हमारे बीच मौजूद है और वह
है सलोनी, उस सेलिब्रेशन के दौरान
उसके और ग्रुप एडिटर कल्पेश के बीच क्या हुआ अब यह तो वही बता सकती है। उस दिन ने
सलोनी द्वारा ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को ब्लैकमेल करने की नींव जरूर रख दी।
हालांकि सलोनी अब तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं दे पाई है कि उसने ग्रुप एडिटर
कल्पेश याग्निक को धमकाने के पीछे जिन शारीरिक सम्बन्धों का हवाला दिया है,
उसका कोई भी सुबूत उसके पास है। जाहिर है, उस
समय टेक्नोलॉजी इतनी अच्छी नहीं थी कि वो ऐसा कर पाती, लेकिन
उसने मन ही मन इस मौके को भुनाने की पूरी तैयारी जरूर कर ली थी।
रिलायंस के फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन हेड आदित्य चौकसे, सलोनी और साज़िश
सलोनी ने कुछ साल तक इंदौर सिटी भास्कर में एकछत्र राज किया। कई
प्रमोशन लिए और मनमाने ढंग से काम भी किया। उस समय तक वो फिल्म वितरक एवं भास्कर
के स्तंभकार जयप्रकाश चौकसे के बेटे रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म
डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे के संपर्क में आ चुकी थी। फिल्म वितरण के
क्षेत्र में जितने तरीके अपनाए जाते हैं, उन सबका वह मास्टर था। कई अन्य लोगों की तरह सलोनी का
झुकाव भी फिल्म इंडस्ट्री और उससे जुड़ी खबरों की दुनिया की ओर था। लिहाजा वो
रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे से संपर्क बढ़ाती
गई और फिर उसने मुंबई जाने का मन बना लिया। उसका यह सपना पूरा करने में मदद की
ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने। उसे फिल्म इंडस्ट्री की खबरें करने के लिए मुंबई
पोस्टिंग दी गई। वहीं उसके रहने से लेकर हर सुख-सुविधा का इंतजाम किया उसके मित्र
रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने, जो कि उसका लिव-इन पार्टनर बन चुका था।
2013 के आस पास सलोनी मुंबई चली गई और वहां रिलायंस
एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे और उसके फिल्म इंडस्ट्री
के बैकग्राउंड के दम पर डायरेक्टर्स, प्रडयूसर्स से सम्बन्ध
बनाए। दैनिक भास्कर जैसा ब्रैंड तो उसके पास था ही। उसके दम पर उसने पेड-रिव्यू भी
लिखे और मनमर्जी की खबरें भी छपवाईं।
दैनिक भास्कर से जुड़े लोग बताते हैं कि उसकी मनमानी की खबरें समय-समय
पर मैनेजमेंट तक पहुंचती रहीं। अपने सहकर्मिंयों के साथ झगड़े और उनके साथ अभद्र
व्यवहार करना तो उसकी आदत बन चुकी थी। जिस किसी ने उसका विरोध किया, उसे अपनी नौकरी भी गंवानी
पड़ी। ऐसे कई किस्से उसके साथ काम कर चुके लोग सुनाते हैं। पानी सिर से ऊपर गुजरता
देख सलोनी को नौकरी से भी निकाल दिया गया। एक बार तो स्वयं श्रवण गर्ग ने उसे
नौकरी से निकाल दिया था, लेकिन ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक
के सपोर्ट के चलते वो वापस बहाल हो गई। ऐसा दो बार हुआ, जब
सलोनी को निकाला गया और ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने बीच में पड़कर उसे नौकरी
वापस दिलवाई।
सलोनी कहीं भी रही, ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के संपर्क में रही और उनसे फोन पर हुई हर
बातचीत का रिकॉर्ड रखती गई। उसकी जिंदगी आराम से तब तक चलती रही, जब तक कि मुंबई में उसके ऊपर लोग अपॉइंट नहीं किए गए। दैनिक भास्कर
मैनेजमेंट ने पॉलिसी में कुछ बदलाव किए और उसके तहत मुंबई एडिशन में खबरों और
स्टाफ को लेकर कई फेरबदल हुए। ऐसा सुना गया कि दैनिक भास्कर ग्रुप के मार्केटिंग
एंड रिलेटेड ऑपरेशंस के हेड गिरीश अग्रवाल जो कि खुद मुंबई ऑफिस पर नजर रखते हैं,
उन्होंने वहां कुछ नए लोगों को अपॉइंट किया, जो
पद में सलोनी से ऊपर थे। लिहाजा सलोनी को अब उन्हें रिपोर्ट करना था।
सलोनी को अपना साम्राज्य छिनता हुआ नजर आया और आदतन उसने इसका विरोध
करना शुरू कर दिया। बात बनते न देख पिछले साल की तीसरी तिमाही में उसने ऑफिस जाना
बंद कर दिया और 2 महीने की लंबी छुट्टी लेकर घर बैठ गई। छुट्टियां खत्म होने के बाद भी जब
वह ऑफिस नहीं लौटी, तो मैनेजमेंट ने उसे हटा दिया। इस घटना
से सलोनी बौखला गई। इस दौरान वह पिछले पौने दो साल से ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक
पर लगातार दबाव डाल रही थी, ताकि वो मुंबई ऑफिस में अपना
रूतबा और काम करने की पूरी आजादी पा सके। लेकिन जब नौकरी ही चली गई, तो उसने अपना आपा खो दिया। 14 जनवरी को दैनिक भास्कर
से टर्मिनेट होने के बाद उसने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के खिलाफ मोर्चा खोल
दिया। पौने दो साल से भास्कर के ग्रुप एडिटर पर बन रहा दबाव अब बम बनकर फूटने को
तैयार था।
ऑडियो लीक करके उड़ाई याग्निक परिवार की
नींद
पहला धमाका हुआ 14 जनवरी 2018 की रात को 12 बजकर 52
मिनट पर, जब सलोनी ने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक
के छोटे भाई नीरज को फोन किया और कहा कि मैं सलोनी अरोड़ा बोल रही हूं, तुरंत मेरी बात ग्रुप एडिटर कल्पेश यग्निक से कराएं वरना कल अनर्थ हो
जाएगा। तुरंत ग्रुप एडिटर कल्पेश जी की बात सलोनी से कराई गई और उसने उन्हें खुली
धमकी दी कि उसकी नौकरी बहाल करवाएं, वरना उन्हें पछताना
पड़ेगा। नीरज बताते हैं कि तब तक तो मैं जानता भी नहीं था कि सलोनी अरोड़ा है कौन।
कल्पेश भाई ने उससे बात की और अगले दिन इंदौर के भीड़ भरे चौराहे पर उससे मुलाकात
की। दो घंटे तक उन्होंने सलोनी को समझाया कि अब नौकरी दिलाना उनके वश में नहीं है।
लेकिन सलोनी नहीं मानी और उसके बाद शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का वो सिलसिला, जिसने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को अपनी जान देने पर मजबूर कर दिया।
ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने किसी को कुछ नहीं बताया, अपने ही स्तर पर सलोनी को
समझाते रहे, गिड़गिड़ाते रहे। इस दौरान उन्होंने मैनेजमेंट से
बातचीत करके एक बार फिर सलोनी को नौकरी दिलवाई, लेकिन सलोनी
ने यह कहकर नौकरी जॉइन नहीं की कि वो ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के अलावा किसी
अन्य को रिपोर्ट नहीं करेगी। कुछ न होता देख मई में सलोनी ने अगला कदम उठाया। 6
मई को दोपहर 2 बजे नीरज याग्निक को किसी अन्य
नंबर से फोन किया और कहा कि अब तुम्हारे भाई पर केस दर्ज होने जा रहा है। नीरज ने
भी उससे कह दिया कि ठीक है, केस कर दो। सलोनी ने कहा कि आप
समझ नहीं रहे हैं, उनपर रेप का मामला दर्ज होगा।
उसके बाद याग्निक परिवार हरकत में आया। सात मई को पूरा परिवार साथ
बैठा और घंटों तक इस मुद्दे पर बात हुई। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक लगातार कहते
रहे कि मैंने कुछ नहीं किया है, मैं उसे सजा दिलवाउंगा। उसी समय सलोनी ने ग्रुप एडिटर कल्पेश से बातचीत का
एक ऑडियो उनके परिजनों, परिचितों और विरोधियों को भेज दिया।
हालांकि उस ऑडियो में ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक की आवाज ज्यादा थी और सलोनी की न
के बराबर। उसमें ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक सलोनी को समझाने की कोशिश कर रहे थे
और उससे कोई ऐसा कदम न उठाने की गुजारिश कर रहे थे, जिससे
उनका परिवार बर्बाद हो जाए। इसके बाद उन पर दबाव बढ़ता गया। सलोनी की धमकियों की
तीव्रता बढ़ती गई। उसने एक और ऑडियो लीक किया, जिसमें उसने
बदनामी से बचने के लिए ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को तीन विकल्प दिए।
ऑडियो-
या तो स्लो पॉइजन लो या सायनाइड
मैं तुम्हें तीन ऑप्शन देती हूं। या तो दैनिक भास्कर से रिजाइन कर दो, 5 करोड़ रुपए दे दो,
मेरा मुंह बंद रखने के लिए क्योंकि तुमने मेरा करियर बर्बाद कर दिया
है। तूफान की फ्रिक्वेंसी कम करना तुम्हारे हाथ में है। भास्कर छोड़ दोगे तो स्लो
पॉइजन मिलेगा, नहीं छोड़ोगे तो सीधे सायनाइड मिलेगा। सारे
सबूत किसी को भी बेचूं, तो 5 करोड़ रुपए
कोई भी दे देगा। मुंबई की एडिटर को रिपोर्ट नहीं करूंगी। फिल्म के रिव्यू अपने नाम
से करूंगी, केवल संडे जैकेट के लिए काम करूंगी। मुंबई में
डायरेक्टर-प्रड्यूसर फ्लॉप पिक्चर में भी करोड़ों रुपए कमाते हैं। मैं उनके साथ
रिलेशन में आ जाऊं तो कोई भी घर-गाड़ी, बैंक बैलेंस आसानी से
दे देगा। न मुझे उनसे शादी करनी है ना उन्हें मुझसे। यह केवल कंफर्ट का रिलेशन
होता है। पैसे की मुझे कोई समस्या नहीं है। 43 की उम्र में
भी मुझमें इतनी कूवत और चार्म है कि कोई भी मुझे रानियों की तरह रखे। अब तुम तय
करो कि तुम्हें क्या करना है।
पुलिस को भेजा पत्र
यह ऑडियो आने के बाद तो ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के लिए करो या मरो
की स्थिति बन गई। अपने भाई के साथ मिलकर उन्होंने तय किया कि सलोनी कोई कदम उठाए
उससे पहले वे सारी स्थिति बताते हुए पुलिस में अपना पत्र सौंप देंगे, ताकि सलोनी के पुलिस
स्टेशन पहुंचने पर उन पर सीधे केस दर्ज न हो सके। इतने सालों की पूरी कहानी बताते
हुए उन्होंने 8 पेज का एक पत्र लिखा और पुलिस के वरिष्ठ
अधिकारी के पास पहुंचे। उनसे लंबी चर्चा की और सारी स्थिति बयां की। उनके मन में
इस बात को लेकर गहरा भय था कि अगर सलोनी उन पर झूठा केस ही कर दे, तो उसे झूठा साबित करने का सारा भार आरोपी पर आ जाएगा और जब तक झूठ सामने
आएगा, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा खत्म हो चुकी होगी।
31 साल के लंबे बेदाग करियर में, जिसमें
करीब 25 साल वे बॉस की भूमिका में रहे, साथ ही प्रतिष्ठा को लेकर बेहद सतर्क और संवेदनशील रहे, वो पूरी तपस्या पल भर में मिट्टी में मिल जाएगी। पत्र में उन्होंने कहा
कि ‘सलोनी का ऐसा विश्वास है कि महिला कानून सिर्फ नारी के
हितों को सुरक्षित ही नहीं करता है, बल्कि एक पुरुष के
अधिकारों का हनन भी करता है, इसके लिए जरूरत है सिर्फ एक बार
पुलिस स्टेशन जाने की। रेप का केस दर्ज होने के बाद भले ही मैं कानून की नजरों में
दोषी बनूं या न बनूं, जनता की निगाह में मैं रेपिस्ट ही करार
दिया जाऊंगा, फिर भले ही ये मुद्दा कोर्ट में एक दिन भी न
टिक पाए।
उन्होंने पैसे देने की उसकी नाजायज मांग को पूरा करने का भी फैसला
किया, ताकि उसे पकड़वा सकें,
लेकिन वो अपने फिल्म वितरक मित्र के साथ मिलकर पैसे की मांग बढ़ाती
गई। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने पत्र में लिखा था, ‘हालांकि
इतनी धमकियां और तनाव झेलने के बाद भी मेरा यह दृढ़ निश्चय है कि मैं उसकी
गैरकानूनी और नाजायज मांगों के आगे नहीं झुकूंगा, क्योंकि
मैंने एक भी ऐसा काम नहीं किया है, जो इस देश के कानून के
खिलाफ हो और मैं इस बात से पूरी तरह वाकिफ हूं कि कानून और कानून को लागू करने
वाली एजेंसियां इस सोशल मीडिया ब्लैकमेलिंग में मेरी कोई मदद नहीं कर सकतीं,
क्योंकि जैसे ही मैं एक रिपोर्ट लिखूंगा, मेरा
नाम जनता में सार्वजनिक रूप से उछाला जाएगा, जिससे कि लोग
सनसनीखेज अटकलबाजियां करेंगे और एक बड़ा स्कैंडल बन जाएगा। जाहिर है, इस हरकत से हुई बड़ी और गहरी क्षति सिर्फ मेरी होगी।’ इस पत्र को उन्होंने तब तक गोपनीय रखने का अनुरोध भी किया, जब तक कि वो महिला इस विषय पर खुले में बाहर नहीं आती और कानून द्वारा
पकड़ी नहीं जाती।
इसके बाद जो हुआ, वो कई लोगों के मन में एक कसक छोड़ गया कि ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को
इस तरह नहीं जाना था। जाहिर सी बात है, ग्रुप एडिटर कल्पेश
याग्निक खुद भी नहीं जाना चाहते थे, लेकिन यह चिट्ठी लिखने
के हफ्ते भर बाद ही उन्हें इस दुनिया से असमय विदाई लेनी पड़ी। स्थितियां ऐसी बन
चुकी थीं कि अपनी बेदाग छवि को बचाए रखने की एकमात्र इच्छा और अपने बच्चों को
लावारिस छोड़कर न जाने का गहरा दुख भी उन्हें यह कदम उठाने से नहीं रोक सका।
आखिरकार 12 जुलाई की रात साढ़े 10 बजे
उन्होंने दैनिक भास्कर ऑफिस के तीसरे माले से कूदकर अपनी जान दे दी। इस उम्मीद में
कि शायद शरीर की सारी हडि्डयां टूटकर ही उनकी छवि को टूटने से बचा सकें।
वे अपने परिवार के लिए जीना चाहते थे, दैनिक भास्कर में कई और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट करना
चाहते थे। लेकिन उनका आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा को लेकर उनकी संवेदनशीलता उन्हें
जिंदगी के इन लम्हों की जीने की इजाजत नहीं दे रही थी। उन्होंने इसके लिए सलोनी से
वक्त भी मांगा और उससे कहा कि उन्हें मजबूरन मौत को गले लगाना ही होगा, इसलिए वो उन्हें कुछ वक्त दे ताकि वे बिना तनाव के कुछ समय अपने परिवार के
साथ बिता सकें। पुलिस को जो ऑडियो मिले हैं, उनमें ये बातें
खुद ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक कहते हुए सुनाई देते हैं।
ऑडियो-
जिन्हें सुनकर आंसू भी आते हैं और अचंभा
भी होता है…
शातिर दिमाग सलोनी पिछले कई साल से ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक से की
गई हर बातचीत रिकॉर्ड कर रही थी। उसने हर दिन की बातचीत को तारीख के अनुसार फोल्डर
बनाकर पूरा रिकॉर्ड मेंटेन कर रखा था। जब पुलिस ने सलोनी को पकड़ा और उसके लैपटॉप, फोन आदि बरामद किए,
तो सलोनी वो सारा डेटा इनमें से डिलीट कर चुकी थी। पुलिस ने
टेक्नॉलॉजी की मदद लेकर पिछले पौने दो साल की बातचीत की 102 घंटे
की रिकॉर्डिंग रिकवर की है। इन ऑडियो में हुई बातचीत कहीं रोंगटे खड़े कर देने वाली
है, तो कहीं आंखों में आंसू ला देने वाली। ग्रुप एडिटर
कल्पेश याग्निक सलोनी को कहीं समझाते, कहीं गिड़गिड़ाते,
तो कहीं अपने परिवार को तबाही से बचाने की भीख मांगते नजर आते हैं।
इतना ही नहीं, वे अपनी जिंदगी को खत्म करने की भी बात कहते
हैं।
ये ऑडियो ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के सलोनी अरोड़ा और रिलायंस
एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे से बातचीत के हैं। इस
बारे में दो बातें कही जा रही हैं। पहली, सलोनी ने अपनी तरफ से ऑफर लेकर आदित्य चौकसे को ग्रुप
एडिटर कल्पेश याग्निक के पास भेजा। वहीं दूसरी यह कि ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक
ने आदित्य चौकसे को मिलने के लिए बुलाया और उससे सलोनी को समझाने की गुजारिश की।
ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक अच्छी तरह से जानते थे कि सलोनी और रिलायंस
एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे की लंबे समय से दोस्ती थी
और उन्हें लगा कि सलोनी शायद उसकी बात मान ले।
ऑडियो-
मैं पूरी तरह बर्बाद हो चुका हूं। मेरा सब कुछ खत्म हो गया। मेरा ऐसा
पतन हो चुका है, जिससे
मैं शायद कभी उबर नहीं पाऊं। उन्हें समझाएं कि वो अब और ऐसा कोई कदम न उठाएं। मेरी
क्षमता में जितना था मैंने किया और जितना संभव होगा करूंगा। जैसा उन्होंने अब तक
किया है और आगे करने की धमकी दे रही हैं, उसके आधार पर अब
मेरे पास इस दुनिया से जाने के सिवाय कुछ नहीं बचा है। मेरा सिर झुके, इससे बेहतर है कि जल जाए। हालांकि हम हिंदू धर्म मानते हैं और यह हमें ऐसा
करने की इजाजत नहीं देता कि हम अपने मरने के बारे में इस तरह की बातें करें,
लेकिन मैं क्या करूं, मेरे पास अब कोई विकल्प
नहीं रहा है।
मैं आत्महत्या करने और अपनी बेटियों को लावारिश छोड़कर जाने का कलंक
अपने ऊपर नहीं लेना चाहता। लेकिन मुझे अब यही करना होगा। जाहिर है, अब मुझे जाना ही होगा,
बस इतनी गुजारिश है कि मेरा जाना आसान कर दें और कुछ न करें। कुछ
समय मुझे अपने परिवार के साथ बिना तनाव के बिता लेने दें। मेरे जाने का बहुत बड़ा
दुख मेरे परिवार को होगा, इससे पहले मुझे उनके साथ थोड़ा वक्त
बिताने की मोहलत दे दें।
सूत्रों की मानें तो सलोनी उन्हें धमकाती थी कि यदि मैं मर भी गई, तो तुम्हारे नाम का
सुसाइड नोट छोड़कर जाऊंगी। इसलिए बदनामी से तो तुम कभी नहीं बच पाओगे। सलोनी ने
ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक पर दबाव डालने के लिए कई तरीके आजमाए। एक दिन ग्रुप
एडिटर कल्पेश याग्निक अपने भाई नीरज, दामाद और समधी के साथ
किसी पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे थे। तभी उन चारों के मोबाइल पर एक
वॉट्सऐप मैसेज आया, जिसमें लिखा था ‘कल्पेश याग्निक सेक्स
स्कैंडल…’ और साथ में एक लिंक दी हुई थी। इस मैसेज ने इन
चारों को हिलाकर रख दिया। गाड़ी रास्ते में रोककर वे 15 मिनट
तक ये सोचते रहे कि इसे कैसे क्लिक करें, अब न जाने इसमें
क्या होगा। लेकिन जब क्लिक किया, तो पता चला कि वह किसी गाने
का लिंक था। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक और उनके परिवार पर चौतरफा पड़ते ऐसे दबाव
ने उन्हें तोड़ दिया था।
एक मासूम बच्ची बागी कैसे बनी
जाहिर है आम बच्चियों की तरह सलोनी भी बचपन में मासूम ही थी। हालांकि
तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी सलोनी को घर में कभी प्यार भरा माहौल नहीं मिला। घर
में पैसे की कोई कमी नहीं थी, लेकिन इन बच्चों के हिस्से अपने पिता का केवल दुर्व्यवहार और अभाव ही आता
था। सलोनी के शराबी पिता को अपने परिवार से अच्छी-खासी जायदाद मिली थी, जिसका पूरा उपयोग उसने अपनी अय्याशी में किया। सलोनी के एक करीबी जिनसे कई
साल पहले सलोनी ने खुद अपने घर की हकीकत बयां करते हुए बताया था, उनका कहना है कि उनके घर में बच्चों के लिए दूध भले ही न रहता हो, लेकिन शराब हमेशा रहती थी। फिर शराबी पिता का मां को मारना, बेइज्जत करना सलोनी को अंदर तक हिला देता था। यहीं से उसके मन में पुरुषों
के प्रति जो नकारात्मकता भरी, वो फिर कभी गई नहीं। यहीं से
सफर शुरू हुआ उसके बागी होने का…
15-16 साल की उम्र में नीमच जैसे छोटे से कस्बे में
उसने 90 के दशक में जो जिंदगी जीनी शुरू की थी, वो आज के मेट्रोसिटी के टीनएजर्स की जिंदगी से
कम नहीं थी। अपने दोस्तों के साथ देर रात तक घूमने जैसी बातें, उसके लिए आम थीं। किसी भी बात पर घर में झगड़ा करना और अपनी जिद मनवाने के
लिए किसी भी हद तक जाना उसका स्वभाव बन गया था। उसके एक करीबी बताते हैं कि एक बार
घर में पिता से झगड़े के बाद उसने अपने हाथ में ब्लेड से 21 घाव
किए थे। इसी से पता चलता है कि वो दूसरों को और खुद को किसी भी हद तक नुकसान
पहुंचाने में पीछे नहीं हटती थी। होशियार तो वो थी ही, लेकिन
उसने इस होशियारी का इस्तेमाल निगेटिविटी में किया और फिर इसी रास्ते पर
साल-दर-साल आगे बढ़ती गई।
जब उसकी शादी की बात चली, तो अपने भावी पति को उसने अपनी और अपने परिवार की
एक-एक बात साफगोई से बताई। उससे कहा कि तुम्हारी शादी एक बहुत ही गंदे घर में हो
रही है, जहां औरतों की इज्जत नहीं होती। साथ ही गिड़गिड़ाई भी
कि मुझे इस दलदल से निकाल लो। ग्वालियर निवासी बिजनेस मेन भोला से 2001 में उसकी शादी हो गई। शादी से एक रात पहले बाप-बेटी ने भोला से एक लाख
रुपए की डिमांड कर दी। जैसे-तैसे घरवालों की मान-मनौव्वल करके शादी कर रहे भोला ने
अपनी इज्जत बचाने के लिए पैसे दे दिए। उसके बाद सलोनी की अजीबो-गरीब हरकतों,
जिद और झगड़ों का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसने
भोला और उसके परिवार की जिंदगी को नरक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शादी के अगले
दिन ही सलोनी घर से भाग गई।
दूल्हा बने भोला को सेहरा उतारे कुछ घंटे भी नहीं बीते थे और शादी की
खुशियां छोड़ वो अपनी दुल्हन को पूरे शहर में ढूंढ रहे थे। शाम तक सलोनी मिल तो गई, लेकिन तब तक घर की इज्जत
पर बट्टा लग चुका था। उसके बाद तो छोटी-छोटी बातों पर तूफान खड़ा कर देना उसकी आदत
बन गई। इस दौरान उसने बिना किसी को बताए बिना एक अबॉर्शन भी करा लिया। कुछ समय बाद
वो दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई और एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन पति और उसके परिजनों
से रिश्ते बिगड़ते ही गए। घर की बदनामी करने में भी उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। सारे
रिश्तेदारों से और गुरुद्वारे में जाकर वो ससुराल वालों की बुराई करती थी और खुद
की मासूमियत के दावे करती थी।
ये कैसी क्रूरता
पहले बागी होने और फिर अपराधिक मानसिकता की ओर बढ़ती सलोनी ने जिंदगी
में एक ऐसी हरकत भी की जो निर्ममता की हद पार कर देती है। उसकी सास 14 साल तक बेड पर रहीं।
उनके ब्रेन की वो नसें बर्स्ट हो गई थीं, जिनसे भूख, दर्द जैसे सेंसेशंस शरीर से दिमाग तक पहुंचते हैं। न वो बोल पाती थीं,
ना भूख-प्यास, दर्द आदि का अहसास कर पाती थीं।
इस कदर अशक्त बूढ़ी महिला को घर में अकेला पाकर सलोनी ने कई बार हॉकी स्टिक से पीटा।
पति के साथ झगड़ों का गुस्सा वो अपनी सास पर इतनी बेरहमी से उतारती कि डॉक्टर तक
हैरान रह गए। नि:शक्त सास के शरीर पर पड़े नीले धब्बे और जख्मों को देखकर डॉक्टर तक
ने कहा कि उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत करनी चाहिए, लेकिन
सलोनी अपनी इस हरकत से साफ इनकार करती रही।
सास की कई हडि्डयां तोड़ने के बाद जब पति ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया
तो उसने सलोनी को डायवोर्स देने का निर्णय कर लिया और कोर्ट में अर्जी लगा दी।
सलोनी के ससुराल के परिजन बताते हैं कि ससुराल में बिताए साढ़े तीन सालों में वो घर
से तीन बार भागी। इतने वक्त में 30 दिन भी ऐसे नहीं निकले, जब घर में शांति रही हो।
सलोनी के ऐसे स्वभाव के चलते उसके अपने भाई संजय अरोड़ा से भी रिश्ते खराब हो गए।
आखिरी बार जब वो ससुराल से भागकर अपने बेटे के साथ मायके पहुंची तो भाई ने भी उसे
वहां से भगा दिया। तब सलोनी अपनी बहन के पास रतलाम पहुंची। जैसे ही उसके पति भोला
को ये बात पता चली, तो वो जाकर अपने बेटे और पत्नी को वापस
लेकर आया। लेकिन बिस्तर पर पड़ी अपनी मां के साथ सलोनी की बेरहमी से की गई मारपीट
ने इसका धैर्य खत्म कर दिया था।
2005 में जब सलोनी का डायवोर्स के लिए केस शुरू हुआ,
तब तक वो नीमच और फिर रतलाम होते हुए इंदौर पहुंच चुकी थी। कुछ समय
तक केस ग्वालियर में चला और फिर उसके बाद उसने केस इंदौर में ट्रांसफर करा लिया।
यहां उसने पीपुल्स समाचार, राज एक्सप्रेस जैसे अखबारों में
काम किया और फिर दैनिक भास्कर से जुड़ी।
पेशी के लिए आए पति पर करवाया जानलेवा
हमला
सलोनी के साथ जिंदगी के कुछ साल बिताना भोला के लिए जितना मुश्किल रहा, उससे भी ज्यादा मुश्किल
रहा, उससे पीछा छुड़ाना। इंदौर में अपने बेटे के साथ अकेली रह
रही सलोनी न केवल पत्रकारिता में अपने पैर जमा रही थी, बल्कि
अपराधिक गतिविधियों की तरफ भी बढ़ रही थी। जब कोर्ट में सुनवाई के लिए उसका पति
इंदौर आया, तो सलोनी ने उसे बातचीत के बहाने एक जगह पर
बुलाया। वहां उसके बुलाए भाड़े के गुंडे पहले से मौजूद थे, जिन्होंने
भोला को इतना मारा कि वो मरते-मरते बचा। इतना ही नहीं, उसने
थाने में भी इस तरह सेटिंग कर रखी थी कि वहां भी भोला, सलोनी
के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करा पाया। बाद में सलोनी ने डायवोर्स देने के बदले उससे
एक करोड़ रुपए की डिमांड रख दी। साथ ही कहा कि यदि नहीं दिए तो डायवोर्स नहीं दूंगी,
पूरी जिंदगी ऐसे ही रहो। यदि डायवोर्स चाहिए तो एक करोड़ रुपए देने
ही होंगे।
रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे के
साथ गहरे संपर्क में आ चुकी सलोनी की कोर्ट में हो रही हर सुनवाई में वो उसके साथ
उपस्थित रहा। एक करोड़ रुपए की डिमांड के लिए बातचीत भी रिलायंस एंटरटेनमेंट के
फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने ही की। जब मिडिल क्लास फैमिली से
ताल्लुक रखने वाले भोला ने इतने पैसा देने से साफ मना कर दिया, तब रिलायंस एंटरटेनमेंट
के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे की पहल पर ही सलोनी 25 लाख रुपए लेकर डायवोर्स देने के लिए तैयार हुई।
इसमें 19 लाख रुपए कैश और छह लाख रुपए की ज्वैलरी शामिल थी। बताया जाता है कि जब ये
सैटलमेंट हुआ, तब रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म
डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे ने कहा था कि ठीक है हम 25 लाख रुपए में ही मान जाते हैं और समझ लेंगे कि हमें 75 लाख रुपए का नुकसान हो गया। कमाल की बात यह है कि अपना डायवोर्स केस लड़ते
हुए अपने पूर्व पति भोला को सलोनी ने ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के नाम की धमकी
भी दी थी कि उसके साथ बहुत बड़ा आदमी है और उसका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
इस दौरान कोर्ट के परमिशन देने पर सलोनी ने अपने बेटे को केवल एक बार
उसके पिता से कोर्ट में जज के सामने ही मिलने दिया। लेकिन कई साल से अपने पिता से
अलग रहे बेटे ने पिता से मिलने में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और फिर उसके बाद
तो इनकी कभी मुलाकात ही नहीं हो सकी।
इन घटनाओं ने सलोनी के पूर्व पति के मन में भी अर्ंतद्वंद्व पैदा कर
दिया है। वे सोचते हैं कि मानवता के नाते उन्हें उसके लिए कुछ करना चाहिए, क्योंकि सभी ने उसका साथ
छोड़ दिया है। आखिरकार वो उनके बेटे की मां है। लेकिन जब उन्हें याद आता है कि उसने
उनकी मां के साथ किस तरह निर्मम क्रूरता बरती थी, तो उनके
कदम पीछे हट जाते हैं।
क्रिमिनल माइंडेड महिला या ममतामयी मां
सलोनी के मामले में एक कमाल की बात यह भी है कि वो न केवल सामान्य कॉल, बल्कि वॉटसऐप कॉल रिकॉर्ड
करने, उन्हें तारीख के अनुसार हर दिन का फोल्डर बनाकर रखने
और मन मुताबिक उनका इस्तेमाल करने के लिए एडिटिंग करने आदि में माहिर है। लेकिन
इतनी टेक्नोफ्रेंडली होने के बाद भी वो फेसबुक पर नहीं है। उसने खुद को दुनिया से
छिपाए रखने के लिए फेसबुक पर अकाउंट नहीं बनाया और न कभी सोशल मीडिया पर अपनी फोटो
शेयर की।
उसने सोशल मीडिया से जुड़े रहने के लिए केवल टि्वटर को अपना सहारा
बनाया। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने पुलिस को दिए पत्र में जिक्र किया है कि
सलोनी अरोड़ा आदतन ब्लैकमेलर लगती है और ये बात रिकॉर्डिंग्स सहेजकर रखने से लेकर
धमकाने और दबाव डालने के तरीकों से साफ नजर भी आती है। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक
से पिछले सालों में की गई हर बातचीत का रिकॉर्ड रखने के अलावा उसने रिलायंस
एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे, पुणे में रहने वाले अपने
एक अन्य मित्र श्याम सहित कई अन्य लोगों से बातचीत के रिकॉर्ड और शायद न्यूड विडियो
भी सहेज रखे हैं। उसने अपने 15 साल के बेटे के भी कई तरह के विडियो
बनाकर रखे हैं।
इन रिकॉर्डिंग्स को अच्छी तरह सहेजकर रखने का मकसद ब्लैकमेलिंग भी हो
सकता है, साथ ही कुछ और भी। पुलिस
के साथ बातचीत में अब तक उसने जो बताया है, उससे एक पक्ष यह
भी सामने आता है कि वो अपने बेटे को लेकर बहुत संवेदनशील है और उससे बेतहाशा प्यार
करती है। उसके गिरफ्तार होते ही यह बात सामने आई थी कि सलोनी पूछताछ में सहयोग
नहीं कर रही है। शातिर दिमाग सलोनी से जानकारियां उगलवाने में पुलिस के पसीने छूट
रहे हैं। बाद में पुलिस के आला अधिकारियों ने खुद इस केस को हैंडल किया और बेटे को
लेकर जब उसपर इमोशनली दबाव डाला गया, तभी सलोनी टूटी और उसने
धमकाने और ब्लैकमेल करने की बात कबूल की।
अगले अंक में भी कल्पेश याग्निक
आखिर सलोनी अरोड़ा, ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक से क्या चाहती थी। वो क्या कारण थे, जिनके चलते उसने उनपर इस हद तक दबाव डाला? क्या
इसमें किसी और के स्वार्थ भी शामिल थे या फिर इसके पीछे कोई रैकेट काम कर रहा था?
इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं और क्या इस क्रिमिनल माइंडेड महिला
के चरित्र का कोई और पक्ष भी है? इसके अलावा ग्रुप एडिटर
कल्पेश याग्निक को पत्रकारिता में लाने वाले दैनिक भास्कर के पूर्व ग्रुप एडिटर
श्रवण गर्ग, उनको कॉलेज के दिनों से जानने वाले उनके मित्र
और वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े, उनके साथ कई साल तक काम कर
चुके इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा, अमर उजाला के
पॉलिटिकल एडिटर शरद गुप्ता, और इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.
प्रकाश हिन्दुस्तानी ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के बारे में क्या कहते हैं,
यह सब पढ़िए चौथी दुनिया के अगले अंक में…
डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है
डिज्नी इंडिया में स्टूडियो के हेड विक्रम दुग्गल ने रिलायंस और डिज्नी के मर्जर के बाद बनी नई इकाई का हिस्सा न बनने का फैसला किया है, लेकिन वह डिज्नी के साथ जुड़े रहेंगे।
स्टार में विक्रम दुग्गल ने डिज्नी, पिक्सर, मार्वल, लुकासफिल्म, 20th सेंचुरी स्टूडियोज और सर्चलाइट पिक्चर्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स की वैश्विक फिल्मों और फॉक्स स्टार स्टूडियोज के तहत स्थानीय प्रोडक्शंस का जिम्मा संभाला है। उन्होंने देश में इन ग्लोबल फिल्मों की मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के अलावा, स्थानीय प्रोडक्शंस के लिए क्रिएटिव, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन स्ट्रैटजी का नेतृत्व किया है।
उनके नेतृत्व में स्टूडियो का कारोबार उपभोक्ता, रचनात्मकता और स्थानीयकरण पर केंद्रित रहकर तेजी से बढ़ा है। उनके मार्गदर्शन में 'एवेंजर्स: एंडगेम' (2019 में भारत में नंबर 1 फिल्म), 'एवेंजर्स: इनफिनिटी वॉर', 'थॉर रग्नारोक', 'ब्लैक पैंथर', 'द लॉयन किंग' और 'फ्रोजन 2' जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर नए रिकॉर्ड बनाए।
इससे पहले, विक्रम ने स्टूडियोज बिजनेस के लिए मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का नेतृत्व किया था और डिज्नी इंडिया में कॉर्पोरेट रणनीति और बिजनेस ग्रोथ की जिम्मेदारियां भी संभाली थीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मीडिया नेटवर्क्स बिजनेस के लिए मार्केटिंग और डिजिटल इनीशिएटिव्स का नेतृत्व किया और भारत में डिज्नी के टीवी बिजनेस के निर्माण में रचनात्मक सहयोग किया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज और वॉल्ट डिज्नी कंपनी के स्टार इंडिया के बीच मर्जर नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे पहले डिज्नी स्टार के कंट्री मैनेजर और प्रेसिडेंट के. माधवन और डिज्नी + हॉटस्टार के प्रमुख सजीत सिवानंदन भी अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं।
'डेंट्सु इंडिया' (Dentsu India) ने IWMBuzz Media के साथ मिलकर 'इंडिया गेमिंग अवॉर्ड्स' के तीसरे संस्करण की घोषणा की है, जो 7 दिसंबर 2024 को मुंबई में आयोजित किया जाएगा।
'डेंट्सु इंडिया' (Dentsu India) ने IWMBuzz Media के साथ मिलकर 'इंडिया गेमिंग अवॉर्ड्स' के तीसरे संस्करण की घोषणा की है, जो 7 दिसंबर 2024 को मुंबई में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन भारत के गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स क्षेत्र में नई ऊंचाईयों को छूने और इंडस्ट्री में बेहतरीन प्रतिभा, नवाचार और उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए तैयार है।
भारत गेमिंग अवॉर्ड्स का उद्देश्य गेमिंग जगत के अहम लोगों को एक साथ लाना है, जिसमें शीर्ष गेमर्स, बड़े फैन समुदाय, पब्लिशर्स, ब्रैंड्स और प्लेटफॉर्म्स शामिल होंगे। यह कार्यक्रम भारत में गेमिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और उन लोगों को पहचान देने पर केंद्रित है, जो भारत में गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स का भविष्य बना रहे हैं।
'डेंट्सु इंडिया' इस इवेंट में 'Dentsu Gaming Report' का भी अनावरण करेगा, जो भारत के गेमिंग परिदृश्य का पहली बार व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करेगा। इस रिपोर्ट में गेमर्स, डेवलपर्स, इंफ्लुएंसर्स, प्रोफेशनल प्लेयर्स, पब्लिशर्स, कंटेंट क्रिएटर्स और इंडस्ट्री के लीडर्स की चुनौतियों और महत्वाकांक्षाओं का गहराई से अध्ययन किया जाएगा। रिपोर्ट में भारत के गेमिंग क्षेत्र में विकास की संभावनाओं पर भी रोशनी डाली जाएगी।
डेंट्सू साउथ एशिया के सीईओ हर्ष राजदान ने कहा, “भारत का गेमिंग परिदृश्य एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, और इसके विकास की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं। हम इस बदलाव के निर्माता बनकर इसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाने की दिशा में कार्यरत हैं। इस पहल से हमारा लक्ष्य केवल भारत में गेमिंग के भविष्य को आकार देना नहीं है, बल्कि इसे वैश्विक मानचित्र पर अग्रणी बनाना है।”
डेंट्सू साउथ एशिया के प्रेजिडेंट व चीफ स्ट्रैटजी ऑफिसर नारायण देवनाथन ने कहा कि यह साझेदारी गेमिंग में ब्रैंड्स के लिए नई संभावनाओं को खोलने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा, "हम 'डेंट्सु गेमिंग रिपोर्ट' (Dentsu Gaming Report) के माध्यम से भारत में गेमिंग का एक गाइड बना रहे हैं, जो ब्रैंड्स को इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं का लाभ उठाने में मदद करेगा।”
IWMBuzz Media के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ सिद्धार्थ लाइक ने कहा, “IWMBuzz Media ने भारत गेमिंग अवॉर्ड्स जैसे कई महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। Dentsu के साथ यह साझेदारी इस आइडिया को नई ऊंचाईयों तक ले जाएगी और 'डेंट्सु गेमिंग रिपोर्ट' का लॉन्च भारत के गेमिंग इंडस्ट्री में एक ऐतिहासिक क्षण होगा।”
यह आयोजन गेमिंग इंडस्ट्री के प्रमुख खिलाड़ियों, टॉप गेमर्स, फैन समुदायों, पब्लिशर्स, ब्रैंड्स, और प्लेटफॉर्म्स को एक मंच पर लाएगा। इसका उद्देश्य भारत के गेमिंग इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों पर ले जाना और उन लोगों का सम्मान करना है जो भारतीय गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
इस इवेंट में डेंट्सु इंडिया द्वारा 'डेंट्सु गेमिंग रिपोर्ट' का भी अनावरण किया जाएगा, जो भारत के गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र का एक व्यापक विश्लेषण पेश करेगा। इस रिपोर्ट में गेमर्स, डेवलपर्स, इन्फ्लुएंसर्स, प्रोफेशनल एथलीट्स, पब्लिशर्स और कंटेंट क्रिएटर्स की महत्वाकांक्षाओं और चुनौतियों पर गहराई से प्रकाश डाला जाएगा।
डेंट्सु साउथ एशिया के CEO हर्षा रजदान ने कहा, "भारत की गेमिंग इंडस्ट्री एक अहम मोड़ पर है। हमारी प्रतिबद्धता इस उद्योग को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने की है। डेंट्सु गेमिंग रिपोर्ट और इंडिया गेमिंग अवॉर्ड्स जैसी पहल के माध्यम से हम भारतीय गेमिंग उद्योग को विश्व स्तर पर एक सशक्त ताकत बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं।"
डेंट्सु साउथ एशिया के प्रेसिडेंट और चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर नारायण देवनाथन ने बताया कि यह साझेदारी भारत में ब्रैंड्स के लिए गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स में संभावनाओं को खोलने का एक अवसर है।
IWMBuzz मीडिया के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सिद्धार्थ लैके ने कहा, "IWMBuzz ने गेमिंग एंटरटेनमेंट में हमेशा से नवीन पहल की है। डेंट्सु के साथ हमारी यह साझेदारी भारत में गेमिंग के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी।"
इस आयोजन के माध्यम से भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया जाएगा और इसे वैश्विक पहचान दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब (FCC) ने अपनी गवर्निंग कमेटी का पुनर्गठन किया है, जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है।
नई दिल्ली स्थित फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब (FCC) ने अपनी गवर्निंग कमेटी का पुनर्गठन किया है, जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। इस पुनर्गठित कमेटी में भारतीय मीडिया के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। बता दें कि FCC के अध्यक्ष एस. वेंकट नारायण ने इस पुनर्गठन की घोषणा की।
इन प्रमुख व्यक्तियों ने FCC की गवर्निंग कमेटी में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया है:
इसके अलावा, इन वरिष्ठ पत्रकारों ने विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार किया है:
- राजा मोहन, स्तंभकार, दि इंडियन एक्सप्रेस
- प्रणब ढल समंता, कार्यकारी संपादक, दि इकोनॉमिक टाइम्स
- दीपांजन रॉय चौधरी, विदेश मामलों के संपादक, दि इकोनॉमिक टाइम्स
- रुद्रनील घोष, वरिष्ठ सहायक संपादक, संपादकीय पृष्ठ संपादक, दि टाइम्स ऑफ इंडिया
FCC गवर्निंग कमेटी के प्रमुख पदाधिकारी:
- अध्यक्ष: एस. वेंकट नारायण, स्तंभकार, द आइलैंड, श्रीलंका
- उपाध्यक्ष: वाइल एस. एच. अव्वाद, सीरियन अरब न्यूज एजेंसी (SANA)
- सचिव: प्रकाश नंदा, दि यूरेशियन टाइम्स, कनाडा
- कोषाध्यक्ष: पीएम नारायणन, मुख्य निर्माता, *जर्मन टीवी*
गवर्निंग कमेटी के अन्य मौजूदा सदस्य:
- ताकुरो इवाहाशी, ब्यूरो प्रमुख, क्योदो न्यूज, जापान
- अयंजित सेन, विशेष संवाददाता, श्रीलंका गार्जियन
- सिद्धार्थ श्रीवास्तव, चैनल न्यूजएशिया इंटरनेशनल
- आगा जीलानी, ब्रिक्स जर्नल, दक्षिण अफ्रीका
- एमडी अमीनुल इस्लाम, संवाददाता, संगबाद संघ
- राजेश कुमार मिश्रा, ब्यूरो प्रमुख, कांतिपुर मीडिया ग्रुप, नेपाल
FCC साउथ एशिया का परिचय:
साउथ एशिया के फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब (FCC) में 500 से अधिक पत्रकार और फोटोग्राफर शामिल हैं, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और तिब्बत को कवर करते हैं। FCC का उद्देश्य पत्रकारों को एक मंच प्रदान करना है, जहां वे संवाद और सहयोग कर सकें।
इस क्लब में विदेशी संवाददाताओं के साथ-साथ स्थानीय पत्रकारों का भी स्वागत है। क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस, स्पोर्ट्स स्क्रीनिंग, बुक लॉन्च और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिससे पत्रकारों को संवाद का एक सशक्त माध्यम मिलता है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारत के वित्तीय प्रभावशाली व्यक्तित्वों, जिन्हें 'फिनफ्लुएंसर' कहा जाता है, पर कड़ी पकड़ बनाते हुए एक आदेश जारी किया है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारत के वित्तीय प्रभावशाली व्यक्तित्वों, जिन्हें 'फिनफ्लुएंसर' कहा जाता है, पर कड़ी पकड़ बनाते हुए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत सेबी ने सभी पंजीकृत संस्थाओं, जैसे स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरीज को निर्देश दिया है कि वे अगले तीन महीनों में सभी बिना पंजीकृत वित्तीय सलाहकारों के साथ किसी भी तरह का जुड़ाव समाप्त कर दें। सेबी का यह कदम निवेशकों को उन जोखिमों से बचाने के लिए उठाया गया है जो बिना पंजीकरण वाले फिनफ्लुएंसर्स द्वारा शेयर बाजार की सलाह देने के कारण उत्पन्न हो सकते हैं। इन सलाहों में अक्सर भ्रामक दावे किए जाते हैं और पारदर्शिता का अभाव होता है।
सेबी के ताजा सर्कुलर में यह साफ किया गया है कि उसके द्वारा पंजीकृत सभी संस्थाओं और उनके एजेंट्स को ऐसे किसी व्यक्ति के साथ अनुबंध खत्म करना होगा, जो शेयर से संबंधित सलाह दे रहे हैं या निवेश रिटर्न का दावा कर रहे हैं। कई फिनफ्लुएंसर्स बिना सेबी की अनुमति के बड़े फॉलोअर बेस को प्रभावित कर रहे हैं और अपने वित्तीय संबंधों का खुलासा किए बिना मुनाफा कमा रहे हैं।
इससे पहले, जून 2024 में सेबी ने इन फिनफ्लुएंसर्स को नियामक दायरे में लाने के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे। हालांकि, कई फिनफ्लुएंसर्स ने इन नियमों का पालन करने से बचते हुए सेबी-पंजीकृत संस्थाओं के साथ अप्रत्यक्ष संबंधों के माध्यम से काम करना जारी रखा, जिससे निवेशकों के निर्णय पर इसका असर पड़ा है।
सर्कुलर में सेबी ने स्पष्ट किया है कि उसके पंजीकृत संस्थानों को बिना सेबी की मंजूरी के ऐसे व्यक्तियों के साथ किसी प्रकार का वित्तीय लेन-देन, तकनीकी संपर्क, या ग्राहक रेफरल नहीं करना चाहिए जो बिना पंजीकरण के निवेश सलाह दे रहे हैं। यह प्रतिबंध उन संस्थानों पर लागू नहीं होगा जो केवल निवेश शिक्षा में लगे हैं और जो रिटर्न या प्रदर्शन का दावा नहीं करते।
भारत में फिनफ्लुएंसर्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। शीर्ष नाम जैसे शरण हेगड़े (2.6 मिलियन फॉलोअर्स), दिनेश किरौला (879K फॉलोअर्स) और केतन माली (572K फॉलोअर्स) करोड़ों लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। सेबी का यह कदम निवेशकों की सुरक्षा और वित्तीय सलाह में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, जिससे गलत सलाह से होने वाले वित्तीय नुकसान से बचा जा सके।
फैंटम स्टूडियोज ZEEL का एक अल्प शेयरधारक है, जिसके पास कंपनी के करीब 1.3 मिलियन शेयर हैं, जिनकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये बताई जाती है।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने फैंटम स्टूडियोज इंडिया द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जो जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) और सोनी ग्रुप की कंपनियों, बंगला एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (BEPL) और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (CMEPL) के बीच प्रस्तावित विलय को लागू करने के लिए दायर की गई थी।
फैंटम स्टूडियोज ZEEL का एक अल्प शेयरधारक है, जिसके पास कंपनी के करीब 1.3 मिलियन शेयर हैं, जिनकी कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये बताई जाती है। मुंबई बेंच ने निर्णय दिया कि यह याचिका अब अप्रासंगिक हो गई है क्योंकि दोनों कंपनियों के बोर्ड ने पहले ही विलय की योजना को वापस ले लिया है।
सितंबर में, NCLT ने ZEEL को CMEPL और BEPL के साथ अपने संयुक्त विलय योजना को वापस लेने की अनुमति दी थी, क्योंकि कंपनियों ने आपसी समझौता कर लिया था। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने 10 अगस्त 2023 को दी गई अपनी मंजूरी को भी रद्द कर दिया।
अगस्त 2024 में ZEEL और सोनी ने विवादों को सुलझाते हुए एक गैर-नकद समझौते की घोषणा की, जिसमें उन्होंने सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में चल रहे मध्यस्थता और अन्य कानूनी मामलों को वापस लेने पर सहमति जताई।
गुजरात में अंग्रेजी दैनिक 'द हिंदू' के वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ गोपनीय दस्तावेजों के कथित कब्जे के आरोप में दूसरी एफआईआर दर्ज होने के बाद पत्रकारिता जगत में रोष है।
गुजरात में अंग्रेजी दैनिक 'द हिंदू' के वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ गोपनीय दस्तावेजों के कथित कब्जे के आरोप में दूसरी एफआईआर दर्ज होने के बाद पत्रकारिता जगत में रोष है। 'द हिंदू' के संपादक सुरेश नंबथ ने इस मामले पर गहरी चिंता जताते हुए गुजरात पुलिस से एफआईआर वापस लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों का काम उन्हें गोपनीय और संवेदनशील दस्तावेजों तक पहुंचने की मांग करता है, ताकि वे जनहित में जानकारी प्रकाशित कर सकें।
लांगा के खिलाफ पहली एफआईआर GST धोखाधड़ी मामले से जुड़ी थी, जिसमें उन्हें पहले ही हिरासत में रखा गया है। वहीं, दूसरी एफआईआर 22 अक्टूबर को गांधीनगर के सेक्टर-7 पुलिस थाने में दर्ज की गई, जिसमें गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के गोपनीय दस्तावेजों के कब्जे का आरोप लगाया गया है।
संपादक नंबथ ने सोशल मीडिया पर कहा कि "पत्रकारों का दायित्व है कि वे व्यापक जनहित को ध्यान में रखकर अपने काम में ऐसे दस्तावेजों का विश्लेषण करें। यदि उन्हें इस तरह के दस्तावेज रखने के लिए दंडित किया जाएगा, तो खोजी पत्रकारिता खत्म हो जाएगी।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इस एफआईआर को ऑनलाइन "संवेदनशील" श्रेणी में रखा गया है, जो कि एक खुली और पारदर्शी प्रक्रिया के खिलाफ है।
To file charges against them for possession of such documents is to undermine their journalistic work and their fundamental rights and to subvert the public interest. We urge the Gujarat police to drop the charges relating to the possession of classified documents against Mahesh
— Suresh Nambath (@nambath) October 26, 2024
गांधीनगर के एसपी रवि तेजा वसमसेट्टी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि यह शिकायत गुजरात मैरीटाइम बोर्ड द्वारा दर्ज कराई गई है और पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक लांगा के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और मामले की जांच जारी है।
वहीं इस मामले में द हिंदू पब्लिशिंग ग्रुप के डायरेक्टर व वरिष्ठ पत्रकार एन. राम ने भी इस कार्रवाई की आलोचना की। साथ ही गोपनीय दस्तावेज हासिल करने के “पत्रकार के अधिकार” के लिए समर्थन की अपील की। उन्होंने कहा कि “यदि पत्रकारों को ऐसे दस्तावेजों को हासिल करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जेल में डाल दिया जाता है या अन्यथा दंडित किया जाता है, तो खोजी रिपोर्टिंग का अधिकांश हिस्सा खत्म हो जाएगा!
Support a journalist’s right to obtain and process a confidential or ‘sensitive’ official document in the line of his or her work. Condemn the Gujarat police’s charges on this count against The Hindu’s Gujarat-based senior journalist, Mahesh Langa. If journalists are imprisoned… https://t.co/SS7VZSMJwk
— N. Ram (@nramind) October 26, 2024
वहीं कई पत्रकार संगठनों ने भी इस मामले में लांगा के समर्थन में आवाज उठाई है और कहा कि पत्रकारों का काम जनहित में सच्चाई सामने लाना है, जिसके लिए गोपनीय दस्तावेजों का अध्ययन भी आवश्यक होता है।
इस मुद्दे पर पत्रकारों के अधिकार और जनहित को ध्यान में रखते हुए पत्रकार संगठन और अन्य लोग गुजरात पुलिस से इस एफआईआर को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
ZMCL ने बोर्ड मीटिंग के दौरान डॉ. विकास गर्ग को स्वतंत्र निदेशक की कैटेगरी में अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया है।
ZMCL ने बोर्ड मीटिंग के दौरान डॉ. विकास गर्ग को स्वतंत्र निदेशक की कैटेगरी में अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति का कार्यकाल 26 अक्टूबर 2024 से 25 अक्टूबर 2029 तक रहेगा।
डॉ. विकास गर्ग एक अनुभवी उद्यमी हैं और उनके पास केमिकल, प्लास्टिक, टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, एग्रीबिजनेस, वेस्ट मैनेजमेंट, फिनटेक, हॉस्पिटैलिटी और एंटरटेनमेंट जैसे विभिन्न क्षेत्रों में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने कई संघर्षरत व्यवसायों को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कई कंपनियों की ग्रोथ में योगदान दिया है।
ZMCL की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, "डॉ. गर्ग ने Ebix Inc. का अधिग्रहण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे समूह की क्षमताओं में सॉफ्टवेयर और ई-कॉमर्स समाधान में वृद्धि हुई।" इसके अलावा, डॉ. गर्ग के पास वेस्ट प्लास्टिक मैनेजमेंट और बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक्स में तीन भारतीय पेटेंट हैं, जो उनके सतत विकास और नवाचार के प्रति समर्पण को दर्शाते हैं।
डॉ. गर्ग के पास ब्रिटिश नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन मैरी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मानद डॉक्टरेट और दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री है।
जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ZMCL) ने 30 सितंबर 2024 को समाप्त तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजे जारी किए।
जी मीडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ZMCL) ने 30 सितंबर 2024 को समाप्त तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजे जारी किए। इस तिमाही में कंपनी की आय 133 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13.43% कम है। पिछले साल इसी अवधि में कंपनी की आय 153.7 करोड़ रुपये थी।
वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में कंपनी की कुल आय 310.4 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 297.9 करोड़ रुपये थी। इस प्रकार, सालाना आधार पर इसमें 4.19% की वृद्धि हुई है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है, लेकिन इससे पहले उन्होंने पत्रकारों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है, लेकिन इससे पहले उन्होंने पत्रकारों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए कानून की डिग्री होना जरूरी नहीं होगा। CJI चंद्रचूड़ ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि पहले संवाददाताओं के लिए सुप्रीम कोर्ट कवर करने के लिए लॉ की डिग्री की आवश्यकता क्यों थी।
पत्रकारों के लिए राहत भरा कदम
CJI चंद्रचूड़ के इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकारों को बड़ी राहत मिलेगी। अब बिना कानून की डिग्री के भी पत्रकार सुप्रीम कोर्ट को कवर करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके साथ ही पत्रकारों को कोर्ट परिसर में पार्किंग की सुविधा भी दी जाएगी। यह घोषणा 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित ‘प्री दिवाली समारोह’ के दौरान की गई।
10 नवंबर को रिटायर होंगे CJI चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कानूनी संवाददाताओं की मान्यता के लिए नियम लागू किया था, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट को कवर करने वाले पत्रकारों के पास कानून की डिग्री होनी चाहिए। लेकिन CJI चंद्रचूड़ ने इस शर्त को अब पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। 9 नवंबर 2022 को पदभार संभालने वाले CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को अपने पद से सेवानिवृत्त होंगे। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए आराम करने की इच्छा जताई है।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में हिन्दी ख़बर न्यूज चैनल के प्रधान संपादक अतुल अग्रवाल पर कुछ बदमाशों ने हमला कर दिया।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में हिन्दी ख़बर न्यूज चैनल के प्रधान संपादक अतुल अग्रवाल पर कुछ बदमाशों ने हमला कर दिया। इस हमले में आरोपियों ने उनके साथ हाथापाई की और डंडों से उनकी कार को भी नुकसान पहुंचाया। घटना के बाद अतुल अग्रवाल ने पुलिस को शिकायत दी, जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चारों आरोपियों को उनकी कार सहित गिरफ्तार कर लिया है।
बीच सड़क पर कार हटाने की बात पर हुआ विवाद
गुरुवार सुबह जब अतुल अग्रवाल अपने घर से ऑफिस के लिए निकले तो परथला फ्लाईओवर के पास कुछ लोगों ने बीच सड़क पर अपनी कार खड़ी कर रखी थी। जब उन्होंने रास्ता साफ करने को कहा, तो चारों आरोपी अभद्रता पर उतर आए और अचानक उन पर जानलेवा हमला कर दिया। आरोपियों के पास लाठी-डंडे थे, जिससे उन्होंने अतुल अग्रवाल की कार पर भी वार किया, जिससे कार क्षतिग्रस्त हो गई। इस दौरान अतुल अग्रवाल ने किसी तरह हमलावरों की तस्वीरें अपने मोबाइल में कैद कर लीं।
नोएडा : हिन्दी ख़बर के प्रधान संपादक पर हमला
— हिन्दी ख़बर | Hindi Khabar ?? (@HindiKhabar) October 24, 2024
⏩अतुल अग्रवाल पर दबंगों ने किया जानलेवा हमला
⏩परथला फ्लाईओवर के पास गुंडों ने किया हमला
⏩बदमाशों ने बीच सड़क पर खड़ी कर रखी थी गाड़ी
⏩लाठी और डंडों के साथ लैस थे चारों बदमाश
⏩बीच सड़क रास्ता रोककर किया जानलेवा हमला
⏩नोएडा पुलिस… pic.twitter.com/cGDfJut4i6
आरोपियों की कार पर बीजेपी का लगा था झंडा
मामले की जानकारी मिलते ही नोएडा सेक्टर 113 पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए चारों आरोपियों को उनकी कार के साथ गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों की कार पर बीजेपी का झंडा लगा हुआ था, जिससे इस मामले में और सवाल खड़े हो रहे हैं।
पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है, जबकि बीजेपी से भी अपेक्षा है कि वह इस पर ध्यान दें। हालांकि, अभी तक आरोपियों का बीजेपी से कोई सीधा संबंध सामने नहीं आया है।