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क्या होगा दूरदर्शन का कायाकल्प: कब सफेद हाथी बनेगा कमाऊ पूत
समाचार4मीडिया ब्यूरो : दूरदर्शन में महत्वपूर्ण बदलावों को लेकर भाजपा सरकार पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुकी है। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से दूरदर्शन ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर पाएगा और इसकी दर्शक संख्या में काफी बढ़ोतरी होगी। इसे वित्तीय तौर पर स्वायत्तशासी और लाभ कमाने वाला संस्थान भी बनाया जाएगा। वर्तमान म
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो : दूरदर्शन में महत्वपूर्ण बदलावों को लेकर भाजपा सरकार पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुकी है। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से दूरदर्शन ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर पाएगा और इसकी दर्शक संख्या में काफी बढ़ोतरी होगी। इसे वित्तीय तौर पर स्वायत्तशासी और लाभ कमाने वाला संस्थान भी बनाया जाएगा। वर्तमान में निजी चैनलों से व्यूअरशिप और रेवेन्यू के मामले में इस पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में दूरदर्शन टीवी स्क्रीन पर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए काफी संघर्ष कर रहा है। हाल ही में हुईं डीटी और ई नीलामी से राजस्व इस पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स के लिए अच्छा कंटेंट तैयार करना काफी बड़ा मुद्दा है। हाल के दिनों में दूरदर्शन ने साथ-साथ मिलकर कंटेंट तैयार करने के लिए इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टर्स के साथ एक डील की है और इसके साथ टीवी कंटेंट का आदान-प्रदान कर रहा है। हाल ही में इसने रूस के प्रमुख टेलिविजन ब्रॉडकास्टर ‘डिजिटल टीवी रसिया’ (DTR) के साथ एक एमओयू (memorandum of understanding) पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते के साथ दोनों एक-दूसरे के टीवी प्रोग्राम की अदला-बदली के साथ ही कंटेंट की मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन में भी एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। पिछले साल अगस्त में डीडी ने जर्मन पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर (Deutsche Welle) के साथ एक एग्रीमेंट किया था। इस समझौते के तहत यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और सेंट्रल एशिया में 120 मिलियन घरों में इसकी प्रोग्रामिंग की गई। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डीडी नेशनल की एडीजी दीपा चंद्रा ने कहा कि अगस्त में डीडी ने पांच नए शो लॉन्च किए जिनकी प्रॉडक्शन वैल्यू पहले के कंटेंट की तुलना में काफी अधिक थी। ब्रॉडकास्टर द्वारा इन पर पांच गुना ज्यादा खर्च भी किया जा रहा है। उदाहरण के लिए- प्रत्येक प्रोग्राम में 8 से साढ़े आठ लाख रुपये प्रति एपिसोड पर खर्च किए गए। प्रसार भारती द्वारा डीटीएच प्लेटफार्म पर दूरदर्शन के फ्री टू एयर (FTA) के लिए 21 ई नीलामी (e-auction) भी की गईं। इससे डीटीएच प्लेटफॉर्म पर छह चैनलों से 23.2 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हुआ। डीडी का लक्ष्य है कि अगले कुछ महीनों में 112 चैनलों को e-auction के जरिये डीटीएच प्लेटफार्म पर ले आया जाए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसे ‘कलर्स रिश्ते’ से 4.1 करोड़ और ‘स्टार उत्सव’ के स्लॉट्स से 3.9 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। कंटेंट को तैयार करने और विभिन्न प्लेटफार्म पर उसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए डीडी ने मई में डीडी न्यूज के लिए एक मोबाइल एप भी लॉन्च किया। दूरदर्शन द्वारा यह सारी कवायद निजी चैनलों से टक्कर लेने और ऐडवर्टाइजिंग रेवेन्यू को आकर्षित करने के लिए बेहतर कंटेंट तैयार करने के लिए की गई। डीडी को स्वत:पोषित संगठन बनाने के लिए हुए उपाय सरकार इस पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम पर होने वाले करदाताओं के खर्च में धीरे-धीरे कटौती करना चाहती है। मार्च 2012 में खत्म हुए पिछले पांच साल के ब्रॉडकास्ट प्लान के अनुसार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने रिपोर्ट दी थी कि इसे प्रसार भारती से 6,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त हुआ जबकि इसी अवधि के दौरान इस पर खर्चा लगभग दोगुना अर्थात 12,200 करोड़ रुपये हुआ। ऐसे में यह पब्लिक ब्रॉडकास्टर सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो चुका है। डीडी के कर्मचारियों की संख्या करीब 33800 है जो काफी अधिक है। बजट सत्र के दौरान इस साल (2015-16) के लिए सरकार ने डीडी को आवंटित बजट करीब 600 करोड़ बढ़ाकर 2,824.55 करोड़ रुपये कर दिया। वर्ष 2014-15 में यह बजट 2361.54 करोड़ रुपये था। इसके अलावा सरकार ने इस पब्लिक ब्रॉडकास्टर के लिए 200 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किए थे। रेवेन्यू प्राप्त करने में अब भी हो रही दिक्कत हालांकि सरकार ने इस पब्लिक ब्रॉडकास्टर में इस उम्मीद के साथ बहुत निवेश कर दिया है कि इससे रेवेन्यू में भी जरूर इजाफा होगा। हाल ही में इसकी जांच की गई और देखा गया कि खर्च और रेवेन्यू में कितना अंतर आया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014-15 में जहां इसके रेवेन्यू में 13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई वहीं इसके खर्चे में 15 प्रतिशत की वृद्धि भी हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके खर्च 2012-13 में 1608 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 1850 करोड़ रुपये हो गया जबकि इसी अवधि में इसका रेवेन्यू 1137 करोड़ रुपये से घटकर 993 करोड़ रुपये पर आ गया। यह भी कहा गया है कि सरकार के विभिन्न मंत्रालय भी इस पब्लिक ब्रॉडकास्टर पर अपने विज्ञापन खर्च में कटौती कर रहे हैं। यह भी बताया गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रसार भारती पर किए जाने वाले खर्च में 100 करोड़ रुपये की कटौती कर दी है। इसी तरह कृषि मंत्रालय ने भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय को अवगत कराया है कि वह भी इस पर किए जाने वाले 145 करोड़ रुपये में से लगभग आधी अर्थात 70 करोड़ रुपये की कटौती कर रहा है। माना जा रहा है कि दोनों मंत्रालयों का इस पर से भरोसा कम होता जा रहा है और वे यह मानकर चल रहे हैं कि चूंकि इसकी रेटिंग काफी कम है ऐसे में वह इस पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। हालांकि प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार ने दोनों मंत्रालयों ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि दोनों मंत्रालयों ने यह निर्णय किसी और वजह से लिया है। जबकि सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने प्रसार भारती पर हुए ज्यादा खर्च को स्वीकार किया था। हालांकि उन्होंने कहा था कि इस पब्लिक ब्रॉडकास्टर को स्व:विश्लेषण (self-analysis) करने की जरूरत है और दर्शकों की संख्या व रेवेन्यू बढ़ाने के लिए इसे कुछ न कुछ जरूर करना चाहिए। अब यह पब्लिक ब्रॉडकास्टर अपने कंटेंट को बेहतर करने और दर्शकों के लिए इसे ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए काफी प्रयास कर रहा है और रेवेन्यू को तैयार करने के लिए यह ऐडवर्टाइजर्स को लुभाने का प्रयास भी कर रहा है। अब यह देखना है कि यह कवायद क्या रंग लाती है और क्या यह इसे लाभ में ला सकती है। समाचार4मीडियादेश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमेंmail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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