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इस न्यूज चैनल की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने चेन्नई के तमिलभाषी न्यूज चैनल ‘साथियम टीवी’ की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उस निर्देश को रद्द करने का आग्रह किया गया है, जिसमें उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में एक टिप्पणी दिखाने पर नोटिस जारी किया गया गई है। न्यायमूर्ति वी.पी.वैश्य की खंडपीठ ने इस मामले म
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
दिल्ली हाईकोर्ट ने चेन्नई के तमिलभाषी न्यूज चैनल ‘साथियम टीवी’ की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उस निर्देश को रद्द करने का आग्रह किया गया है, जिसमें उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में एक टिप्पणी दिखाने पर नोटिस जारी किया गया गई है।
न्यायमूर्ति वी.पी.वैश्य की खंडपीठ ने इस मामले में मंत्रालय को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 15 जनवरी 2016 को होगी।
बता दें कि ‘साथियम टीवी’ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के खिलाफ दिल्लीथ हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर की है। मंत्रालय द्वारा चैनल के दो प्रोग्रामों के लिए नोटिस जारी किया गया था, जिनमें धार्मिक शो Ungal Aseervatha Neram’ और न्यूज एनालेसिस शो ‘Paarthathum Padithathum’ शामिल हैं। इसमें एक पत्रकार द्वारा की गई कुछ टिप्पणियां प्रधानमंत्री मोदी की खराब छवि को दर्शाती हैं। ये दोनों ही प्रोग्राम पिछले साल 9 दिसंबर को प्रसारित किए गए थे। मंत्रालय ने चैनल को जारी कारण बताओ नोटिस में दी गई चेतावनी में कहा था कि केबल टेलिविजन नेटवर्क (केबल) अधिनियम 1995 में जारी दिशा निर्देशों के उल्लंघन में क्योंन न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
चैनल ने अपने बयान में कहा कि ‘यह एक सामान्य प्रार्थना थी और इसमें माननीय प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई जिक्र नहीं था।’ हालांकि, मंत्रालय इस बात से सहमत नहीं है। उसने कहा कि ये टिप्पणियां एक राजनीतिक व्यक्तित्व के खिलाफ की गई थीं और यह सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील स्थिति को जन्म दे सकती हैं और हिंसक प्रवृत्तियों के लिए जनता को भड़का सकती हैं।
कोर्ट ने इस मामले में सरकार को नोटिस जारी किया है।
साथियम टीवी के सलाहकार रोबिन डेविड ने इन आरोपों के खिलाफ न्यातयमूर्ति वीपी वैश्यी के सामने अपना पक्ष रखा। इसमें उन्होंाने कहा, ‘पहला कार्यक्रम नियमित प्रार्थना सभा थी और इसमें कोई भी राजनीतिक टिप्पोणी शामिल नहीं थी।
इसी तरह दूसरा प्रोगाम करेंट अफेयर्स पर आधारित था और इसमें दिखाई गई टिप्परणी और राय न्यू ज रिपोर्ट के आधार पर थीं, जिनका भी राजनीतिक रूप से कोई लेना-देना नहीं था।’
इस तरह के आदेश को गलत बताते हुए न्यू ज चैनल ने संविधान के तहत प्रदत्तक वाक् एवं अभिव्य्क्ति की स्व तंत्रता का मुद्दा भी उठाया। चैनल की ओर से दायर याचिका में इन आदेशों को मनमाना बताते हुए कहा गया कि मंत्रालय अपने दावे की पुष्टि करने में असफल रहा है। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2016 को होगी।
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