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आरुषि हत्याकांड पर पत्रकार की किताब में उठाए गए कई सवाल
समाचार4मीडिया ब्यूरो वर्ष 2013 के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड को लेकर अब पत्रकार अविरूक सेन की किताब सामने आ गई है। इस किताब ने इस केस के कई अनछुए पहलूओं को भी सामने लाकर रख दिया है। लेखक का दावा है कि किताब लिखने से पहले उसने हर उस शक्स से बात की जो उस केस से जरा सा भी ताल्लुक रखता हो। चाहे वो आरोपी हो या फिर तलवार दंपति को दोषी ठहराने वाल
समाचार4मीडिया ब्यूरो 9 years ago
समाचार4मीडिया ब्यूरो वर्ष 2013 के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड को लेकर अब पत्रकार अविरूक सेन की किताब सामने आ गई है। इस किताब ने इस केस के कई अनछुए पहलूओं को भी सामने लाकर रख दिया है। लेखक का दावा है कि किताब लिखने से पहले उसने हर उस शक्स से बात की जो उस केस से जरा सा भी ताल्लुक रखता हो। चाहे वो आरोपी हो या फिर तलवार दंपति को दोषी ठहराने वाले जज श्याम लाल। जब इस किताब को लॉन्च किया गया उस वक्त तलवार दंपति के सभी जानकार, उनके रिश्तेदार मौजूद थे। अविरूक सेन जो कि एक निजी चैनल में काम करते थे उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आरुषि पर किताब लिखने लगे। 27 अगस्त को अविरूक ने अपनी किताब को विमोचन किया। इस मौके पर वकील तनवीर मीर भी मौजूद थे। लेखक और वकील दोनों की राय काफी मिलती है। दोनों का कहना था कि केस की जांच में काफी लापरवाही बरती गई। सीबीआई ने ठीक से काम नहीं किया। महत्वपूर्ण सबूतों को दरकिनार किया गया और कोर्ट में किसी भी तरह से नूपुर और राजेश तलवार को दोषी ठहराने की कोशिश की गई। यही नहीं सीबीआई जांच में भी बहुत कमियां थीं। किताब में दावा किया गया है कि इस मामले की सुनवाई को लेकर जज द्वारा बचाव पक्ष के वकील मीर से जल्दी अपनी बात समाप्त करने को कहा जाता था। दूसरी यह कहा जाता था कि लिखित में तर्क जमा किए जाऐं। दरअसल यहां सबसे बड़ी समस्या टाइपिंग की थी। गाजि़याबाद में अधिकांश टाईपिस्ट हिंदी ही जानते थे, अंग्रेजी टाईपिंग पर किसी की पकड़ नहीं थी। ऐसे में टाईपिंग एक बड़ी मुश्किल थी। जज ने अपने बेटे आशुतोष को टाईपिंग का काम सौंप दिया। इस दौरान कहा गया कि बचाव पक्ष के तर्क तो सुने ही नहीं गए। कहा गया कि फैसले में कुछ अच्छे शब्दों का भी उपयोग किया जाना था। इसलिए इसे लिपिबद्ध करने में काफी समय लगा। फैसला ही 210 पन्नों का था। बचाव पक्ष की भी यही परेशानी थी। जो टाईपिस्ट बचाव पक्ष के पास था वह कबाब व्यापारी था और त्यौहार होने से बहुत व्यस्त था। इस पुस्तक में ऐसी कई बातों का उल्लेख किया गया है जो इस फैसलें पर सवाल उठाते हैं। लेखक और वकील तनवीर दोनों का मानना है कि कई ऐसे तथ्य हैं जिसके आधार पर ऊपरी अदालतें तलवार दंपति के पक्ष में फैसला दे सकती हैं, इनमें मुख्य हैं: 1. नार्को टेस्ट में नौकरों ने अपराध करना स्वीकार किया। 2. सीबीआई के कई लोगों ने यह बयान दिया था कि नौकरों ने अपने बयानों में भी अपराध स्वीकार किया है। 3. तलवार दंपति के नार्को में कुछ भी ऐसा नहीं पाया गया जिससे उसकी अपराध में संलिप्तता स्थापित होती हो। 4. नौकर कृष्णा के तकिये से हेमराज का खून मिला था (हालांकि सीबीआई द्वारा कहा गया कि यह सिर्फ टाइपिंग की गलती के कारण हुआ है)।
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