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जस्टिस काटजू की तमिल और अंग्रेजी भाषियों से हिन्दी सीखने की अपील
प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस काटजू नें अपनें एक लेख पर आई टिप्पणियों का उत्तर देते हुये अंग्रेजी दैनिक द हिन्दू में कहा है कि वे हर एक भाषा को समान महत्व देते है लेकिन अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई में उन्होनें तमिलवासियों को हिन्दी सीखने की सलाह दी थी। वाकया का जिक्र करते हुये उन्होनें कहा कि उनके सुझाव पर एक तमिल महानुभाव मुखर विरोध करते हुये पू
समाचार4मीडिया ब्यूरो 12 years ago
प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस काटजू नें अपनें एक लेख पर आई टिप्पणियों का उत्तर देते हुये अंग्रेजी दैनिक द हिन्दू में कहा है कि वे हर एक भाषा को समान महत्व देते है लेकिन अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई में उन्होनें तमिलवासियों को हिन्दी सीखने की सलाह दी थी। वाकया का जिक्र करते हुये उन्होनें कहा कि उनके सुझाव पर एक तमिल महानुभाव मुखर विरोध करते हुये पूछा कि वे उन्हें हिन्दी सीखने के लिये बाध्य कैसे कर सकते है जबकि अंग्रेजी एक लिंक भाषा के बतौर पर्याप्त है। जस्टिस काटजू ने प्रश्न का उत्तर देते हुये कहा कि मैं किसी बाध्यता की बात नही करता। मेरा सुझाव सिर्फ इतना था कि तमिल भाषियों को यदि लगता है कि उन्हे हिन्दी सीखना चाहिये तो वे सीखें। तमिल की हिन्दी से तुलना नहीं हो सकती, इसलिये नहीं कि हिन्दी तमिल से श्रेष्ठ भाषा है बल्कि इसलिये कि यह ज्यादा बड़े क्षेत्र में बोली जाती है। तमिल सिर्फ तमिलनाडु में ही बोली जाती है, यह एक क्षेत्रीय भाषा है जिसे केवल 72 लाख लोग बोलते है जबकि हिन्दी न केवल हिन्दी बेल्ट में बोली जाती है बल्कि बहुत से अन्य प्रदेशों मे भी दूसरी भाषा के बतौर बोली जाती है। हिन्दी बेल्ट के उत्तरप्रदेश में 200 लाख लोग हिन्दी बोलते है, बिहार में 82 लाख, मध्यप्रदेश में 75 लाख, 69 लाख राजस्थान में , 27 लाख झारखण्ड में , 26लाख छत्तीसगढ में , 26 लाख हरियाणा में, 7लाख हिमांचल प्रदेश। इन सबके अलावा अहिन्दी प्रदेशों में पंजाब, पश्चिमबंगाल, काश्मीर, उडीसा, असोम, अन्य उत्तरपूर्वी प्रदेशों भी हिन्दी बोली जाती है। हिन्दी बोलने वालों की संख्या तमिल से पंद्रह गुना अधिक है। इसके अतिरिक्त यह पाकिस्तान में भी बोली जाती है भले ही उसे उर्दू कहा जाता हो। कैसे हम तमिल की हिन्दी से तुलना कर सकते हैं? तमिल केवल एक क्षेत्रीय भाषा है, जबकि हिन्दी राष्ट्रीय भाषा है। इसलिये नही कि हिन्दी श्रेष्ठ है बल्कि इसलिये कि ऐतिहासिक सामाजिक कारण ऐसे हैं। जस्टिस काटजू नें स्पष्ट करते हुये कहा कि भारत में अंग्रेजी केवल एलीट वर्ग की लिंक भाषा है, सामान्य तबके के लिये नहीं। कोई भी जो तमिलनाडु या भारत के किसी अन्य हिस्से से आता है वह यह अनुभव करता है। बगैर हिन्दी जाने उसे बहुत कठिनाई होगी। केवल पांच प्रतिशत भारतीय अंग्रेजी जानते हैं। हलांकि मैं लोगो को अंग्रेजी सीखने के लिये भी कहता हूं, क्योंकि दुनिया की अधिकतर जानकारियां अंग्रेजी में हैं। मैंने अंग्रेजी हटाओ का नारा देने वालों की आलोचना की है। हिन्दी पहले ही भारत की एक लिंक भाषा है, इसको मैने अपने लेख में स्पष्ट किया था। । उन्होंने कहा है कि तमिल का एक दुकानदार उन लोगों की तुलना में जो हिन्दी का विरोध करते हैं ज्यादा समझदार है। वह जानता है कि हिन्दी कितनी आवश्यक है । मैं दोनों, हिन्दी से घृणा करने वाले और तमिलनाडु या अन्य राज्यों में हिन्दी लादने वाले लोगों से घृणा करता हूँ। जस्टिस काटजू ने कहा कि इस मुद्दे को भावनात्मक ठंग से नहीं बल्कि विवेक से देखने की जरूरत है। मैं तमिल न्यायधीशों की तमिल भाषा में जिरह करने की मांग का समर्थन करता हूँ हलांकि निर्णय अंग्रेजी में भी होने चाहिये जिससे दूसरे राज्य के लोग भी पढ सकें। उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि मैं तमिल भाषियों से एक बार फिर दरख्वास्त करता हूँ कि वे हिन्दी सीखने की मेरी सलाह पर विचार करें। यदि मेरी सलाह से कोई लाभ न दिखता हो तो कृपया उसे खारिज करें । जस्टिस काटजू नें हिन्दी सीखने की सलाह केवल तमिल भाषियों को ही नहीं दी है बल्कि अंग्रेजी के एलीट वर्ग को भी दी है और अन्य क्षे्त्रीय भाषियों को भी अप्रत्यक्ष रूप से देने की कोशिश की है। समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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